सवाल: जब खौलते हुए तेल पर पानी की कुछ बूँदें गिर जाती हैं तो उसमें से कुछ फूटने या तड़तड़ाने की आवाज़ें क्यों आती हैं?
जवाब: चट् चट् चट् ... ये आवाज़ें सुनने को मिलती हैं जब गरम तेल में पानी के छींटे गिर जाएँ। जान-बूझकर तो कोई ऐसा करता न होगा पर हाँ, कई बार बर्तन में पहले से पानी होने के कारण, या गीले हाथों से, या फिर गीली चम्मच से पानी के छींटे गरम तेल में गिर ही जाते हैं, और ऐसा होते ही तेल एकदम से छिटकता है। कभी-कभी ये छींटे चेहरे या बदन पर उचट जाते हैं और इनसे छाले भी पड़ जाते हैं।
पानी की बूँदें अगर ठण्डे तेल में गिरें तो बस होता इतना है कि ये तेल की सतह पर तैरने लगती हैं। अगर हम देखें तो वास्तव में फर्क तेल के तापमान से पड़ता है। जब तेल को रसोई में गर्म करते हैं तो उसका तापमान लगभग 200 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। इतने गर्म तेल में गिरते ही पानी तुरन्त गर्म होने लगता है। तेल की तापीय ऊर्जा (थर्मल एनर्जी) पानी को स्थानान्तरित होने लगती है जिसके चलते पानी उबलकर भाप में परिवर्तित होने लगता है।
वास्तव में, काफी हद तक यह प्रक्रिया ऊर्जा स्थानान्तरण की प्रकृति पर निर्भर करती है। जब ऊर्जा का स्थानान्तरण चालन (conduction) की प्रक्रिया के द्वारा होता है तब तापीय ऊर्जा पदार्थ से पदार्थ में स्थानान्तरित होती है जैसा कि यहाँ हो रहा है। ऐसे में पदार्थ का जो हिस्सा ऊर्जा स्रोत के सीधे सम्पर्क में होता है उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है और ऐसा तापीय ऊर्जा के गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होने के कारण होता है। अब पदार्थ के कण पहले की अपेक्षा कहीं अधिक तेज़ी से कम्पन और गति करने लगते हैं। पदार्थ के अणुओं और परमाणुओं के बीच एक प्रत्यास्थता के भीतर ही टक्कर होने लगती है। इस तरह की एक ाृंखला अभिक्रिया पूरे पदार्थ में शु डिग्री हो जाती है। और इस तरह गतिज ऊर्जा में बढ़ोत्तरी और टक्करों के चलते पानी की बूँद का तापमान तेज़ी से बढ़ता है व वह भाप में तब्दील होने लगती है। तेल बहुत गर्म हो तो इस पूरी प्रक्रिया को एक सेकण्ड से भी कम समय लगता है।
इतने कम समय में भाप बनने से पानी का आयतन एकदम से बढ़ जाता है और तेल पर भाप में विस्फोट होता है। भाप के विस्फोट के साथ गर्म तेल छिटकता है। और इस विस्फोट के कारण छिटकने और तड़ तड़ तड़... की आवाज़ें आती हैं।
इस जवाब को अम्बरीष सोनी ने तैयार किया है।
अम्बरीष सोनी: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।