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सर्द हवा लवलीन मिश्रा
चित्र
: कनक शशि
सर्द हवाओं की एक कविता
‘हर साल
हर दफा
हौले-से सरक आती
सर्द हवा...’

सफरनामा रोहन चक्रवर्ती
अनुवाद
: सजिता नायर
आर्कटिक टर्न का उत्तरी से दक्षिणी ध्रुव तक का सफर कैसा रहा...रोहन बता रहे हैं अपने अन्दाज़ में।

जूं बाली बूजी वीरेन्द्र दुबे
चित्र
: बरखा लोहिया
नैंसी और उसकी बुआ में बहुत अच्छी दोस्ती थी। बुआ का एक पसन्दीदा काम था —  जूएँ देखना और दिखवाना। जब गर्मियों की छुट्टी में नैंसी अपने होस्टल वापस चली गई तो धीरे-धीरे बुआ के साथ उसकी बातें कम होने लगीं। उसे आशंका होती कि घर वाले कोई बात छुपा रहे हैं। आखिर वह क्या बात थी जो नैंसी से छुपाई जा रही थी? जानने के लिए पढ़िए...

क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “तुम्हारे हिसाब से दुनिया का सबसे मुश्किल काम क्या है, और क्यों?” बच्चों द्वारा भेजे गए दिलचस्प जवाबों में से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे।

मेरा जवाब सुशील जोशी
जनवरी अंक के क्यों-क्यों कॉलम का सवाल था, “कहते हैं कि एक मोटे स्वेटर या जैकेट के बजाय कपड़ों की कई परतें पहनने से ज़्यादा गर्मी लगती है। ऐसा क्यों?” इस सवाल के बहुत सारे जवाब बच्चों ने हमें लिख भेजे थे। इन जवाबों को पढ़ने के बाद सुशील जी ने भी अपना जवाब भेजा है। पढ़िए और जानिए इस सवाल का वैज्ञानिक जवाब।

नन्हा राजकुमार एन्त्वॉन सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद
: लालबहादुर वर्मा
यह नन्हा राजकुमार की सातवीं किश्त है। नन्हा राजकुमार एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास प्ती प्रैंस  का हिन्दी अनुवाद है। पिछले अंक में आपने पढ़ा कि नन्हा राजकुमार बहुत-से ग्रहों की यात्राएँ करता है। वहाँ उसकी मुलाकात एक दम्भी, एक शराबी और एक व्यवसायी से होती है। इस अंक में आप पढ़ेंगे कि वह एक ऐसे ग्रह में पहुँच जाता है जो इतना छोटा है कि वहाँ केवल एक लैम्प पोस्ट है और केवल एक बत्ती वाला खड़ा हो सकता है। आगे क्या हुआ... पढ़िए।

कपड़ों का रंग फीका क्यों... उमा सुधीर
चित्र
: मधुश्री बासु
कपड़ों और उनके रंगों पर आधारित इस दिलचस्प लेख के ज़रिए आप कपड़ों में रंगाई की प्रक्रिया को आसानी-से समझ पाएँगे। साथ ही यह भी जान पाएँगे कि कपड़ों का रंग समय के साथ फीका क्यों हो जाता है।

वक्त-वक्त की बात है सुशील शुक्ल
चित्र
: कैरन हैडॉक
‘एक व्यक्ति के पास एक समय को इस्तेमाल कर सकने के कई-कई विकल्प होने चाहिए। उनमें से किसी को भी चुन लेने की आज़ादी भी। अगर पूरी दुनिया में हरेक के लिए यह सम्भव हो जाए तो ये दुनिया कितनी सुन्दर हो जाएगी’...
वक्त-वक्त का खेल समझाता एक सुन्दर लेख...

दिल का रास्ता निधि सक्सेना
चित्र
: पूजा के मेनन
निधि को टिफिन लव स्टोरी काफी प्यारी और मासूम लगती हैं। कितना ख्याल होता है उसमें। टिफिन किसी चिट्ठी की तरह एक-दूसरे तक पहुँचता है। खुशबुओं के साथ खुलता और जादू की तरह ज़बान पर घुलता…
तो पढ़िए निधि की लिखी ऐसी ही एक टिफिन लव स्टोरी।

गणित है मज़ेदार शून्य में क्या बात है आलोका कान्हेरे
चित्र
: मधुश्री बासु
पिछले अंक में हमने एक प्रतीक के तौर पर शून्य के इस्तेमाल के बारे में बात की थी। और देखा था कि हमारी संख्या-प्रणाली में शून्य के प्रतीक का इस्तेमाल स्थानधारक के रूप में किया जाता है। हमने रोमन और बेबीलोनियन संख्या-प्रणालियों में शून्य के प्रतीक के इस्तेमाल की ज़रूरत पर भी बात की थी। साथ ही यह भी देखा था कि बेबीलोनियन संख्या-प्रणाली में शून्य को 'कुछ नहीं' का भाव दिया गया था। अब आगे...

तालाबन्दी में बचपन ड्रेस जो छोटी पड़ गई ज्योत्सना
चित्र
: हबीब अली
कोरोना के चलते बच्चों का जीवन अभी भी एक तरह से तालाबन्दी में ही है। ‘तालाबन्दी में बचपन’ कॉलम के ज़रिए बच्चे तालाबन्दी के इस दौर के अपने अनुभवों को साझा करते हैं। इस बार छटवीं कक्षा में पढ़ रही ज्योत्सना ने लॉकडाउन के दौर का एक किस्सा साझा किया है।

हरियाली के पाँच-भाई बहन हैं। सभी बहन-भाई एक-दूसरे से एक से दो साल ही छोटे-बड़े हैं। लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलने की खबर मिलने पर सब अपनी-अपनी ड्रेस तलाशने लगे तो पता चला कि ड्रेस तो छोटी हो गई है। बाकियों को तो एक-दूसरे की ड्रेस फिट आ गई। लेकिन हरियाली का क्या हुआ? जानने के लिए पढ़िए...

तुम भी जानो
इस बार जानिए:
ममी की सीटी स्कैनिंग
नीले कुत्ते
इतने सारे गोबर का क्या करें

मेरा पन्ना
वाकया – मेरी टुइंया, पिपलानी में लड़ाई, माँ, मेरा चूल्हा, हमारी गोशाला
निबन्ध – मेरा पसन्दीदा समय
यात्रा वृत्तान्त – पहाड़ों पर छुट्टियाँ
और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र।

माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।

चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।

भूलभुलैया
इस छोर से उस छोर तक पहुँचने की जद्दोजेहद, करके देखिए। 

सुबह की चिड़िया लोकेश मालती प्रकाश
चित्र
: कनक शशि
‘मेरा सपना भी होना था शामिल
तुझे सपने में होना था शामिल
तू सपने में आ
सुबह की चिड़िया
सपने में सुबह को ला’