जंतु स्वभाव(Animal behaviour)
क्या बताता है जुगनू चमक कर . . . गर कोई पूछे तो क्या करें। वैसे इस उलझन में न फंसे फिर भी अंधेरे में हवा में उड़ती, चमकती, बुझती और फिर से चमकती चीज़ कौतुहल तो पैदा करती ही है। दरअसल जुगनु का चमकना वैसे ही है जैसे कि मेढ़कों का टर्राना, झींगुर का खनकती हुई आवाज़ में चिल्लाना जो कभी-कभी तो इतनी तेज़ होती है कि कान पर हाथ रखने को मजबूर कर देती है।
चलिए थोड़ी साफगोई से बात करते हैं। ज़रा गौर से जुगनू के चमकने और बुझने पर नज़र रखिए। इनक जलने, बुझने और फिर जलने के बीच एक निश्चित अंतराल होता है। एक प्रजाति के नर और मादा दोनों में यह लय मौजूद होती है। जुगनू की अलग-अलग प्रजातियों में यह लय फर्क होती है (देखिए चित्र)। इसी लय के आधार पर प्रजाति विशेष की मादा अपनी प्रजाति के नर को और नर, मादा का पहचानता है।
जो जुगनू हमें यहां वहां उड़कर रोशनी जलाता और बुझाता दिखता है वो आमतौर पर नर होता है। मादा कहीं पेड़, झाडि़यों के बीच बैठी रहती है। वह उड़ते नर की लय को देखती है और उसी लय में उसे अपनी उपस्थिति की जगह का संकेत देती है। और नर पहुंच जाता है उसके पास।
वैसे जुगनूओं के बीच सिर्फ इस लय का ही फर्क नहीं होता बल्कि यह फर्क जुगनू से निकलने वाले प्रकाश क रंग का, या उसकी तीव्रता का भी हो सकता है। दक्षिण अमेरिका और वेस्टइंडीज मे पाया जाने वाला एक जुगनू तो इतना चमकीला प्रकाश फेंकता है कि वहां के लोग कई जुगनूओं को पकड़कर किसी छेददार बर्तन में भर देते हैं और ये जुगनू उनके घर को रोशनी से भर देते हैं।
तो अबकी बार किसी जुगनू को देखें तो उससे निकलने वाले प्रकाश पर मुग्ध होने के साथ-ही उसकी चमकने बुझने की आवृति पर भी गौर कीजिएगा। और हां, झींगुर और मेंढक वाली बात हम भूले नहीं हैं, उस पर भी चर्चा करेंगे, लेकिन अभी नहीं।
प्रजाति विशेष के सिग्नल: जुगनू की संसार मे करीब दो हज़ार के आसपास प्रजातियां हैं। प्रत्येक प्रजाति का चमक-बुझ-चमक कर सिग्नल देने का तरीका बिल्कुल अलग है, जा उसकी अन्य प्रजातियों से फर्क एक अनोखी पहचान बनाता है। चित्र में रेखाचित्र की मदद से इसे स्पष्ट किया गया है।