सर्दियों का मौसम चल रहा है। ठंड से राहत के लिए हम तरह-तरह की व्यवस्थाएं करते हैं, जैसे चाय-कॉफी, गर्म कपड़े, अलाव वगैरह। लेकिन ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले जीवों के लिए तो इस तरह के उपाय अपनाना संभव नहीं है। लेकिन बायोफिज़िकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन आर्कटिक में रहने वाली सील की ठंड से राहत पाने की एक नायाब व्यवस्था का उल्लेख करता है - सील की नाक की अनोखी हड्डियां तुलनात्मक रूप से उनके शरीर में अधिक गर्मी संरक्षित रखती हैं।
जब आर्कटिक की सील तेज़-तेज़ सांस खींचती-छोड़ती हैं तो फेफड़ों में पहुंचने के पहले बर्फीली नम हवा नासिका से घुसकर उनकी नाक की हड्डियों (मैक्सिलोटर्बिनेट्स) से गुज़रती है। इन सर्पिलाकार छिद्रमय हड्डियों पर श्लेष्मा ऊतकों का अस्तर होता है, जो सील के सांस लेने पर गर्मी को कैद कर लेता है और हवा से नमी सोख लेता है।
सील की नाक की इस क्षमता को परखने के लिए शोधकर्ताओं ने आर्कटिक क्षेत्र की रहवासी दाढ़ीधारी सील (Erignathus barbatus) और उपोष्णकटिबंधीय भूमध्यसागरीय क्षेत्रों की रहवासी बैरागी सील (Monachus monachus) की नाकों का सीटी स्कैन किया और उनके मैक्सिलोटर्बिनेट का त्रिआयामी मॉडल बनाया। फिर इसे उन्होंने भीषण ठंड (शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे) और हल्की ठंड (10 डिग्री सेल्सियस) की स्थितियों में परखा। पता चला कि आर्कटिक सील की नाक दोनों परिस्थितियों में अधिक गर्मी और नमी को संरक्षित रखती है।
उपोष्णकटिबंधीय सील की तुलना में आर्कटिक सील हर सांस पर 23 प्रतिशत कम ऊर्जा खर्चती है, जिससे वे शरीर में अधिक गर्मी बरकरार रख पाती हैं। और वे सांस के साथ खींची गई नमी का 94 प्रतिशत हिस्सा भी शरीर में रोक लेती हैं। कई अन्य समुद्री स्तनधारियों की तरह सील भी अधिकांश पानी भोजन से हासिल करती हैं। शरीर की नमी का संरक्षण करके वे बेहतर हाइड्रेटेड रहती हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार आर्कटिक सील में यह नैसर्गिक नमीकरण व्यवस्था नाक की हड्डियों की दांतेदार बनावट के चलते बढ़ी हुई सतह के कारण है। जब भी सील सांस छोड़ती हैं तो उनकी वक्राकार हड्डियां अपनी ऊबड़-खाबड़ संरचना में अधिकाधिक नमी कैद कर लेती हैं और उसे सोख लेती हैं। नतीजतन सील ठंड में चैन से सांस ले पाती है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - February 2024
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