Sandarbh - Issue 153 (July-August 2024)
Can Animals Also Do Photosynthesis? by Debora MacKenzie and Michael Le Page
क्या जन्तु भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं? - डेबोरा मेक्केंज़ी और माइकल ला पेज [Hindi, PDF]
हम जानते हैं कि अपना भोजन बनाने के लिए पौधे प्रकाश संश्लेषण करते हैं। मगर विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बढ़ती समझ के साथ, क्या यह मुमकिन हो सकता है कि हम इन्सान भी प्रकाश संश्लेषण कर सकें? खोज जारी है। इन्सान न सही, मगर ऐसे कई अन्य जन्तु तो हैं जो इस जटिल प्रक्रिया को अंजाम देने में सक्षम हैं। किस तरह इन्हें समझकर हम अन्य जीवों को भी प्रकाश संश्लेषण करवा सकते हैं, और क्या यह सब इतनी ज़हमत के लायक है भी – यह जानना रोचक होगा डेबोरा और माइकल के इस लेख में।
Human is Actually a Worm! by Harishankar Parsai
आदमी दरअसल एक कीड़ा है! - हरिशंकर परसाई [Hindi, PDF]
डार्विन। विज्ञान के जगत में एक बेहद प्रचलित नाम। हो भी क्यों न, इन्सानों को बन्दरों का रिश्तेदार बताना कोई छोटा-मोटा काम थोड़े ही है! मगर ऐसे बड़े-बड़े सिद्धान्तों पर तर्क करने के पीछे इस बन्दरनुमा इन्सान के पूरे जीवन का योगदान रहा। ऐसे में, उन सिद्धान्तों के विकास को सिद्धान्तकार के जीवन से अलग करके समझना शायद अन्यायपूर्ण हो। इसलिए, जानिए पूरी दुनिया में अपने काम से तहलका मचा देने वाले इस सादगी से भरे वैज्ञानिक के बारे में, हरिशंकर परसाई के इस लेख में।
General Understanding of Science and Question of World Vision in Humanities Subjects – Part 2 by Harjinder Singh ‘Laltu’
विज्ञान की सामान्य समझ और मानविकी: विश्व-दृष्टि का सवाल: भाग-2 - लाल्टू [Hindi, PDF]
वैज्ञानिक सोच। इसकी ज्ञान-मीमांसा क्या है? क्या वैज्ञानिक पद्धति मात्र अपनाने से वैज्ञानिक सोच विकसित हो जाती है? इसमें नैतिकता का स्थान कहाँ है? इनसे उपजी जीवन-दृष्टि क्या एक विश्व-दृष्टि को समाहित कर सकती है? इतने बुनियादी सवाल, और इसके साथ छलाँगें मारता टेक्नोलॉजी का विकास – बेशक, इनके असर हमारी दुनिया, हमारी मानविकी पर पड़ते नज़र आते हैं। डर उपजते हैं। इन सब डरों, बदलावों, सवालों और बिखरावों के बीच इन सभी पर रोशनी डालता लाल्टू के लेख का यह दूसरा और अन्तिम भाग, एक अहम पुकार है चिन्तन की। बैठिए, पढ़िए, सोचिए, फिर देखिए – क्या कोई रंग चढ़ पाता है।
First Day at School by Kalu Ram Sharma
स्कूल का पहला दिन - कालू राम शर्मा [Hindi, PDF]
तीन साल तक चले खोजबीन के आनन्द का सफर अपने आखिरी मुकाम पर पहुँच चुका है। मौका है विरह का – मास्साब और बच्चों के बीच। मगर विरह से पहले, एक और सैर पर चलते हैं ना – इस सफर की शुरुआत पर। कालू राम शर्मा द्वारा लिखी किताब ‘खोजबीन का आनन्द’ के पहले और अन्तिम अध्याय, खोजबीन शृंखला की आखिरी कड़ी के रूप में पेश हैं।
That Perspective by Madhav Kelkar
वो नज़रिया - माधव केलकर [Hindi, PDF]
शिक्षा हो सभी के लिए। मगर, शिक्षा के सही मायने क्या हैं? स्कूल जाने के क्या मायने हैं? और विशेषकर उनके लिए जिनके लिए इस ‘सामान्य’ दुनिया में रहना चुनौतीपूर्ण है तथा उन्हें अक्षम कर देता है। चाहे ये चुनौतियाँ व अक्षमताएँ शारीरिक हों या मानसिक। माधव केलकर का यह संस्मरण एक ज़रूरी लेख है। अपनी बहन की शिक्षा से जुड़े अनुभवों को याद करते हुए वे समावेशी शिक्षण पर दोबारा गौर करने के लिए मजबूर करते हैं। ज़रूर पढ़िए!
What Makes a Good Teacher Education Programme? by Suvasini Iyer. Translated by Subodh Joshi
एक अच्छा शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रम कैसे तैयार होता है? - सुवासिनी अय्यर [Hindi, PDF]
एक अच्छा शिक्षक कैसे तैयार होता है? बेशक, एक अच्छे शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रम से। तो किन खूबियों और बारीकियों की दरकार होती है एक अच्छे शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रम में? क्यों अहम है एक शिक्षक का प्रशिक्षण? ऐसे कार्यक्रमों पर किए जा रहे नीतिगत बदलावों के क्या खतरे हो सकते हैं? ऐसे कई ज़रूरी पहलुओं पर बात करता सुवासिनी का यह लेख सभी के लिए प्रासंगिक होगा, क्योंकि शिक्षा से जुड़े मसले सभी के लिए प्रासंगिक होने ही चाहिए।
Pratapgarh Ka Adamkhor by Syed Mustafa Siraz
प्रतापगढ़ का आदमखोर - सैयद मुस्तफा सिराज़ [Hindi, PDF]
वह आदमखोर बाघ था। आदमी को खा गया! उसकी तस्वीर खींचने प्रतापगढ़ के जंगल आया है, एक ‘धुरन्धर बुड्ढा’ कर्नल, साथ है एक पत्रकार। दो शिकारी भी हैं, इस कहानी में। और खूब सारा सस्पेंस और मिस्ट्री! पढ़िए, और ज़रा ध्यान रखिए, कहीं आदमखोर नज़र न आ जाए।
A Kite Flies Up When it is Tied to a Thread, whereas it Falls Down when the Thread Breaks. Why is that so? From Sawaliram
पतंग धागे से बँधी होने पर ऊपर उड़ती है...? - सवालीराम [Hindi, PDF]
न जाने क्यों इस बारिश के मौसम में इस बार सवालीराम ने पतंग से जुड़े एक सवाल का जवाब देने की ठानी। अब ठानी तो ठानी, हम भी जवाब पढ़ लेते हैं। वैसे सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है कि पतंग धागे से बँधी होने पर ऊपर उड़ती है जबकि टूटने पर नीचे आ जाती है। जवाब पढ़ने तक ही सीमित रहिएगा, इस बार ‘करके देखा’ नहीं कीजिएगा, भरी बारिश में बिजली न गिर जाए।