एल्सवियर की एक पत्रिका में प्रकाशित एक पेपर में यह दावा किया गया था कि कोविड-19 रोग सार्स-कोव-2 वायरस से नहीं बल्कि चुंबकीय विसंगतियों के कारण हुआ है। यह पेपर 8 अक्टूबर को साइंस ऑफ दी टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशन के बाद से ही आलोचना का केंद्र रहा है। 29 अक्टूबर को इसे वेबसाइट से हटा लिया गया है।
इस पेपर के प्रमुख लेखक और पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर मोसेज़ बिलिटी संक्रामक रोगों का अध्ययन करते हैं। दी साइंटिस्ट से चर्चा करते हुए वे बताते हैं कि इस अध्ययन की शुरुआत पिछले वर्ष हुई जब अचानक उनकी प्रयोशाला के चूहे बीमार हुए और उन्हें मारना पड़ा। बिलिटी ने चूहों के फेफड़ों तथा गुर्दों के ऊतकों में कुछ बदलाव देखे। बदलाव उन चोटों के समान थे जो मनुष्यों में वैपिंग (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से धूम्रपान) के कारण होते हैं।
मनुष्यों में वैपिंग के कारण होने वाली क्षति और प्रायोगिक चूहों, दोनों के फेफड़ों में आयरन ऑक्साइड पाया गया। बिलिटी के अनुसार मनुष्यों में आयरन ऑक्साइड वैपिंग के कारण जमा हुआ था जो किसी तरह से धरती के चुंबकीय क्षेत्र से क्रिया करता है। इसी के कारण चुंबकीय उत्प्रेरण की प्रक्रिया सक्रिय हो गई। दूसरी ओर चूहे में कमज़ोर प्रतिरक्षा के चलते आयरन की मात्रा अनियंत्रित होने के कारण ऐसे परिणाम सामने आए।
बिलिटी के समूह ने इस वर्ष फरवरी और मार्च में उसी तरह और चूहों को मृत पाया। उन्होंने इस घटना को अमेरिका में कोविड-19 के बढ़ रहे मामलों के साथ जोड़कर देखा और बताया कि यह वसंत विषुव है जिसमें भू-चुंबकीय परिवर्तन होते हैं और यही इस रोग का मुख्य कारण है। पेपर में कहा गया था कि सार्स-कोव-2 तो वास्तव में मानव जीनोम में पहले से ही उपस्थित था जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के साथ फिर से जागृत हो गया है। कोविड-19 तो चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्प्रेरित अन्य रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण हुआ है।
कैल्टेक के भू-विज्ञानी जो किर्शविंक के अनुसार इस पेपर में कई बुनियादी त्रुटियां है। यह सही है शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं लेकिन इसके लिए विसंगतियों का तीन-चार गुना अधिक होना ज़रूरी है। इसके अलावा इस अध्ययन में बिना किसी प्रायोगिक साक्ष्य के यह दावा किया गया है कि जेड तावीज़ के उपयोग से ऐसी विसंगतियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। बिलिटी के अनुसार इसका उपयोग प्राचीन चीनी लोगों द्वारा उस समय किया जाता था जब भू-चुंबकत्व की स्थिति आज के समान थी। किर्शविंक जेड तावीज़ के चुंबकीय गुणों के वर्णन को गलत बताते हैं। इस तावीज़ में चुंबकत्व बहुत दुर्बल होता है जो कोई सकारात्मक परिणाम देने के लिए काफी नहीं है।
इस अध्ययन की काफी आलोचना की जा रही है। कई वैज्ञानिकों ने इस पेपर को ‘छदम विज्ञान’ की संज्ञा दी है और निरस्त करने पर ज़ोर दिया है। इस पेपर के प्रकाशन-पूर्व समीक्षकों पर भी सवाल उठाए गए हैं। पिट्सबर्ग युनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इन्कार किया है लेकिन बिलिटी और सह-लेखक इस गलती की पूरी ज़िम्मेदारी ले रहे हैं। बिलिटी कहते हैं कि उनका उद्देश्य जन स्वास्थ्य अधिकारियों को नीचा दिखाना नहीं बल्कि आगे चर्चा और जांच के लिए एक परिकल्पना प्रस्तुत करना है। अब वे अकेले लेखक के रूप में, तावीज़ या पारंपरिक चीनी चिकित्सा का ज़िक्र किए बगैर, इसे पुन: प्रकाशित करने की योजना बना रहे हैं।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - December 2020
- संपूर्ण लॉकडाउन के विकल्प
- कोविड-19 मौतों में वायु प्रदूषण का योगदान
- कोरोनावायरस की जांच अब सिर्फ 5 मिनट में
- कोविड-19 का तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव
- कोविड-19 और भू-चुंबकत्व: शोध पत्र हटाया गया
- न्यूयॉर्क युनिवर्सिटी ने हटाया सैकलर परिवार का नाम
- कुछ टीकों से एड्स जोखिम में वृद्धि की चेतावनी
- विज्ञान के नोबेल पुरस्कार
- ब्लैक होल से निकला भौतिकी का नोबेल
- रसायन शास्त्र का नोबेल जेनेटिक कैंची के लिए
- क्यूबा ने दिखाई पर्यावरण रक्षक खेती की राह
- अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में तीन हज़ार प्रयोग
- जलवायु की उथल-पुथल का प्राचीन औज़ारों पर असर
- वैश्विक तापमान में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा
- रूबेला वायरस को मिले दो साथी
- कान बजने का झटकेदार इलाज
- विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र से मधुमेह के उपचार की संभावना
- अल्ज़ाइमर की संभावना बताएगी कृत्रिम बुद्धि
- नमक से बढ़ जाती है मिठास!
- माइक्रोप्लास्टिक्स: इकॉलॉजी व जीवों पर नया संकट
- ओज़ोन परत बचेगी तभी जीवन बचेगा
- टार्डिग्रेड का सुरक्षा कवच है प्रतिदीप्ति
- चीन के दुर्लभ पक्षियों के बदलते इलाके
- कठफोड़वा में अखाड़ेबाज़ी
- मैडागास्कर के विशालकाय जीव कैसे खत्म हो गए
- बगैर बैटरी बिजली चालित वाहन
- मायोपिया से बचाव के उपाय
- प्लैनेट-9 की तलाश में एक नई तकनीक का उपयोग
- महिलाएं भी शिकार करती थीं!