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खेल गीत अंकुर लर्निंग कलेक्टिव के कलमकारों का संग्रह
चित्र
: वसुन्धरा अरोरा
अंकुर लर्निंग कलेक्टिव की टीम ने गायब हो चुके कुछ खेल गीतों को खोज निकाला है। बच्चे इन गीतों को खेलते-गाते या गाते-खेलते हैं। पढ़िए ऐसे ही कुछ मज़ेदार गीत और जानिए कि इन्हें कैसे खेला जाता है। 

चिट्ठिये पंख लगा के उड़ जा
लेख
एवं चित्र: कनक शशि
पन्द्रह-सोलह बरस की उम्र में कनक को लगता था कि लता मंगेशकर जी ने उनके जीवन के हर पहलू के लिए गीत गा रखे हैं। और फिर एक दिन कनक ने उन्हें एक चिट्ठी लिखने के बारे में सोचा। क्या वह चिट्ठी लता जी तक पहुँची? क्या उस चिट्ठी का कोई जवाब आया? जानने के लिए पढ़िए... 

 कापरेकर नियतांक आलोका कान्हेरे
चित्र
: मधु श्री बासु
इन पन्नों में हम कोशिश करेंगे कि ऐसी चीज़ें दें जिनको हल करने में आपको मज़ा आए। ये पन्ने खास उन लोगों के लिए हैं जिन्हें गणित से डर लगता है।
सायरा और मिहिर दोनों को संख्याओं से खेलना और पहेलियाँ हल करना बहुत पसन्द है। वे हमेशा नए-नए खेल और पहेलियाँ ढूँढने की कोशिश में लगे रहते हैं। एक दिन सायरा ने मिहिर से एक ऐसा सवाल पूछा जिसका जवाब हर बार एक-सा पाकर मिहिर चकरा गया। वह पहेली क्या है और क्या है उसका जवाब — यह जानने के लिए तो पूरा लेख पढ़ना होगा।

नन्हा राजकुमार एन्त्वॉन सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद
: लालबहादुर वर्मा
यह नन्हा राजकुमार की आठवीं किश्त है। नन्हा राजकुमार एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास प्ती प्रैंस  का हिन्दी अनुवाद है। नन्हा राजकुमार बहुत सारे ग्रहों से होता हुआ पृथ्वी पर पहुँचता है। पृथ्वी पर उसकी मुलाकात किस-किससे होती है, जानने के लिए पढ़िए... 

भूलभुलैया
इस छोर से उस छोर तक पहुँचने की जद्दोजहद, करके देखिए। 

क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “पतझड़ क्यों होता है?” बच्चों द्वारा भेजे गए दिलचस्प जवाबों में से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही उनके बनाए कुछ दिलकश चित्र भी देखने को मिलेंगे। 

मेरा जवाब सुशील जोशी
क्यों-क्यों में पूछे गए सवाल “पतझड़ क्यों होता है?” का जवाब सुशील जोशी ने दिया है। इस लेख में आपको पतझड़ से जुड़ी कई बातें पढ़ने को मिलेंगी...

सुनो छोटी-सी गुड़िया की लम्बी कहानी यूनुस खान
कोयल जैसी आवाज़ वाली लता जी नहीं रहीं। यूनुस जी ने अपने श्रद्धांजलि लेख में लता जी की संघर्ष भरी कहानी कही है। 

गलियाँ, आँगन और भूत नरेन्द्र कुमार मौर्य
चित्र
: शुभम लखेरा
एक दिन किसी ने मोहल्ले में एक भूत देख लिया। बस फिर क्या था — कई दिनों तक भूत के किस्से- कहानियाँ चलती रहीं। पर क्या सच में भूत था, या कोई वहम था, या कुछ और। जानने के लिए कहानी पढ़िए...

तालाबन्दी में बचपन टाइमपास अनम खान
चित्र
: पूजा के मेनन
कोरोना के चलते बच्चों का जीवन अभी भी एक तरह से तालाबन्दी में ही है। ‘तालाबन्दी में बचपन’ कॉलम के ज़रिए बच्चे तालाबन्दी के दौर के अपने अनुभवों को साझा करते हैं।
इस बार छठवीं कक्षा में पढ़ रही अनम ने लॉकडाउन में होने वाली बोरियत और उस बोरियत से छुटकारा पाने की जद्दोजहद का किस्सा बयाँ किया है। 

तुम्हारी परछाई तुमसे क्या कहती है? – आलोक माण्डवगणे और वारुणी प्र
साल के दो ऐसे दिन हैं जिन पर हम काफी आसानी-से चार बातों का पता लगा सकते हैं — अपने शहर या गाँव में स्थानीय मध्याह्न/ लोकल नून कब है, चारों दिशाएँ कहाँ हैं और हम किस अक्षांश व देशान्तर पर हैं। अब ये करेंगे कैसे? जानने के लिए पढ़िए यह रोचक लेख…  

मेरा पन्ना
वाकया – मेरी बछिया चुनचुन, बच गया, हमारा लूडो, मेरी तितली 
संस्मरण – यादगार दिन
और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र। 

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
पालक का एक और कमाल
सैकड़ों किलोमीटर लम्बी बिजली गिरी
खिलौने बेचकर मुनाफे का कुछ हिस्सा वापस बच्चों को 

जंगली बसन्त रोहन चक्रवर्ती
अनुवाद
: सजिता नायर
जंगल में बसन्त का नज़ारा रोहन के अन्दाज़ में...