Read the magazine | Download Magazine

पीछे छूटी हुई चीज़ें − नरेश सक्सेना
चित्र: कनक शशि

‘बिजलियों को अपनी चमक दिखाने की
इतनी जल्दी मचती थी
कि अपनी आवाज़ें पीछे छोड़ आती थीं...’

अपना ग्राउंड − लवलीन मिश्रा
चित्र: शुभम लखेरा

शहर की ठसाठस भरी गलियों, महल्लों और कांय-कांय के बीच एक ग्राउंड था। ग्राउंड तो सबका था। लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि धीरे-धीरे कुछ लोगों के वहाँ खेलने पर पाबन्दियाँ लग गईं। आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़िए..।

कड़वा पसन्द क्यों − सुशील जोशी

जुलाई अंक के 'क्यों-क्यों' कॉलम में हमने यह सवाल पूछा था कि कुछ लोगों को कड़वा स्वाद क्यों पसन्द होता है। कई बच्चों ने हमें अपने जवाब भेजे थे। इसका क्या कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं सुशील जोशी के इस दिलचस्प लेख के साथ।

तोड़-फोड़ की कला − इशिता देबनाथ बिस्वास
अनुवाद: लोकेश मालती प्रकाश

इस लेख में आपको सार्वजनिक जगहों पर, दीवारों पर अभिव्यक्ति के अलग-अलग रूपों मसलन ग्राफिटी, स्ट्रीट आर्ट से जुड़ी रोचक बातें तो जानने की मिलेंगी ही। साथ ही इनके कुछ बेहतरीन चित्र भी देखने को मिलेंगे।

शेरनी पर बोलती है एक शेरनी – रोहन चक्रवर्ती
शेरनी  फिल्म जून 2021 में ऑनलाइन रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म की काफी चर्चा भी हुई। पढ़िए इस फिल्म की समीक्षा रोहन चक्रवर्ती के अलग अन्दाज़ में...    

शेरनी – सिद्धार्थ चौधरी
सिद्धार्थ सातवीं कक्षा में पढ़ते हैं। उन्होंने भी शेरनी फिल्म की समीक्षा हमें भेजी। उनकी लिखी समीक्षा की एक बानगी देखिए:
“मुझे यह फिल्म वाकई अच्छी लगी पर मैं ऐसे किसी व्यक्ति को इस फिल्म को देखने की राय नहीं दूँगा जो सिर्फ मनोरंजन के लिए फिल्म देखता हो।”


बड़ों का बचपन − नीली-सी स्कर्ट − शशि सबलोक
'बड़ों का बचपन' नामक इस कॉलम में हर बार अलग-अलग लोग अपने बचपन का कोई दिलचस्प या यादगार किस्सा साझा करते हैं।
इस बार पढ़िए शशि सबलोक के बचपन का यह दिल छू लेने वाला किस्सा...


नन्हा राजकुमार : भाग -
2
कहानी एवं चित्र:
  एन्त्वॉन द सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद: लाल बहादुर वर्मा
यह नन्हा राजुकमार की दूसरी किश्त है। नन्हा राजकुमार एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास ल प्ती प्रैंस का हिन्दी अनुवाद है। पिछले अंक में आपने पढ़ा कि लेखक की मुलाकात एक नन्हे राजकुमार से हुई। बातों-बातों में लेखक को समझ आया कि नन्हा राजकुमार किसी दूसरे ग्रह से आया है। उस ग्रह पर कुछ बहुत ही खतरनाक किस्म के बीज पाए जाते थे...जैसे बाओबाब के बीज। बाओबाब इतना खतरनाक क्यों है, जानिए इस अंक में...

क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “अगर तुम अपना नाम बदलकर कुछ और रखना चाहो तो क्या रखोगे, और क्यों?” कई बच्चों ने अपने दिलचस्प जवाब हमें भेजें। इनमें से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे, और साथ ही बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र भी देखने को मिलेंगे।

तालाबन्दी में बचपन – मदद – तहरीन
चित्र: अक्षय सेठी

कोरोना के चलते बच्चों का जीवन अभी भी एक तरह से तालाबन्दी में ही है। ‘तालाबन्दी में बचपन’ कॉलम के ज़रिए बच्चे तालाबन्दी के इस दौर के अपने अनुभवों को साझा करते हैं।
इस बार बारहवीं कक्षा में पढ़ रही तहरीन ने लॉकडाउन के दौरान अपनी कॉलोनी के एक परिवार की आपबीती को साझा किया है।

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

एक दो ती...न... − नेचर कॉन्ज़र्वेशन फाउंडेशन
हमारे आसपास ऐसा बहुत कुछ है जिसे हम देखते तो हैं, लेकिन अमूमन उस पर गौर नहीं करते। इन पन्नों में प्रकृति में पाई जाने वाली ऐसी ही तमाम चीज़ों के बारे में दिलचस्प जानकारियों के साथ कुछ छोटी-छोटी मज़ेदार गतिविधियाँ भी होती हैं।

इस बार इन पन्नों में आप घोंघों के बारे में जानेंगे।

गणित है मज़ेदार – कहानियों में गणित... – आलोका कन्हरे

इन पन्नों में हम कोशिश करेंगे कि ऐसी चीज़ें दें जिनको हल करने में आपको मज़ा आए। ये पन्ने खास उन लोगों के लिए हैं जिन्हें गणित से डर लगता है। इस बार आलोका आपको चन्दा नाम की एक लड़की की एक कहानी सुना रही हैं। जानिए कि कैसे चन्दा ने अपनी सूझबूझ और गणित की समझ से अपने गाँव को अकाल के समय भुखमरी से बचाया...

मेरा पन्ना

कविता − प्लीज़ अब खोल दो स्कूल,
वाकया − चूहे की बात, चिड़िया से दोस्ती, गर्मी की छुट्टियाँ,
यात्रा वृत्तान्त − रणथम्बौर का बाघ,
संस्मरण − प्यार वाली कहानी,
और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र।

तुम भी जानो

इस बार जानिए:
24 हज़ार साल बाद ज़िन्दा हुआ सूक्ष्मजीव
माल वाहक जहाज़ का एक भयानक हादसा

चित्रपहेली

चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।

तुम भी बनाओ − कनक शशि

इस चित्र को बनाने में रसोई में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों और कचरे का इस्तेमाल हुआ है। अगर आप भी ऐसा कुछ बनाते हैं तो हमें भेजिए...

भूलभुलैया

इस छोर से उस छोर तक पहुँचने की जद्दोजहद। करके देखिए…