यह तो अब जानी-मानी बात है कि डीएनए नामक अणु में क्षारों के क्रम से तय होता है कि वह कौन-से प्रोटीन बनाने का निर्देश देगा। डीएनए हमारी कोशिका के केंद्रक में पाया जाता है। मानव कोशिका में लगभग 3 मीटर डीएनए होता है। यह कोशिका के केंद्रक में काफी व्यवस्थित रूप से गूंथा होता है। और अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इस डीएनए अणु का कौन-सा हिस्सा केंद्रक के किस हिस्से में स्थित है, इस बात का असर उस हिस्से के काम पर पड़ता है।
केंद्रक के अंदर काफी गहमा-गहमी रहती है। हर चीज़ यानी गुणसूत्र, केंद्रिका वगैरह यहां-वहां भटकते रहते हैं। लगता है कि सारी गतियां बेतरतीब ढंग से हो रही हैं किंतु पिछले दशक में किए गए अनुसंधान से पता चला था कि गुणसूत्र और उसमें उपस्थित डीएनए विशिष्ट स्थितियों में जम सकते हैं और इसका असर जीन्स की क्रिया पर पड़ सकता है। मगर यह बात अटकल के स्तर पर ही थी। अब इसके प्रमाण मिले हैं।
वैज्ञानिकों ने हाल ही में विकसित जीन-संपादन की तकनीक क्रिस्पर को थोड़ा परिवर्तित रूप में इस्तेमाल किया है जिसकी मदद से वे केंद्रक के अंदर डीएनए के विशिष्ट हिस्सों को एक जगह से दूसरी जगह सरका सकते हैं। सेल नामक शोध पत्रिका में उन्होंने बताया है कि सबसे पहले उन्होंने डीएनए को एक प्रोटीन से जोड़ दिया। पादप हारमोन एब्सिसिक एसिड की उपस्थिति में वह प्रोटीन एक अन्य प्रोटीन से जुड़ जाता है। यह दूसरा प्रोटीन केंद्रक के मात्र उस हिस्से में पाया जाता है जहां डीएनए को सरकाकर पहुंचाना है। दूसरा प्रोटीन डीएनए को कसकर पकड़ लेता है और उसे वांछित हिस्से में जमाए रखता है। एब्सिसिक एसिड हटाने पर यह कड़ी टूट जाती है और डीएनए कहीं भी जाने को मुक्त हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने दर्शाया है कि इस तकनीक की मदद से वे कई जीन्स को केंद्रक के मध्य भाग से उसके किनारों पर ले जाने में सफल हुए हैं। उन्होंने यही प्रयोग टेलोमेयर के साथ भी किया। टेलोमेयर गुणसूत्रों के सिरों पर स्थित होते हैं और इनका सम्बंध कोशिका की विभाजन क्षमता तथा बुढ़ाने से देखा गया है। जब शोधकर्ताओं ने टेलोमेयर्स को केंद्रक की अंदरूनी सतह के पास सरका दिया तो कोशिका की वृद्धि लगभग रुक गई। किंतु जब इन्हीं टेलोमेयर्स को कैजाल बॉडीज़ के पास सरका दिया गया तो कोशिका तेज़ी से वृद्धि करने लगी और विभाजन भी जल्दी-जल्दी हुआ। कैजाल बॉडी प्रोटीन और जेनेटिक सामग्री से बने संकुल होते हैं जो आरएनए का प्रोसेसिंग करते हैं।
यदि टेलोमेयर्स की केंद्रक में स्थिति और कोशिका के विभाजन के सम्बंध की यह समझ सही साबित होती है, तो हम यह समझ पाएंगे कि कोशिका को स्वस्थ कैसे रखा जाए। (स्रोत फीचर्स)