वीनस फ्लाईट्रेप (Dionaea muscipula) नामक पौधे में पत्तियों से बने खुले हुए जबड़े करीब आने वाले कीटों का शिकार करने के लिए प्रसिद्ध हैं। कीट इन पत्तियों पर बैठे तो जबड़े खटाक से बंद हो जाते हैं और कीट वहीं फंस जाता है, जिसे पौधा पचा डालता है। जी हां, यह पौधा कीटभक्षी है। लेकिन क्या सच में यह पौधा सभी तरह के कीटों का शिकार करता है?
एक नए अध्ययन से पता चला है कि कुछ कीट इस मांसाहारी पौधे का शिकार होने से बच जाते हैं। दी अमेरिकन नैचुरेलिस्ट में प्रकाशित नॉर्थ कैरोलिना स्टेट विश्वविद्यालय की एल्सा यंगस्टेट के शोध पत्र के अनुसार कई कीट इस पौधे के परागण में मदद करते हैं। परागण वह क्रिया है जिसमें नर फूल के परागकण मादा फूल में मादा जननांग तक पहुंचते हैं। इस क्रिया के बिना पौधे का प्रजनन संभव नहीं होगा। और वीनस फ्लाईट्रैप सहित कई पौधों में यह क्रिया कीटों द्वारा सम्पन्न की जाती है।
यह पौधा उत्तर और दक्षिण कैरोलिना के एक छोटे से इलाके में पाया जाता है। शोधकर्ताओं की रुचि यह जानने में थी कि यह किस तरह दो तरह के कीटों - परागणकर्ताओं और भोज्य कीटों - के बीच फर्क करता है क्योंकि यदि यह अपने परागणकर्ताओं को खा जाएगा तो परागण कौन करेगा?
इस अध्ययन के लिए यंगस्टेट की टीम ने 600 से अधिक कीट एकत्रित किए। इनमें से 400 ऐसे थे जो इस पौधे के फूलों पर मंडराते मिले थे और 200 कीट इस पौधे के शिकार बन चुके थे। इन्हें जबड़ा पत्तियों को खोलकर प्राप्त किया गया था।
इसके बाद यह पता लगाने के लिए कि कोई कीट परागणकर्ता था या नहीं, शोधकर्ताओं ने प्रत्येक कीट पर वीनस फ्लाईट्रैप के पराग कणों का मापन किया। इसके लिए उन्होंने कीटों को पहले तो बर्फ पर रखकर मार दिया और फिर उन पर जिलेटिन की परत बिछा दी। परागकण इस परत पर आ गए जिन्हें सूक्ष्मदर्शी में गिना गया।
उन्होंने पाया कि परागणकर्ता और भोज्य कीटों के बीच ओवरलैप बहुत कम था। यानी परागणकर्ताओं को इस पौधे ने बहुत कम शिकार बनाया था। जैसे चकत्तेदार भृंग और स्वेट मधुमक्खी लगभग कभी शिकार नहीं हुए थे, जो इस पौधे के प्रमुख परागणकर्ता हैं।
ऐसा कैसे होता है? यंगस्टेट की टीम यह देखने की कोशिश कर रही है कि जबड़ा-पत्ती और फूलों के बीच क्या अंतर हैं कि वे अलग-अलग कीटों को आकर्षित करते हैं। एक स्पष्ट अंतर यह है कि जहां फूल शीर्ष पर लगते हैं, वहीं कीट पकड़ने के लिए खुले जबड़े नीचे की ओर होते हैं। फूल जबड़ा पत्तियों से लगभग 15 से 35 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर थे। तो लगता है कि उड़ने वाले आगंतुकों को तो भोजन मिल जाता है लेकिन बेचारे ज़मीन पर चलने वाले कीट दावत बन जाते हैं। यंगस्टेट की टीम गंध, रंग जैसे अन्य अंतरों का भी विश्लेषण कर रही है। (स्रोत फीचर्स)