हमारे शरीर में भीतर और बाहर अरबों-खरबों बैक्टीरिया पलते हैं और ये हमें स्वस्थ रखने और बीमार करने दोनों में भूमिका निभाते हैं। अब, फिनलैंड में हज़ारों लोगों पर किए गए अध्ययन से लगता है कि अवसाद (डिप्रेशन) के कुछ मामलों के लिए ज़िम्मेदार सूक्ष्मजीवों की पहचान हुई है।
वैज्ञानिक दिमागी स्वास्थ्य और आंत के सूक्ष्मजीवों के बीच सम्बंधों की छानबीन करते रहे हैं और बढ़ते क्रम में ऐसे सम्बंध देखे गए हैं। जैसे ऑटिज़्म और मूड की गड़बड़ी वाले लोगों की आंत में कुछ प्रमुख बैक्टीरिया की कमी दिखती है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि आंत में इन सूक्ष्मजीवों की कमी क्या वास्तव में विकार पैदा करती है, लेकिन इन निष्कर्षों के आधार पर आंत के सूक्ष्मजीवों और उनके द्वारा उत्पादित पदार्थों का उपयोग विभिन्न तरह के मस्तिष्क विकारों के संभावित उपचार के रूप में करने की भागमभाग शुरू भी हो गई है।
हाल ही में शोधकर्ताओं ने फ्रंटियर्स इन साइकिएट्री में बताया है कि मल प्रत्यारोपण से दो अवसाद ग्रस्त रोगियों के लक्षणों में सुधार दिखा है।
बेकर हार्ट एंड डायबिटीज़ इंस्टीट्यूट के सूक्ष्मजीव जैव-सूचनाविद गिलौम मेरिक वास्तव में अवसाद के लिए ज़िम्मेदार सूक्ष्मजीव खोजने की दिशा में काम नहीं कर रहे थे। उनकी टीम तो फिनलैंड में किए गए स्वास्थ्य और जीवन शैली के एक बड़े अध्ययन के डैटा का विश्लेषण कर रही थी। यह अध्ययन 6000 प्रतिभागियों पर किया गया था जिसमें उनकी आनुवंशिक बनावट का आकलन किया गया, प्रतिभागियो की आंत में पल रहे सूक्ष्मजीव पता लगाए गए, और उनके आहार, जीवन शैली, ली गई औषधियों और स्वास्थ्य सम्बंधी व्यापक डैटा संकलित किया गया था। यह अध्ययन फिनिश लोगों में जीर्ण रोगों के अंतर्निहित कारणों को पहचानने के लिए 40 वर्षों से किए जा रहे प्रयास का हिस्सा था।
शोधकर्ता यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि किसी व्यक्ति की आंतों के सूक्ष्मजीव संसार पर आहार और आनुवंशिकी का क्या प्रभाव होता है। नेचर जेनेटिक्स में शोधकर्ताओं ने बताया है कि मानव जीनोम के दो हिस्से इस बात को काफी प्रभावित करते हैं कि आंत में कौन से सूक्ष्मजीव मौजूद हैं। इनमें से एक हिस्से में दुग्ध शर्करा लैक्टोज़ को पचाने वाला जीन मौजूद है, और दूसरा हिस्सा रक्त समूह का निर्धारण करता है। (नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी नीदरलैंड के 7700 लोगों के जीनोम और आंत के सूक्ष्मजीवों के बीच सम्बंधों के विश्लेषण किया गया था और उसमें भी इन्हीं आनुवंशिक हिस्सों की पहचान हुई थी।)
मेरिक की टीम ने यह भी पता लगाया कि कौन से आनुवंशिक संस्करण कुछ सूक्ष्म जीवों की संख्या को प्रभावित कर सकते हैं - और उनमें से कौन से संस्करण 46 सामान्य बीमारियों से जुड़े हैं। दो बैक्टीरिया, मोर्गनेला और क्लेबसिएला, अवसाद में भूमिका निभाते हैं। और एक सूक्ष्मजीवी सर्वेक्षण में 181 लोगों में मोर्गनेला बैक्टीरिया की काफी वृद्धि देखी गई थी, आगे जाकर ये लोग अवसाद से ग्रसित हुए थे।
पूर्व के अध्ययनों में भी अवसाद में मोर्गनेला की भूमिका पहचानी गई है। वर्ष 2008 में हुए अध्ययन में शोधकर्ता अवसाद और शोथ के बीच एक कड़ी तलाश रहे थे, इसमें उन्होंने अवसाद से ग्रसित लोगों में मोर्गनेला और आंत में मौजूद अन्य ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित रसायनों के प्रति मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी थी। अब, यह नवीनतम अध्ययन पूर्व के इन निष्कर्षों को मज़बूती प्रदान करता है कि आंत के रोगाणुओं के कारण होने वाली शोथ मूड को प्रभावित कर सकती है।
बहरहाल, इस क्षेत्र के अध्ययन अभी प्रारंभिक अवस्था में है; अवसाद कई तरह के होते हैं और सूक्ष्मजीव कई तरीकों से इसे प्रभावित कर सकते हैं। कुछ लोग इसके आधार पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप की बात कह रहे हैं लेकिन इन निष्कर्षों को चिकित्सा में लागू करना अभी दूर की कौड़ी ही है। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - April 2022
- नए शोधों से मिले रोगों के नए समाधान
- आंत के सूक्ष्मजीव अवसाद का कारण हैं
- हृदय पर कोविड-19 के गंभीर प्रभाव
- कोविड-19 की उत्पत्ति पर बहस जारी
- बुज़ुर्गों में नींद उचटने का कारण
- पाकिस्तान का पोलियोवायरस अफ्रीका पहुंचा
- जीएम खाद्यों पर पूर्ण प्रतिबंध ही सबसे उचित नीति है
- फफूंद से सुरक्षित है जीन-संपादित गेहूं
- भारत के जंगली संतरे
- साफ-सफाई की अति हानिकारक हो सकती है
- रेडियोधर्मी कचरे का एक लाख वर्ष तक भंडारण!
- जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन: बांग्लादेश से सबक
- गुमशुदा मध्ययुगीन साहित्य की तलाश
- सूर्य के पड़ोसी तारे का पृथ्वी जैसा ग्रह मिला
- समुद्री ध्वनियों की लाइब्रेरी की तैयारी
- पृथ्वी और मानवता को बचाने के लिए आहार
- कम खाएं, स्वस्थ रहें
- सेंटीपीड से प्रेरित रोबोट्स
- बाल्ड ईगल में सीसा विषाक्तता
- डायनासौर का अंत वसंत ऋतु में हुआ था
- भारी-भरकम डायनासौर की चाल
- छिपकली की पूंछ की गुत्थी
- सूरजमुखी के पराबैंगनी रंगों की दोहरी भूमिका