Read Entire MagazineOctober 2016

Cover - Illustration by Prashant Soni
कवर - प्रशान्त सोनी का चित्र। यह शेर है। जंगल में विचरता अकेला शेर। पर यहाँ जंगल जंगल कम और गलीचा ज़्यादा लग रहा है। जंगल के गलीचे में शेर भी कुछ कम शेर लग रहा है। ऐसा शेर जिस पर हाथ फेरा जा सकता है। जिसका हालचाल पूछा जा सकता है। जिसे चाय-वाय के लिए रोका जा सकता है। पर उसकी आँखों में इतनी हैरत...इतना गुस्सा
क्यों? आप को क्या लगता है??

Kavita Card - Poetry Card Advertisement
कविता कार्ड - चकमक ने पिछले सौ सालों की बेहतरीन कविताओं को लोगों के बीच लाने की एक कोशिश की है। इसी के तहत 12-12 कार्ड के चार गुच्छे तैयार हुए हैं। इस पहल को बेहद सराहा जा रहा है। कक्षा में, घर-परिवार में कभी भी, कहीं भी इसे पढ़ा जा सकता है, उपहार में दिया जा सकता है। चाहो को इसके पीछे चिट्ठी लिखकर दोस्त को, नाना-नानी को भेज सकते हो। इस बार की कविता है महादेवी वर्मा की बया से...

Index - A cartoon of Ravana by Shivoham Tiwari, a class 4th student from New Delhi
इंडेक्स- चौथी क्लास के शिवोहम तिवारी का एक मजेदार कार्टून। रावण को अकसर साल में एक दिन पूरा देश “धूम-धाम” से याद करता है। बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हुए उसे जलाया जाता है। पता नहीं इतने सालों से बुराई पर अच्छाई की जीत होती जा रही है। हर शहर, गाँव कस्बे में होती है। फिर भी बुराई कम क्यों नहीं होती। अच्छाई इतनी कम क्यों दिखती है। खैर हमने सोचा बच्चा रावण को किस तरह से देखता है इसे जाने। तो उनसे रावण का चित्र बनाने को कहा। बहुत सारे बड़े ही प्यारे रावण मिले। अब इसे ही देखो। कह रहा है माँ सिर दर्द हो रहा है। और माँ बेचारी बड़ी मासूमियत से पूछती हैं, किस सिर में बेटा...?

Agar Magar - An interactive column with Gulzar Sahab, in which children’s ask questions to him, Illustrations by Atanu Roy
अगर मगर - बान्दा के राहुल कुशवाह के सवाल पर कि कौन-सी चीज़ें बिकती नहीं हैं वे लिखते हैं -
दो पैसे में धूप का पत्ता
चार आने की बारिश
बारह मास मैं मौसम बेचता हूँ
सौंधी खुशबू छिड़क के उन पर ...जब चख लेता हूँ
धूप की पित, बारिश के ओले सब रख लेता हूँ
छान-छान के छाँव का ठण्डा, रेशम बेचता हूँ
बारह मास मैं मौसम बेचता हूँ
आप भी अपने आसपास के बच्चों के सवाल हम तक भिजवाएँ जो वे गुलज़ार साब से पूछना चाहते हैं।

Tony ki Diary - Tony Kurian sharing more experiences from his daily life, Illustration by Swetha Nambiar
टोनी की डायरी - टोनी अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं। स्कूल में उनकी एक टीचर थीं। वो उनका ख्याल भी बहुत रखती थीं और उन पर गुस्सा भी खूब होती थीं। उनकी क्लास में टोनी और उनके 5 दोस्त थे जो देख नहीं पाते थे। बाकी सब देख पाते थे। सबकी पढ़ाई एक तरह से होती थी। टोनी आज सॉफ्टवेयर में काफी दखल रखते हैं। अपना जीवन अच्छे से जी रहे हैं। आज वे अपने विचार, अपनी सोच पर अपनी उसी टीचर का बहुत असर पाते हैं। एक बेहद रोचक संस्मरण...

Pyare Bhai Ramsahay - A story by Swayam Prakash, Illustrations by Prashant Soni
प्यारे भाई राम सहाय - प्यारे भाई रामसहाय में हर बार हमारे आसपास के किरदारों की कहानी होती है। आज जो हो रहा है अकसर किरदार उसी से रिलेटिड होते हैं। इस बार दो भाइयों की कहानी है। उनमें से एक भाई माँ की डाँट खाकर घर छोड़ देता है। पर किसी तरह उसे ढूँढ निकाला जाता है। वापस आने पर माँ उसे समझने की कोशिश करती है, उसे समझाने की कोशिश भी होती है। और ज़िन्दगी चलती रहती है। पर आज...आज माँ-बाप डाँटें तो बच्चे...

Raza ke chitr - Udayan Vajpeyi remembering Raza, Illustrations by Raza
रज़ा के चित्र - बचपन में वे बहुत चंचल थे। किसी जगह ध्यान टिकता नहीं था। कहते हैं उनके टीचर ने एक दिन उनके सामने एक बिन्दु बना दिया। वे उसे देखते रहते। इससे उनका ध्यान एक जगह लगा साथ ही वे जहाँ देखते उसमें बिन्दु तलाशते। आकार उनमें इतना बस गया था कि धीरे-धीरे उनके चित्रों से गैर ज़रूरी आकार कम होते गए। आकार रंगों को सामने लाने के साधन मात्र बन गए। हमारे देश के महानतम चित्रकारों में से एक सैयद हैदर रज़ा के चित्रों पर कला मर्मज्ञ उदयन वाजपेयी का एक लेख।

Nawab Sahab aur Malai - One more interesting Kissa of Nawab sahab by Himanshu Bajpai, Illustrations by Prashant Soni
नवाब साहब और मलाई - पूरी दुनिया जिसे मलाई नाम से जानती है लखनऊवाले उसे बालाई कहते हैं। और नवाब साहब थे इस बालाई के ज़बरदस्त मुरीद। पर इक और चीज़ थी जो नवाब साहब को जकड़े थी। वो थी अफीम। अफीम की पिनक में उनको पता ही न चलता कि मलाई कब खाई। तो उन्होंने इसके लिए कुछ लोग रख लिए। वो भी कोई कम न थे। खुद दूध-मलाई खाते-पीते और नवाब साब को पटखनी देते रहते...। नवाब साब का एक और कमाल का किस्सा...

Jungle mein Mangal (Part -2) - A travelogue by Kamla Bhasin and Beena Kak
जंगल में मंगल - दो बहनों की मसाईमारा यात्रा (भाग-2)
मसाईमारा की दो बहनों की यात्रा। इस बार मसाईमारा में शेरों के कई कुनबे देखे। उनमें बहता प्यार देखा। नर-मादा का, माँ-
बच्चों का, बच्चों-बच्चों का...। शिकार के लिए मारामारी देखी। इतने जीवन्त चित्र और ऐसी सजीव भाषा। जंगल में जीवन का अद्भुत अनुभव कराती यह यात्रा।

Mann ke Itr - A memoir by Dilip Chinchalkar, Illustration by Dilip Chinchalkar
मन के इत्र - हर क्षण हमारे भीतर स्मृतियाँ जमा होती जाती हैं। इनमें से कुछ उनकी खुशबू के रूप में होती है। जैसे खुशबू उन यादों का पता हों। और जैसे ही किसी समय, किसी जगह अचानक वो गन्ध आपको सुँघाई देती है झट से उससे जुड़ी स्मृतियाँ सामने आ जाती हैं...। कितना अद्भुत है ना। एक क्षण पहले और बाद में कुछ होता दिखता नहीं। आप वहीं खड़े रहते हैं। वैसे ही खड़े रहते हैं। पर एक गन्ध आपको कितना बदल जाती है।

Poori kyon phoolti hain? - An excerpts from Pratham’s Book “Poori kyon Phoolti hain” by Varsha Joshi, Illustrations by Sonal Gupta
पूड़ी क्यों फूलती है? - पूड़ी का फूलना वैसा ही शान्त लगता है जैसे फूल का खिलना। इस पर क्यों कम ही पूछा जाता है। पर मज़ा तो ऐसी ही रोज़मर्रा की चीज़ों को पहली बार की नज़र से देखने में है। इस किताब में बहुत ही बढ़िया तरह से पूड़ी के फूलने के तमाम राज़ ज़ाहिर किए गए हैं। चित्र भी बहुत ही सुन्दर हैं। और अनूठे भी।

Mathapacchi - Brain Teasers
माथापच्ची - सोच-सवालों का पन्ना।

Lilli ghodi ki udaasi - A first part of Priyamvad’s long story series Nachghar, Illustrations by Nilesh Gehlot
लिल्ली घोड़ी की उदासी (नाचघर की पहली किस्त) - सगीर को काम की तलाश थी। रामलीला में सीता बनने का मौका हाथ आया। वो बना भी। कुछ पैसे खाना दोनों मिले। पर रामलीला तो कुछ दिन की होती है। तो वो लिल्ली घोड़ी बनने लगा। शादियों में वो लिल्ली घोड़ी का खोल पहलकर नाचता और पैसे पाता। पर फिर शादियों में डीजे आ गए। उसने लिल्ली घोड़ी को खूँटी से टाँग दिया। वो उदास रहने लगा था। एक दिन वो वैद्यजी के पास गया जिन्होंने उसे लिल्ली घोड़ी और रामलीला का काम दिलवाया था। वो सुबह सुबह उनके पास गया। उन्होंने साथ चाय पी। और अचानक उसने खुशियों को अपने में प्रवेश करते महसूस किया। वो खुशी से पागल घर भागा। लिल्ली घोड़ी को पहन नाचने लगा। उस चायवाले ने ऐसा क्या कहा कि सगीर तमाम दुखों से एकदम से उबर गया... प्रियम्वद की एक और बेहद सुन्दर कहानी।

Mera Panna - A children’s creativity column
मेरा पन्ना - बच्चों की रचनात्मकता को मंच देते पन्ने।

Pooriyon Ki Gathari (last part) - A long story by Krishan Kumar, Illustrations by Jagdish Joshi
पूड़ियों की गठरी (अन्तिम भाग)- पूड़ियों की गठरी की यह आखरी किस्त है। स्कूल की एक बरसों से खराब पड़ी बस थी। जिसे ठीक करवाया गया। और सब उसमें बैठकर चल दिए। स्कूल की प्रिंसिपल दूसरी बस में आती हैं। बीच रास्ते में वो इस बस में आ बैठती हैं पर गठरी पिछली बस में ही रह जाती है। अब शुरू होती है दौड़ उस बस को पकड़ने की। जैसे तैसे अगले बस स्टॉप पर पहुँचे तो पता चला बस वहाँ से निकल चुकी है। बस तेज़ चाल में निकल पड़ती है। सब को भूख लगी है। पर पूड़ियाँ तो वही खाई जाएँगी यह तय है। लड़कियों के भीतर एक आशंका सिर उठाती है। पर आखिर बस को पकड़ ही लिया जाता है। शिक्षा के विभिन्न आयामों में गहरी पैंठ रखनेवाले कृष्णकुमार की यह कहानी मन में एक हिम्मत, एक उम्मीद बाँधे रखती है। मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए...। जगदीश जोशी के जीवन्त चित्र बरबस ध्यान खींच लेते हैं।

Haji Naji - Fun stories by Swayam Prakash, Illustration by Atanu Roy
हाजी-नाजी - हाजी नाजी हर बार हमें अपने किसी न किसी किस्से से गुदगुदा जाते हैं। पर चुटकलों में हँसी कब आती है? क्यों आती है? सोचिएगा।

Chashma naya hai - “Duaa” is a memoir by 10 year old Aman from Delhi, Illustration by Swetha Nambiar
चश्मा नया है – दुआ - अमन आज स्कूल नहीं जाना चाह रहा। अम्मी खाना बना रही हैं। पापा ऑफिस जाने की तैयारी में हैं। अमन कोई बहाना सोच रहा है। अचानक अम्मी की चीख निकलती है। गरम तेल उनके हाथों को जख्मी कर गया है। अमन ने ऐसा बहाना तो नहीं चाहा था। वो अम्मी के लिए दुआ माँगने मस्जिद जाता है। चौथी क्लास का एक बच्चा जिसके लिए यह तो सोचा जा सकता है कि वो बहाने बनाएगा, पर वो इतनी शिद्दत से अपनी माँ के दर्द को समझ भी पाएगा ऐसा क्यों नहीं सोचा जा सकता है।

Vaardat - A story by Prabhat, Illustration by Nilesh Gehlot
वारदात - किशोर उम्र खोजी उम्र होती है। आप खुद को खोज रहे होते हैं। आप अपने आसपास के रिश्तों, जगहों, बातों, शब्दों, भावों सब को खोजते हैं। एक दुनिया बनाते हैं हवा में। जो आपको दिखती है। आपको यकीन होता है उस पर। पर आप उसे हवा के पीछे ही छिपा कर रखना चाहते हैं। इसी उम्र के कुछ लड़कों की यह एक कहानी है। उनके यकीन की। उनके यकीन के टूटने की। साथ में हैं नीलेश गहलोत के खूबसूरत चित्र।

Ek Din - A bunch of short stories by students of DPS International Edge, Gurgaon on the theme “One day”
एक दिन - एक दिन कभी जाता नहीं है। वो हमेशा रहता है। अगले दिन के आ जाने से पिछला दिन आधा नहीं हो जाता। बच्चे किसी भी दिन उस दिन को याद करते हैं तो एक दिन की तरह ही। जैसे वो अगर माँ से पूछे कि माँ ट्रेन क्यों खड़ी है। और माँ कह दें कि मुझे नहीं मालूम तो वे कहेंगे - पर एक दिन तो मालूम था तुम्हें। यहाँ गुड़गाँव के डीपीएस इंटरनेशनल एज के बच्चों ने कुछ कहानियाँ-किस्से लिखे हैं। सभी की शुरुआत होती है एक दिन से। आपको इसे पढ़कर यकीनन मज़ा आएगा।

Ek Jodi Saras - A beautiful story of two storks, presentation by Arvind Gupta
एक जोड़ी सारस - क्रोशिया में हर साल हज़ारों मील की उड़ान भरकर सारस का एक जोड़ा आता था। वो गाँव उनका अपना गाँव बन गया था। वैसे ही जैसे गर्मियों की छुट्टियों में हम नानी के घर जाते हैं वो इस गाँव में आते। यहाँ अण्डे-बच्चे होते। वो उन्हें उड़ाना सिखाते। और फिर सभी उड़ा जाते। एक बरस एक सारस को एक गोली लग गई। वो ठीक तो हो गई पर ज़्यादा दूर तक उड़ने के लायक न रही। तब से हर साल गर्मियों में उसका साथी हज़ारों मील अकेले ही उड़कर आता है। उसका इन्तज़ार सिर्फ एक सारस नहीं पूरा गाँव करता है। हर साल मार्च के एक दिन वो आता है।

Chitrpaheli
चित्र पहेली - चित्रों वाली पहेली। नए शब्दों से दोस्ती करने का पन्ना।

Jungle ke Beech - A poem by Manoj Kumar Jha, Illustration by Nilesh Gehlot
जंगल के बीच -
जंगल के बीच ट्रेन खड़ी है
ट्रेन के बाहर रात परी है
मैंने उठकर बत्ती बुझा दी
ट्रेन में छप से रात आ गई
बत्ती में रात परी नहीं आती। शहरों में इतनी बत्तियाँ हैं क्या इसीलिए यहाँ रात परी नहीं आती। क्या हम चाहते भी हैं कि रात परी आए?