माधव केलकर

बच्चों को कक्षा में जैसा बताया गया उन्होंने मान लिया, इस दिशा में उनकी एक धारणा बन गई। यह धारण कहां तक चली - पहली से पांचवीं तक या दसवीं तक या फिर और आगे....? भिन्न के सिद्धांत को बच्चों ने कैसे समच। पांचवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के बीच किए गए एक सर्वे पर आधारित एक रिपोर्ट।

अक्सर विद्यार्थी गणित के बहुत से सवालों के जवाब तो सही लिख देते हैं लेकिन जवाब उन्होंने किस समझ के साथ दिए हैं इस बात की तह में जाने की कोशिश हम लोग कम ही करते हैं। इसलिए थोड़ा गहराई में जाकर बच्चों में भिन्न की समझ की जांच करने के उद्देश्य से हमने एक टेस्ट पेपर तैयार किया और कक्षा पांचवीं व दसवीं के विद्यार्थियों से उसे हल करवाया1 साथ ही बच्चों से बातचीत करके यह जानने की कोशिश भी की गई कि उन्होंने अपने उत्तर क्या सोचते हुए दिए हैं। इस बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश यहां दिए जा रहे हैं।

1/4 का क्या अर्थ

मैं पांचवीं कक्षा में एक टेस्ट पेपर लेकर  गया जिसमें भिन्न से संबंधित कुछ सवाल थे। क्लास रूम में जाकर ब्लैक बोर्ड पर सवाल लिख दिए। थोड़ी देर बाद बच्चे सवाल हल करके उत्तर पुस्तिकाएं देने लगे। मैं भी उत्सुकतावश उत्तरों पर एक नज़र डालने लगा। मैंने देखा टेस्ट पेपर के प्रश्न “1/4 को चित्र से दिखाओ।” को कई बच्चों ने सिर्फ गोले या चौकोन को चार हिस्सों में बांटकर दिखाया था। मुझे लगा शायद बच्चे चार हिस्सों में एक एक हिस्से में रंग भरना भूल गए हैं। इसलिए मैंने बच्चों से यूं ही पूछा कि एक बटा चार को चित्र से कैसे दिखाएंगे?

तुरंत तीन-चार बच्चों ने हाथ हवा में लहराकर कहा, “मैं बताऊंगा सर।” मैंने एक बच्चे को बुलाकर ब्लैक बोर्ड पर बनाने को कहा। बच्चे ने एक गोला बनाया और उसके चार हिस्से कर दिए।”

उसी समय एक दूसरा लड़का भागकर ब्लैक बोर्ड के पास आया और बोला, “सर यह गलत बनाया है।

मैंने उससे कहा, “तो तुम एक बटा चार को सही-सही बनाकर दिखाओ।”

दूसरे लड़के ने एक बड़ा चौकोन बनाया और उसे चार हिस्सों में बांटा और बोला यह है एक बटा चार।

तब पहला बच्चा बोला, “मैंने भी तो यही बनाया है सर।”

अब मुझे मामला दिलचस्प लगने लगा था। मैंने दूसरे बच्चे से पूछा, “इसने गोले को चार हिस्सों में बांटा और तुमने चौकोन को। लेकिन तुम तो कह रहे थे इसने गलत बनाया है। इन दोनों में क्या अंतर है?”

दूसरा बच्चा चुप रहा।

तब मैंने कक्षा की ओर देखकर पूछा, “क्यों भाई इन दोनों ने एक बटा चार बनाया है या नहीं?”

एक तीसरा बच्चा ब्लैक बोर्ड के पास आया और उसने एक गोला बनाया। उसे चार हिस्सों में से एक हिस्से में रंग भरा और बोला, “यह है एक बटा चार।”

दूसरा बच्चा जिसने चौकोन बनाया था बोल पड़ा, “मैं भी ऐसा ही बनाने वाला था।”

मैंने तीसरे बच्चे से पूछा, “अच्छा यह तो बताओ तुमने चार हिस्सों में से एक हिस्से को ही क्यों रंगा? और बाकी गोले को क्यों छोड़ दिया?”

बच्चा कुछ सकुचाया और बोला, “यह तो मालूम नहीं सर, लेकिन हमें एक बटा चार ऐसे ही बनाना सिखाया गया था।”

दूसरा बच्चा (जिसने चौकोन को चार हिस्सों में बांटा था), “मैं बताऊं सर, एक हिस्सा क्यों रंगते हैं?”

मैंने तुरंत उस बच्चे से कहा, “हां-हां ज़रूर बताओ।

बच्चा ब्लैक बोर्ड पर अपने बनाए चौकोन के पास गया और बोला, “जी इस चौकोन में पांच चौकोन हैं, चार छोटे और एक बड़ा। और हमें चाहिए एक बटा चार इसलिए एक चौकोन को रंगकर अलग कर दिया। अब इस बड़े चौकोन में तीन चौकोन बच गए। और कुल चौकोन चार हो गए, तीन छोटे और एक बड़ा चौकोन। हो गया एक बटा चार।”

मैंने उस बच्चे से फिर कहा, “तुम्हारी चार चौकोनों वाली बात तो ठीक है। क्या तुम यह बात गोले के साथ भी बता सकते हो कि बड़े गोले में चार छोटे गोले कैसे होते हैं?”

बच्चे ने एक नज़र ब्लैक बोर्ड पर डाली और बोला, “इसीलिए तो मैं कह रहा था कि गोले से एक बटा चार दिखाना गलत है।”


3/4 का क्या है मतलब...

पांचवीं कक्षा में टेस्ट पेपर करवाने के बाद मैं दसवीं कक्षा में गया1 वहां सवाल लिखवाने के कुछ देर बाद ही बच्चों ने उत्तर पुस्तिकाएं देना शुरू कर दिया। मैंने कुछ उत्तरों को देखा और यूं ही पूछ लिया, “कौन-सा प्रश्न सबसे कठिन लगा?”

एक लड़के ने बताया, “जी चित्र वाला, जिसमें तीन बेटे चार को चित्र से दिखाना था।” लेकिन तीन-चार लड़के बोल पड़े, “सरल था, सरल था।”

मैंने पहले लड़के से पूछा कठिन क्यों लगा तो उसने बताया, “जी तीन बटे चार को चित्र से कैसे दिखाना है नहीं मालूम।”

अब मैंने उन तीन लड़कों को ब्लैक बोर्ड के पास बुलाया (जिन्होंने कहा था सरल है) और कहा, “तुम तीन बटे चार बनाकर अपने साथी को समझा दो।”

एक लड़के ने एक गोला बनाया, उसे चार हिस्सों में बांटा और तीन हिस्सों में रंग भरकर कहा, “हो गया तीन बटे चार।”

बाकी दो लड़कों ने भी कहा, “हो गया तीन बटे चार।”

मैंने उन तीनों से पूछा, “यह तीन हिस्से रंगने का क्या मतलब है? यह तीन बटे चार कैसे हो गया?”

उस तीन लड़कों में से दो लड़के तुरंत अपनी जगह पर लौट गए लेकिन एक लड़का खड़ा रहा। उस लड़के ने बताया, “तीन बटे चार यानी पचहत्तर प्रतिशत हो गया।”

मुझे आश्चर्य हुआ कि बात प्रतिशत पर कैसे पहुंच गई। इसलिए मैंने पूछा, “यह कैसे पता चलेगा कि तीन बटे चार पचहत्तर प्रतिशत होता है?”

लड़के ने तुरंत ब्लैक बोर्ड पर मुझे समझाया

3/4 X 100 उ 75 प्रतिशत और गोले पर बनाए 3/4 की ओर इशारा करके बोला, “यह 75 प्रतिशत ही है। इसीलिए मैंने ऐसा चित्र बनाया।”

मैंने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा कि यदि तीन चार पचहत्तर प्रतिशत होता है तो एक तिहाई, एक बटा दो, एक चौथाई और एक सही एक बटे चार कितने प्रतिशत होंगे और इन्हें चित्र से कैसे दिखा सकते हैं?

लड़के ने तुरंत ब्लैक बोर्ड पर लिखना शुरू किया -

1/2     X  100 =  50%

1।4     X  100 =  25%

1/3     X  100 =  33%

1 1/4 X  100 =  - - -

यहां वह कुछ रुकर सोचने लगा फिर बोला, “कठिन है। मुझसे नहीं बनेगा।”

मुझे एक बात दिलचस्प लग रही थी कि लड़के ने 1/2, 1/4 के लिए तो गोले का इस्तेमाल किया लेकिन 1/3 के लिए चौकोन का। मैंने उससे पूछ ही लिया, “एक बटे तीन के लिए चौकोन का इस्तेमाल क्यों किया? गोले का भी तो कर सकते थे।”

लड़का थोड़ा चौंक-सा गया लेकिन फिर बोला, “एक बटे तीन ऐसे ही दिखाते हैं।”

मैंने फिर पूछ लिया, “अच्छा यह तो बताओ तुमने 1/2 के लिए गोले को आधा रंगा और 1/4 के लिए चौथाई हिस्सा ही क्यों रंगा?” लड़के ने सहजता से बताया, “जी, हमें प्रायमरी में 1/2, 1/4 बनाना ऐसे ही सिखाया गया था।”

मैंने उस लड़के को अपनी जगह जाकर बैठने के लिए कहा।

फिर पूरी कक्षा से पूछा, “अच्छा बताओ तीसरे प्रश्न में पूछा था और 5/2 में से कौन-सा भिन्न बड़ा है? इसका सही उत्तर क्या है?”

सभी लड़कों ने एक स्वर में बताया, “जी दोनों भिन्न समान हैं।”

मैंने ब्लैक बोर्ड पर चित्र के रूप में दो भिन्न बनाई।

और पूछा, “ये दोनों भिन्न बराबर हैं या नहीं?” सभी ने बताया समान नहीं हैं।

एक-दो ने बताया, “जी, आकार अलग-अलग है।”

मैंने फिर कोशिश की, “क्या तुम्हें ये दोनों भिन्न 1/2 जैसे नहीं लगते?”

लेकिन लड़के चुप रहे। मैं चाहकर भी उनकी चुप्पी नहीं तोड़ पाया।

5/4 : गुत्थी नहीं सुलझ सकी

इस बार जिस स्कूल में टेस्ट पेपर लेकर पहुंचा वह ग्रामीण क्षेत्र का स्कूल कहलाता है। यहां भी दसवीं कक्षा में टेस्ट पेपर दिए। गणित के एक शिक्षक भी कक्षा में बैठना चाहते थे। वैसे मैंने उन्हें बताया कि इस टेस्ट पेपर का उद्देश्य शिक्षक का मूल्यांकन नहीं है। हम तो यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विद्यार्थियों में भिन्न की समझ कहां तक विकसित हो सकी है।

टेस्ट पेपर शिक्षक की उपस्थिति में ही विद्यार्थियों ने हल किए। सभी से उत्तर पुस्तिकाएं लेकर मैंने शिक्षक से अनुरोध किया कि आप स्टाफ रूम में बैठिए, मैं लड़कों से टेस्ट पेपर के संबंध में कुछ चर्चा करना चाहता हूं।

उनके जाने पर मैंने लड़कों से बातचीत शुरू की।

मैंने सभी से पूछा, “तुम लोग पौन, सवा, आधा, चौथाई को बड़े से छोटे क्रम में क्यों नहीं जमा पाए। इस प्रश्न में क्या कठिनाई महसूस हुई?”

कुछ लड़कों ने तुरंत कहा कठिन नहीं था। लेकिन सामने की कतार में बैठी एक लड़की ने कहा, “जी हवा का मतलब समझ में नहीं आया।”

पीछे से एक लड़का चिल्लाया, सवा का मतलब सरल है, “सवा किलो, सवा पाव।”

एक दूसरा लड़का बोला, “सवा यानी एक सही एक बटा चार।” उसके पास बैठा एक और लड़का बोला, “सवा यानी पांच बटे चार।”

मुझे बात दिलचस्प लगी। मैंने ब्लैक बोर्ड पर  और 5/4 लिखा और पूछा, यह लड़का कहता है वा यानी है और इसका साथी कहता है कि 5/4 सवा होता है क्या ये दोनों सही हैं?”

सभी ने एक साथ कहा, “हां सर, दोनों सही हैं।”

मैंने कहा, “कोई बताएगा किस तरह 5/4 होता है।”

एक लड़के ने तुरंत ब्लैक बोर्ड पर आकर बताया - चार एकम चार और यह एक जोड़ा, हो गए पांच यानी पांच बटे चार।

तभी एक लड़का बोला, “सर पांच बटे चार यानी 1.25 होता है।”

मैंने उसे ब्लैक बोर्ड के पास बुलाया और 1.25 कैसे बना बताने को कहा। उसने तुरंत हल करना शुरू किया - 

मैंने कहा, “भाई ऐसा भाग देते तो हमने कहीं नहीं देखा। हमेशा भाग न जाने पर दशमलव लगाना और शून्य बढ़ाते हुए ही देखा है।

उसने तुरंत गलती सुधारकर लिखा -

 

और बोला, “5/4 हो गया न 1.25।”

मैंने कहा, “यह तो ठीक है, 5/4 का मतलब 1.25 हुआ लेकिन इसे चित्र के रूप में भी दिखाना है। क्या तुम बना सकते हो?”

लड़के ने तुरंत कहा, “1.25 को चित्र द्वारा बनाना तो कठिन है लेकिन 5/4 का चित्र बनाना सरल है।”

इतना कहकर वह लड़का अपनी जगह पर जाकर बैठ गया। मैंने सभी से पूछा, “चलो 1.25 कठिन है लेकिन पांच बटे चार तो चित्र बनाकर दिखा सकते हैं। तुम लोगों में से जो कोई 5/4 बना सकता है यहां आकर बना जाए।”

एक लड़का आया उसने पांच बटे चार इस तरह बनाया:

दूसरे लड़के ने कहां पांच बटे चार को बनाने के और भी तरीके हैं और उसने बनाया:

मैंने कक्षा के सभी लड़के-लड़कियों पर नज़र डालकर कहा, “क्या 5/4 बनाने के और भी तरीके हैं?”

तब एक लड़के ने ब्लैक बोर्ड पर आकर यह चित्र बनाया:

उसने बताया 5/4 का मतलब है चौकोन तो पांच होंगे लेकिन दिखाई देंगे सिर्फ चार। मैंने पूछा यह कैसे हो सकेगा। तो उसने बताया, “देखिए चौकोन 1, 2, 3 तो एक-एक हैं लेकिन चौकोन नंबर चार में दो चौकोन हैं लेकिन दिखाई सिर्फ एक ही दे रहा है?”

मैंने उसके तर्क पर कक्षा में राय मांगी। कुछ ने सहमति व्यक्त की। एक लड़के ने हाथ ऊंचा करके कुछ कहने की इजाज़त चाही। मैंने उससे बोलने के लिए कहा तो उसने बताया कि पांच बटे चार का चित्र बनाने का एक और तरीका है उसने ब्लैक बोर्ड पर चित्र बनाया:

मैंने उससे पूछा, “यह पांच बटे चार कैसे बना समझाओ तो भला।” लेकिन वह ‘नहीं समझा सकूंगा’ कहकर अपनी जगह पर चला गया। अब मुझे भी लगा कि इस कक्षा में पांच बटे चार की गुत्थी तो अब सुलझती नहीं लगती।


माधव केलकर - संदर्भ में कार्यरत

यह रिपोर्ट उदयपुर (राजस्थान) के तीन स्कुलों में कक्षा 5वीं और 10वीं के विद्यार्थियों के बीच किए गए सर्वे पर आधारति है। यह सर्वे अभी हाल ही में किया गया।


ज़रा सिर तो खुजलाइए..

अरे! इन चिड़ियों ने तो खबर की चप्पल भी नहीं पहनीं हैं, कितने आराम से बैठीं हैं बिजली के तारों पर, क्या इन्हें करंट नहीं लगता?

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