लाइकेन जीवजगत में सहजीविता के उम्दा उदाहरण हैं। इनमें कम से कम दो साझेदार पाए जाते हैं। इनमें से फफूंद होती है जो लाइकेन का ढांचा तैयार करती है और सुरक्षा मुहैया कराती है। दूसरी साझेदार शैवाल यानी एल्गी होती है जो प्रकाश संश्लेषण के ज़रिए शर्करा के रूप में ऊर्जा उपलब्ध कराती है। हाल का एक अध्ययन बता रहा है कि संभवत: यह साझेदारी अब स्थायी बन चुकी है और ये साझेदार अलग-अलग जीवन यापन नहीं कर सकते।
कोलेरैडो विश्वविद्यालय की स्नातक छात्र क्लो पोगोडा के नेतृत्व में 22 अलग-अलग लाइकेन्स का अध्ययन किया गया और पता चला कि कम से कम 10 लाइकेन में फफूंद साझेदार ने अपना वह जीन गंवा दिया है जो ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है। इस प्रकार से ये फफूंद पूरी तरह शैवाल साथी पर निर्भर हो चुकी हैं।
हालांकि वैज्ञानिक यह बात काफी समय से जानते हैं कि लाइकेन में दोनों जीवों के बीच कार्य विभाजन होता है मगर यह स्पष्ट नहीं था कि क्या इन दोनों जीवों का विकास इस ढंग से हुआ है कि यह साझेदारी अब इनके लिए मजबूरी बन चुकी है।
पोगोडा और उनके साथियों ने दक्षिणी अपालेचियन पर्वत से एकत्रित 22 लाइकेन प्रजातियों के जीनोम्स में क्षारों का अनुक्रमण किया। इसमें उन्होंने दोनों साझेदारों के माइटोकॉण्ड्रिया पर ध्यान केंद्रित किया। माइटोकॉण्ड्रिया सजीव कोशिका में ऑक्सीजन का उपयोग करके शर्करा से ऊर्जा उत्पादन में भूमिका निभाते हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि माइटोकॉण्ट्रिया में अपना स्वतंत्र जीनोम होता है।
अध्ययन से पता यह चला कि 22 में से 10 लाइकेन्स के फफूंद साथी में माइटोकॉण्ट्रिया में एक प्रमुख जीन नदारद था। इससे पता चलता है कि यह सहजीविता अब बंधनकारी है। और तो और, जीनोम की काट-छांट की यह रणनीति विकास के क्रम में तीन बार स्वतंत्र रूप से विकसित हुई है क्योंकि उपरोक्त 10 लाइकेन तीन अलग-अलग वैकासिक समूहों से थे।
पोगोडा व उनके साथियों के ये निष्कर्ष मॉलीक्यूलर बायोलॉजी नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। इस संदर्भ में अध्ययन के मार्गदर्शक एरिन ट्रिप का कहना है कि यहां हो यह रहा है कि फफूंद-साथी ने अपनी ऊर्जा मशीनरी को तिलांजलि दे दी है, जिसके चलते वह एक सुदृढ़ ढांचा बनाने और प्रजनन करने में ज़्यादा मुस्तैदी से भूमिका निभा सकता है। ट्रिप को लगता है कि संभव है कि हमारी आंतों में पलने वाले बैक्टीरिया ने भी ऐसी रणनीति अख्तियार करते हुए अपनी मशीनरी में काफी काट-छांट की होगी। (स्रोत फीचर्स)