जब 2014 में संयुक्त अरब अमीरात ने यह घोषणा की थी कि वह दिसंबर 2021 में देश के 50वें स्थापना दिवस के मौके पर मंगल ग्रह पर अपना मिशन भेजेगा, तो खगोलीय बाधाओं को देखते हुए यह एक मुश्किल बात लग रही थी। उस समय, अमीरात के पास कोई अंतरिक्ष एजेंसी नहीं थी और ना ही खगोल वैज्ञानिक थे। उसने तब अपना सिर्फ एक उपग्रह प्रक्षेपित किया था। युवा इंजीनियरों की तेज़ी से बनती टीम को अक्सर एक ही बात सुनने को मिलती थी कि यह तो चिल्लर पार्टी है, मंगल तक कैसे पहुंचेगी?
अब छह साल बाद कंप्यूटर विज्ञानी सारा अल अमीरी के नेतृत्व में अल-अमल (यानी उम्मीद) ऑर्बाइटर जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से 19 जुलाई को प्रक्षेपित हो गया है। सात महीनों का सफर तय कर फरवरी 2021 में यह मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा।
सारा के अनुसार यह सफर आसान नहीं था। अमीरात सिर्फ 14 सालों से अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर काम कर रहा था और उसका काम पृथ्वी के उपग्रह बनाने और प्रक्षेपित करने तक सीमित था। अन्य ग्रह पर भेजा जाने वाला अंतरिक्ष यान तैयार करना उसके लिए नया था। ‘इसलिए हम एकदम शून्य से शुरू करने की बजाए दूसरों से सीख कर आगे बढ़े। मिशन को पूरा करने में हमें युनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो, एरिज़ोना स्टेट युनिवर्सिटी और युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया टीम की मदद मिली। अल-अमल के साथ संपर्क बनाए रखने में नासा का डीप स्पेस नेटवर्क मदद करेगा।’
अल-अमल ऑर्बाइटर मंगल ग्रह के मौसम उपग्रह की तरह काम करेगा, जो मंगल का पहला मौसम उपग्रह होगा। यह मंगल के निचले वायुमंडल के बारे में जानकारी इकट्ठी करेगा, जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि पूरे साल के दौरान मंगल पर मौसम कैसे बदलते हैं। इसकी मदद से मंगल ग्रह पर चलने वाली धूल की आंधियों के बारे में समझने में भी मदद मिलेगी, जो मंगल ग्रह को पूरी तरह ढंक देती हैं।
मंगल के वायुमंडल की पड़ताल के लिए अल-अमल ऑर्बाइटर में तीन तरह के उपकरण हैं। दो उपकरण इंफ्रारेड और अल्ट्रावायलेट प्रकाश में वायुमंडल की पड़ताल करेंगे और एक इमेजर मंगल की रंगीन तस्वीरें लेगा।
अल-अमल का पथ दीर्घवृत्ताकार होगा। इस पर घूमते हुए वह हर 55 घंटे में सतह के करीब होगा। इससे वह एक ही जगह का अवलोकन विभिन्न समय पर कर सकेगा। बहरहाल अल-अमल के मंगल पर सुरक्षित पहुंचकर डैटा भेजने का इंतज़ार है।(स्रोत फीचर्स)
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Srote - September 2020
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