कोविड-19 से उबरने के बाद भी कई लोगों को हफ्तों या महीनों तक थकान और सिरदर्द जैसी शिकायतें हो रही हैं। ऐसी स्थिति में कई लोग असमंजस में हैं कि वे पूरी तरह ठीक हो पाएंगे या नहीं। इस स्थिति को दीर्घ-कोविड का नाम दिया गया है।
एक हालिया अध्ययन में स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने 31,000 से अधिक लक्षण-सहित संक्रमित लोगों का सर्वेक्षण किया। 42 प्रतिशत लोग संक्रमण के 6 से 18 महीने के बाद भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे। सवाल यह है कि ऐसा कब तक चलेगा या क्या कभी वे ठीक नहीं होंगे।
दरअसल, इसका अभी कोई ठोस उत्तर हमारे पास नहीं है लेकिन यह शोध का एक महत्वपूर्ण विषय है। हारवर्ड मेडिकल स्कूल के न्यूरोसाइंटिस्ट माइकल वैनएल्ज़कर के अनुसार दीर्घ कोविड की पुष्टि करने के लिए अभी तक न तो कोई नैदानिक परीक्षण है और न ही यह पता है कि यह कौन-से लक्षण पैदा करता है।
एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि कोविड से कुछ लोग तो पूरी तरह ठीक हो गए हैं जबकि कुछ लोगों में दीर्घ कोविड की समस्या बनी हुई है।
क्या है दीर्घ कोविड?
वास्तव में अभी तक इसके लक्षण, इसके निदान से पहले बीमार रहने की मियाद और इस समस्या का सामना कर रहे लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई चिकित्सीय सहमति नहीं बन पाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड-उपरांत स्थिति तब कही जाएगी जब कोविड संक्रमण के बाद कम-से-कम तीन महीने तक लक्षण बने रहें। दूसरी ओर, यू. एस. सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस अवधि को चार सप्ताह रखा है। इसे पोस्ट-एक्यूट सीक्वल ऑफ सार्स-कोव-2 (पीएएससी), स्थायी कोविड, दीर्घकालिक कोविड जैसे कई अन्य नाम भी दिए गए हैं।
कई बड़े-बड़े अध्ययनों के बाद भी स्पष्ट नहीं है कि कितने लोग दीर्घकालिक लक्षणों से पीड़ित हैं। जर्मनी में किए गए एक अध्ययन में 96 संभावित लक्षणों की पहचान की गई थी और ये लक्षण उन लोगों में पाए गए थे जिनको पूर्व में संक्रमण हुआ है। युवा लोगों में आम तौर पर थकान, खांसी, गले और सीने में दर्द, सिरदर्द, बुखार, पेटदर्द, चिंता और अवसाद जैसे लक्षण देखने को मिले हैं जबकि वयस्कों में गंध और स्वाद में बदलाव, बुखार, सांस लेने में परेशानी, खांसी, गले और सीने में दर्द, बालों का झड़ना, थकान और सिरदर्द जैसे लक्षण मिले हैं।
स्कॉटलैंड में किए गए एक अध्ययन में सिरदर्द, स्वाद और गंध की कमी, थकान, दिल की अनियमित धड़कन, कब्ज, सांस फूलना, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना और अवसाद जैसे 26 लक्षणों पर विचार किया गया था। लेकिन पेचीदगी यह रही कि कोविड परीक्षण में पॉज़िटिव न आने वाले लोगों में भी ऐसे कई लक्षण देखे गए।
स्कॉटलैंड अध्ययन में 42 प्रतिशत लोगों में हल्के-फुल्के लक्षण देखने को मिले जबकि 6 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं। जर्मन शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में यह दावा किया कि कोविड परीक्षण में पॉज़िटिव न आने वाले लोगों की तुलना में कोविड संक्रमित वयस्कों, बच्चों और किशोरों में 30 प्रतिशत अधिक लोगों में तीन महीनों तक कोविड लक्षण होने की संभावना है। सीडीसी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 41,000 में से 14 प्रतिशत लोगों ने कोविड संक्रमण के तीन महीने बाद भी कोविड के लक्षण होने की बात बताई है। इन सभी अध्ययनों से यह स्पष्ट है कि हर पांच में से एक से लेकर हर 20 में से एक व्यक्ति में दीर्घ कोविड के लक्षण देखने को मिल रहे हैं।
सुधार की संभावना
अभी तक हमारे पास ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि दीर्घ-कोविड कितने दिन चलेगा। माउंट सिनाई सेंटर फॉर पोस्ट-कोविड केयर में आने वाले अधिकांश रोगियों में तो काफी सुधार देखने को मिला लेकिन 10 प्रतिशत लोगों में कोई सुधार नहीं दिखा।
इनमें से कुछ लोग मायएलजिक एंसेफेलोमाइलाइटिस (एमई/सीएफएस) या स्थायी थकान सिंड्रोम से ग्रसित हो सकते हैं। यह स्थिति विभिन्न वायरल संक्रमणों के बाद उभरती है। वैनएल्ज़कर के अनुसार एपस्टाइन-बार नामक वायरस से ग्रसित 10 प्रतिशत लोग एमई/सीएसएफ से ग्रसित हुए थे। उन्हें कोविड रोगियों में भी इसी तरह की समस्या का संदेह है। अलबत्ता, ऐसे भी लोग हैं जिनकी कोविड सम्बंधी समस्याएं पूरी तरह खत्म हो गई हैं।
कारण
विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान लक्षण वाले लोगों में इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं और उपचार करने के लिए कारणों को समझना ज़रूरी है। एक शोध के अनुसार सार्स-कोव-2 वायरस कई लोगों के शरीर में बस जाता है और कोविड से उबरने के बाद भी लंबे समय तक शरीर में उपस्थित रहता है। 2020 और 2021 में कोविड से मृत 44 लोगों पर किए गए अध्ययन में मस्तिष्क, हृदय और आंतों सहित कई अंगों में सात महीनों से अधिक समय तक सार्स-कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन के साक्ष्य मिले थे। ये साक्ष्य अलक्षणी लोगों में भी पाए गए। यह भी देखा गया कि कुछ लोगों में वायरस तीन महीनों तक अपनी प्रतिलिपि बनाता रहा।
वायरस की उपस्थिति रक्त परीक्षणों में नहीं मिलती। इसके लिए दीर्घ-कोविड रोगियों की आंतों और फेफड़ों से नमूने एकत्रित कर वायरस के ठिकानों का पता लगाना होगा।
शरीर में वायरस के ठिकानों और तकलीफों के संभावित कारणों का पता चलने पर उपचार में मदद मिलेगी। उदारहण के लिए, गंभीर निमोनिया जैसे लक्षणों वाले रोगियों को सांस सम्बंधी पुनर्वास से लाभ हो सकता है जबकि इस तरह का उपचार एमई/सीएफएस वाले रोगियों के लिए घातक हो सकता है। लगातार कोविड के लक्षण वाले रोगियों को एंटीवायरल उपचार से काफी मदद मिल सकती है लेकिन दीर्घ कोविड वाले रोगियों को इस तरह का उपचार देना उचित नहीं है।
क्या करें
विशेषज्ञों की राय है कि यदि लक्षण चार सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है। शुरुआत में कुछ बुनियादी जांचों के साथ हृदय और फेफड़ों की जांच ज़रूरी है। यदि ये लक्षण 12 हफ्तों से अधिक समय तक बने रहते हैं तब विशेषज्ञ उच्च स्तरीय जांच के साथ अधिक आक्रामक इलाज की सलाह देते हैं। चूंकि इस महामारी के दौरान सभी ने एक मुश्किल दौर झेला है इसलिए मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराना भी ज़रूरी है। एमई/सीएफएस की जानकारी सहायक हो सकती है। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - February 2023
- 2022: विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण घटनाएं
- प्रकाशन और पेटेंट में आगे बढ़े भारतीय वैज्ञानिक
- सुपरकंप्यूटर ने पृथ्वी की तस्वीर को नया रूप दिया
- सामाजिक-आर्थिक बदलाव में दिखी विज्ञान की भूमिका
- केरल के ज़मीनी पर्यावरण योद्धा
- जीएम फसल व खाद्य हानिकारक क्यों हैं?
- उपेक्षित कॉफी फिर उगाई जा सकती है
- प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान के लिए वैश्विक संधि
- चीन में कोविड नीतियों में ढील
- क्या आप दीर्घ कोविड से पीड़ित हैं?
- प्राचीन मनुष्यों से मिला प्रतिरक्षा का उपहार
- आंतों के सूक्ष्मजीव व्यायाम के लिए उकसाते हैं!
- नर ततैया भी डंक मारते हैं
- मनुष्यों और जानवरों के संघर्ष दर्शाती नक्काशियां
- प्राचीन शिकारी-संग्रहकर्ता कुम्हार भी थे
- निएंडरथल पके खाने के शौकीन थे
- चींटियों के प्यूपा ‘दूध’ देते हैं
- धनेश पक्षियों का आकर्षक कुनबा