बाघ, तेंदुआ, कुत्ता, बिल्ली जैसे बड़े-बड़े जानवर अपना इलाका बांधते हैं। यानी वे कुछ संकेतों के ज़रिए अपना अधिकार क्षेत्र चिंहित करते हैं। इस इलाके के संसाधनों, खासकर मादाओं, पर उनका अधिकार होता है। और, इलाके में अतिक्रमण की कोशिश हो तो चेतावनियों से लेकर मुठभेड़ तक की स्थिति बन सकती है।
लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 2 मिलीमीटर छोटी वार्टी बर्च इल्ली भी इलाका बांधती होगा। जी हां, इतनी छोटी-सी इल्ली 1 सेंटीमीटर लंबी जगह का इलाका बांधती है।
उत्तरी अमेरिका में दो-धारियों वाली एक पतंगा मादा (Falcaria bilineata) सनोबर की टहनियों और पत्तियों पर अपने अंडे देती है। जब अंडे फूटते हैं तो इनसे निकलने वाली इल्ली (वार्टी बर्च कैटरपिलर) तुरंत ही करीब की पत्तियों की नोंक पर चली जाती हैं। वैज्ञानिकों ने काफी समय से इल्लियों के इस व्यवहार के अलावा एक और व्यवहार पर गौर किया था – ये इल्लियां पत्तियों पर कम्पन करती हैं। इस व्यवहार को देखकर लगा कि संभवत: यह इलाका बांधने का संकेत है।
अनुमान की जांच करने के लिए कार्लटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कुछ वार्टी बर्च इल्लियों को पकड़कर प्रयोगशाला में यह देखने के लिए जमाया कि यदि किसी पत्ती पर कोई वार्टी बर्च इल्ली पहले से है और उसी प्रजाति की दूसरी इल्ली आती है तो पहले से बैठी इल्ली क्या प्रतिक्रिया देती है? उन्होंने पाया कि जब कोई घुसपैठिया इल्ली आती है तो पहली इल्ली अधिक ज़ोर-ज़ोर से कम्पन करना शुरू कर देती है। वह अपने शरीर को पत्ती पर ठोंककर आवाज़ पैदा करती है और अपने शरीर को पत्ती पर रगड़ती है। यह ध्वनि इस बात का संकेत होती है कि यह इलाका आरक्षित है, कहीं और चले जाओ। यदि घुसपैठिया इल्ली फिर भी आगे बढ़ती है तो कम्पन पहले से भी 14 गुना तेज़ी से होने लगते हैं।
जर्नल ऑफ एक्सपेरीमेंटल बायोलॉजी में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि इन कम्पनों से उन्हें अपना छोटा-सा इलाका बचाए रखने में मदद मिलती है; 71 प्रतिशत मामलों में इल्लियां इस तरह अपना इलाका महफूज़ रख पाईं लेकिन जिन मामलों में घुसपैठिया इल्ली हावी हुई तो देखा गया कि निवासी इल्ली रेशम के धागे के सहारे पत्ती से नीचे कूद गई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इल्ली पत्ती के सिरे पर इसलिए जाती हैं क्योंकि पत्ती की नोंक लचीली होती है जिसके चलते कम्पन को बढ़ाने में मदद मिलती है, और जान पर आने के समय रेशमी धागे के सहारे कूदना भी आसान है ही। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - July 2025
- दुनिया की भोजन आपूर्ति के लिए जलीय कृषि
- भोजन में को-एंज़ाइम की भूमिका
- एक पादप मॉडल का अनदेखा पहलू
- जीव विज्ञान का मॉडल जीव: हाइड्रा
- नवजात इल्ली भी अपना इलाका बांधती है
- कुदरत को संवारती तितलियां
- कोलोसल स्क्विड को जीवित देखा गया
- मनुष्यों की ऊर्जा ज़रूरत बनी समुद्री जीवों पर खतरा
- मानव कचरा कीट के रक्षा कवच में शामिल हुआ
- महासागरों में अम्लीयता बढ़ने के जलवायु पर असर
- दुनिया भर की मिट्टी में विषैली धातुएं
- भारत में जलवायु परिवर्तन की गति धीमी है?
- नई तकनीकों के रूबरू जैविक हथियार संधि
- निकोबार द्वीप समूह की कीमत पर विकास
- अंतरिक्ष अन्वेषक, विज्ञान साधक: जयंत नार्लीकर
- भारतीय परमाणु ऊर्जा के शिल्पी: डॉ. एम. श्रीनिवासन
- प्रकृति के रहस्यों की खोज
- प्रतिरक्षा कोशिकाएं दर्द भी कम करती हैं
- गर्भावस्था में पोषण, स्वास्थ्य व देखभाल
- महामारी संधि के लिए एकजुटता, अमेरिका बाहर
- अमेरिकी वैज्ञानिकों का पलायन
- एक ग्रह को तारे में समाते देखा गया
- पत्ती है या पतंगा?