फ्यूज़ बिजली के बल्व में रंगबिरंगा पानी डालकर उनसे घर को सजाया हुआ तो आपने कई बार देखा होगा। लेकिन ऐसे फ्यूज़ बल्व से हम कुछ प्रयोग कर सकते हैं और इनसे विज्ञान के कुछ सिद्धांतो को समझ सकते हैं।

इस तरह के प्रयोगों के लिए ज़रूरत है सिर्फ फ्यूज़ बल्व को सावधानी से फोड़कर अंदर की कांच की नली वगैरह निकाल देते हैं। अब हमारे पास बचता है सिर्फ खोखला बल्व।

पहला प्रयाग: खोखले बल्व में कुछ पानी भर दीजिए। अब यह एक लेंस के समान काम करेगा। दोपहर के समय जब सूर्य काफी ऊपर चढ़ जाता है तब इस बनाए हुए लेंस को सफेद कागज़ के ऊपर पकड़कर बल्व को इस तरह ऊपर या नीचे लाते हुए कोशिश कीजिए, कि इस बल्वनुमा लेंस से होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें एक बिन्दु के रूप में कागज़ पर दिखाई दें।

जैसे ही ऐसी स्थिति मिले आप स्केल की मदद से बल्व के निचले सिरे से (जहां पानी है) कागज़ की दूरी को नापिए। यह दूरी इस लेंस की फोकल दूरी है। यानी लेंस से इस दूरी पर रखी कोई भी चीज़ इस लेंस से साफ-साफ दिखाई देगी।

दूसरा प्रयोग: बल्व की कागज़ पर जो छाया बनती है उसकी बहिरेखा (Out Line) प्राप्त कीजिए। इस वृत की त्रिज्या मालूम करने के लिए बहिरेखा पर दो ज्या (Chord) अंकित कीजिए। दोनों ज्या के मध्य बिन्दुओं पर लंब रेखाएं खींचिए। जहां ये दोनों रेखाएं काटती है वह वृत का केन्द्र है। अब वृत की त्रिज्या नापिए। यह गोलाकार बल्व की भी त्रिज्या भी है। पानी के द्वारा बने इस लेंस का एक पृष्ठ समतल है तो एक पृष्ठ वक्र है। वक्र पृष्ठ त्रिज्या r तय की गई है।

अब ( μ - 1 / μ ) सूत्र की सहायता से पानी का भुजायनांक (Refractive Index) मालूम किया जा सकता है।

एक खेल भी: फ्यूज़ बल्व में चित्र में दिखाए अनुसार गीली मिट्टी भर दीजिए। मिट्टी गीली करते समय इस बात का ध्यान ज़रूर रखिए कि मिट्टी में पानी काफी कम मिलाना है। अब लकड़ी की सींक पर कागज़ का एक छोटा-सा मुखौटा चिपकाकर इस सींक को बल्व के अंदर भरी गीली मिट्टी में गड़ा दीजिए।

यह बन गई एक गुड़िया। इस गुड़िया को एक ओर सुलाकर छोड़ देने पर गुड़िया तुरंत उठ खड़ी होती है। एक बार फिर से दोहराकर देखिए। फिर से गुड़िया उठ खड़ी होगी। सोचिए तो ऐसा क्यों हो रहा है। क्या कोई सिद्धांत भी इसके पीछे काम कर रहा है?


डॉ. पुरुषोत्तम खांडेकर, नागपुर