Sandarbh - Issue 152
जीवों में शीतनिद्रा, ग्रीष्म निष्क्रियता और तन्द्रा - अर्पिता व्यास [Hindi, PDF]
साँप, चमगादड़, वुडफ्रॉग, ग्राउंड हॉग और हेजहॉग – इन सब के बीच क्या समानता है? ये सभी सोते हैं… पूरे मौसम सोते ही रहते हैं! इन्हीं की तरह कई अन्य जीव भी सर्दियों भर या पूरी गर्मियाँ सोते हुए बिता देते हैं। इनका शरीर आखिर ऐसी रोचक प्रक्रिया को कैसे अंजाम देता है? और इन प्रक्रियाओं की ज़रूरत ही क्यों पड़ती है? जानने के लिए पढ़िए अर्पिता का यह लेख, और फिर एक लम्बी नींद सो जाइए।
जिसने पागल कुत्तों से बचाया - हरिशंकर परसाई [Hindi, PDF]
एक ऐसा वैज्ञानिक जिसने न सिर्फ रसायनशास्त्र में, बल्कि जीव विज्ञान में भी इतने अहम योगदान दिए कि आज भी अनेक जीवन उन योगदानों की बदौलत बचाए जाते हैं। और केवल जीवन ही नहीं, इस वैज्ञानिक के जोखिम भरे प्रयोगों ने तो कई डूबते उद्योगों को भी ठप्प होने से बचाया। ऐसे वैज्ञानिक की जीवन-यात्रा से परसाई की कलम के ज़रिए रू-ब-रू होना मज़ेदार होगा। तो अब जब कभी रसोई में दूध उबालें, या कभी कुत्ता काटे तो लूई पास्चर को ज़रूर याद करिएगा।
विज्ञान की सामान्य समझ और मानविकी विषयों में… - हरजिन्दर सिंह ‘लाल्टू’ [Hindi, PDF]
विज्ञान के क्या मायने हैं? क्या मायने हैं वैज्ञानिक प्रवृत्ति के? कुदरत, कुदरती हम, हम से समाज, मूल्य, मान्यता, प्रेम – विज्ञान इनसे अछूता तो नहीं? किस तरह समाजिकता की, भाषा की और जज़्बातों की दृष्टि से विज्ञान और उसकी सीमाओं को परिभाषित किया जा सकता है? इस तरह के कई सवालों पर चिन्तन और चिन्ताएँ लाल्टू के व्याख्यान के इस पहले भाग में मिलती हैं। पढ़िए और अपनी विश्व-दृष्टि के विस्तार को मापने की कोशिश कीजिए।
बच्चों और शिक्षकों के मंच - कालू राम शर्मा [Hindi, PDF]
लीजिए, खोजबीन के आनन्द की एक और कड़ी हाज़िर है! इस बार स्कूल में मास्साब का साथ देने, चकमक से भरा झोला उठाए, एकलव्य के एक साथी आ पहुँचे हैं। चकमक का इतिहास, होशंगाबाद विज्ञान की अहमियत, और शिक्षकों के अनुभवों के लिए एक मंच मुहैया कराने के लिए शुरू की गई ‘होशंगाबाद विज्ञान’ बुलेटिन पर कालू राम शर्मा की यह किश्त बड़े रोचक और प्रभावी ढंग से प्रकाश डालती है।
रुखसार - स्मिति [Hindi, PDF]
किसी कक्षा में सभी बच्चे एक-जैसे तो नहीं होते! हरेक बच्चे की अपनी अलग ज़िन्दगी, अपनी अलग कहानी, अपनी अलग ‘होशियारी’। ऐसे में, किसी बच्चे के साथ कुछ देर बैठने, उन्हें सुनने, और उनसे ‘प्यार से बात करने’ पर कैसी नई पहेलियाँ और कैसे नए रंग मन में उमड़ सकते हैं, स्मिति के इस छोटे-से लेख में इसकी एक देर तक याद रहने वाली झलक देखी जा सकती है।
सतपुड़ा के जंगल: मांदीखोह के बच्चों के नज़रिए से - हिमांशु श्रीवास्तव [Hindi, PDF]
जंगल। जंगल से मिलते, जंगल में घुलते कुछ बच्चे। इन बच्चों और इस जंगल के बीच का रिश्ता किन गहराइयों और किन आयामों को छूता है? इस जंगल पर किसका हक है? साहचर्य पर क्या मत है? इन्हें खोने का कितना डर है? यह सब जानना, उन्हीं बच्चों की नज़र से जानना, कैसी समझ, कैसी भावनाएँ रचेगा, उसका अनुमान लगाने के लिए हिमांशु का यह लेख पढ़ा जा सकता है।
किताबें विविधतापूर्ण जीवन की झलक हैं - अनिल सिंह [Hindi, PDF]
क्या किताबें, चित्र और सिनेमा का वास्तविक जीवन और समाज से कुछ लेना-देना नहीं? क्या हमारी जीवन-शैली, हमारी सोच ही इकलौती सही जीवन-शैली और सोच है? क्या इनकी विविधता से अवगत होने का हक भी हम बच्चों को नहीं दे सकते, जिस तरह वह हक हमें नहीं दिया गया था? अनिल सिंह का यह लेख वैचारिक प्रगतिशीलता की इन्सानी फितरत के विरुद्ध खड़ी वैचारिक जड़ता पर सवाल खड़े करता है। पढ़िए, चाहे हिचकिए, मगर जानिए तो सही।
पतंग - अमित दत्ता [Hindi, PDF]
गर्मी की छुट्टियों की एक अलसाई दोपहर। खाली समय कितनी बारीकी-से मामूली चीज़ों पर ध्यान घुमाकर उनके गैर-मामूली होने का एहसास दिलाता है। ऐसे में एक पतंग उड़ती जाती है, और वह उसके पीछे-पीछे एक उम्र तक दौड़ता जाता है। समय के इतने टुकड़े और हरेक टुकड़े में इतनी यादें! यह कैसी कहानी है? पढ़िए अमित दत्ता की ‘पतंग’।
नारियल के अन्दर पानी कैसे आता है? - सवालीराम [Hindi, PDF]
नारियल पानी। समुद्र के खारे पानी के नज़दीक उगते एक नारियल में इतना सारा स्वादिष्ट मीठा पानी। नारियल के अन्दर यह पानी कैसे आता है? इस बार सवालीराम इस मज़ेदार सवाल पर अपना जवाब दे रहे हैं।