पृथ्वी की सबसे पुरानी चट्टानों में से एक चांद पर मिली है। अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा प्राप्त की गई एक विशाल चट्टान में 2 से.मी. की किरच धंसी हुई मिली है जो आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपनी धरती की 4 अरब वर्ष पुरानी चट्टान का टुकड़ा है। फ्लोरिडा स्टेट विश्वविद्यालय के खगोल-रसायनज्ञ मुनीर हुमायूं का कहना है कि यह अत्यंत चौंकाने वाला निष्कर्ष है मगर सत्य हो सकता है।
इस खोज के बाद हमें पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास और उस पर होने वाली आकाशीय ‘बमबारी’ के बारे नए ढंग से सोचने में मदद मिलेगी। चांद पर मिले इस पत्थर की जानकारी हाल ही में अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुई है। इस शोध में शामिल चंद्र-भूगर्भ विशेषज्ञ डेविड क्रिंग का कहना है कि चट्टान के बनने के बाद एक उल्का की टक्कर के कारण वह अंतरिक्ष में बिखर गई होगी और चांद पर पहुंच गई होगी। गौरतलब है कि उस समय चांद पृथ्वी के बहुत निकट था - आज के मुकाबले एक-तिहाई दूरी पर ही था। किसी तरह से यह टुकड़ा चांद की किसी चट्टान में समाहित हो गया और अंतत: 1971 में अपोलो 14 के अंतरिक्ष यात्री इसे वापिस पृथ्वी पर ले आए। यह पहली बार है कि चांद से मिली किसी चट्टान को पृथ्वी की मूल निवासी बताया गया है।
दरअसल, कई वर्ष पहले क्रिंग और उनके साथियों को इसी तरह की चांद की चट्टान में उल्काओं के टुकड़े मिले थे। इस आधार पर ही वे वहां पृथ्वी के टुकड़ों की खोज कर रहे थे। उक्त चट्टान के खनिज का विश्लेषण करने पर उसकी उत्पत्ति का सुराग मिल गया। जैसे, चट्टान में उपस्थित युरेनियम तथा उसके विखंडन से बने तत्वों के विश्लेषण से चट्टान के निर्माण का समय पता चला और टाइटेनियम की मात्रा के आधार पर उस समय के तापमान और दबाव का अंदाज़ लग गया।
क्रिंग के मुताबिक इस विश्लेषण के परिणामों से स्पष्ट हो गया कि इस चट्टान का निर्माण ऐसे स्थान पर हुआ था जहां पानी प्रचुर मात्रा में मौजूद था। निर्माण के समय के तापमान और दबाव से संकेत मिलता था कि यह चट्टान या तो पृथ्वी पर 19 कि.मी. की गहराई पर अथवा चांद पर 170 कि.मी. की गहराई पर बनी होगी। चूंकि 170 कि.मी. की गहराई की बात अजीब लगती है, इसलिए ज़्यादा संभावना यही है कि इसकी उत्पत्ति पृथ्वी पर हुई है।
यदि यह चट्टान वास्तव में पृथ्वी की है तो इसमें उस प्राचीन काल के सुराग मौजूद होंगे जिसे हैडियन कहते हैं। इसका यह भी मतलब होगा कि उस काल में पृथ्वी पर उल्काओं की ऐसी ज़ोरदार बारिश हुआ करती थी कि कोई टुकड़ा उछलकर चांद तक पहुंच सकता था। चांद से अलग-अलग यानों द्वारा कुल मिलाकर 382 कि.ग्रा. पत्थर लाए जा चुके हैं। ज़ाहिर है अब वैज्ञानिक इनकी छानबीन में जुट जाएंगे। (स्रोत फीचर्स)