ऑस्ट्रेलिया के एडीलेड विश्वविद्यालय की ज़ो डबलडे और उनके साथी अध्ययन तो कर रहे थे समुद्र में एक स्थानीय प्रजाति - ऑस्ट्रेलियन कटलफिश - की तादाद में गिरावट का मगर उन्होंने पाया यह कि दरअसल समुद्र में ऑक्टोपस और सम्बंधित प्रजातियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है।
कटलफिश वास्तव में मछली नहीं होती बल्कि यह प्राणि जगत के समुदाय सेफेलोपोडा की सदस्य है। इस समुदाय में ऑक्टोपस वगैरह प्राणि शामिल हैं। डबलडे यह जानना चाहती थीं कि कटलफिश की आबादी में जो गिरावट देखी गई है वह किसी कुदरती चक्र का हिस्सा है या कुछ और। इसके लिए उन्होंने सेफेलोपॉड मत्स्याखेट के सर्वेक्षणों के आंकड़े देखे। ये आंकड़े आम तौर पर सामान्य मत्स्याखेट के दौरान पकड़े गए सेफेलोपॉड्स के होते हैं, जिन्हें आम तौर पर वापिस समुद्र में फेंक दिया जाता है।
जब उन्होंने देखा कि पिछले 6 दशकों में दुनिया भर के समुद्रों में, तटवर्ती और गहरे दोनों समुद्रों में सेफेलोपॉड्स की संख्या नाटकीय ढंग से बढ़ी है, तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। और यह भी पता चला कि 2013 के बाद कटलफिश की संख्या भी बढ़ने लगी है। मगर अब डबलडे का सरोकार सिर्फ कटलफिश तक सीमित नहीं था।
विश्व स्तर पर सेफेलोपॉड्स की संख्या में वृद्धि का कारण स्पष्ट नहीं है अलबत्ता कुछ सशक्त परिकल्पनाएं ज़रूर विकसित की गई हैं।
एक परिकल्पना तो यह है कि जब मत्स्याखेट में बेतहाशा वृद्धि होती है तो समुद्र में मछलियों की संख्या घटती है। ये मछलियां सेफेलोपॉड प्राणियों का शिकार करके भक्षण करती हैं। शिकारी के न होने पर शिकार को संख्या वृद्धि का मौका मिल जाता है।
इस संदर्भ में इक्वेडॉर के जीव वैज्ञानिक रिगोबर्टो लोसास-लुइस का कहना है कि सेफेलोपॉड्स सामान्यत: बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करते हैं और इनका जीवन चक्र छोटा होता है। इस वजह से किसी भी इकोतंत्र में रिक्त हुई जगह को भरने में ये मुफीद होते हैं।
दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि समुद्रों का तापमान बढ़ने का फायदा भी शायद सेफेलोपॉड जंतुओं को मिल रहा है क्योंकि बढ़ा हुआ तापमान इनके जीवन चक्र को तेज़ कर देता है (जब तक कि तापमान इतना न बढ़ जाए कि वह असहनीय हो जाए)। इसके अलावा भोजन के मामले में ये जीव अपेक्षाकृत लचीले होते हैं। इन दोनों के चलते जलवायु परिवर्तन के इस प्रारंभिक दौर में इन्हें फायदा मिल रहा है और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
अभी यह कहना मुश्किल है कि क्या सेफेलोपॉड्स की संख्या वृद्धि अच्छी बात है या नहीं। इनकी संख्या बढ़ेगी तो समुद्र में अन्य प्राणियों को ज़्यादा भोजन मिलेगा और वे मनुष्य का भोजन बनेंगे। मगर साथ ही अभी यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि पूरे इकोतंत्र पर इनका क्या असर होगा। डबलडे को सिर्फ इतनी उम्मीद है कि उनके इस अध्ययन से सेफेलोपॉड्स में रुचि बढ़ेगी और कई नए शोध सामने आएंगे। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - July 2016
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