Read Entire MagazineJune 2016

Cover - A poem by Sangeeta Gundecha, Illustration by Jagdish Joshi
कवर - वापसी/ कविता - संगीता गुन्देचा / चित्र - जगदीश जोशी

सूरज लौट रहा है
अपने लोक में
पक्षी लौट रहा है
घोंसले में
पानी में डोलती
नाव की तरह
रात में डूब रही है
शाम

ये वापसी की बेला है। सब अस्त हो रहा है। दिन भर की भाग दौड़ अब थमने को है। संगीता गुन्देचा की इस खूबसूरत कविता का साथ दे रहा है जगदीश जोशी का चित्र। या चित्र का साथ दे रही है कविता। या दोनों साथ-साथ ही हैं। सूरज को डूबता देख ये गडरिया भी अब लौट जाएगा। वो आसमान देख रहा है। तपती धूप में भेड़ों के रेवड़ लेकर घर से चला होगा। अब आस लगाए बादल देख रहा। बारिश हो तो वो भी घर जाए। सब तो लौट रहे हैं। चित्र-कविता की बेहद खूबसूरत जुगलबन्दी। जब हमने इस कविता और चित्र को कवर के लिए चुना था तो कहाँ जानते थे हम कि जब यह अंक छप रहा होगा इस चित्र का चितेरा इस दुनिया में घूमकर, अपने जीवन्त बोलते चित्रों को अपनी स्मृति के बतौर छोड़कर चला जाएगा। अपने चित्रों और व्यक्तित्व से इस दुनिया को कुछ और खुशनुमा बनाकर जगदीश जोशी 27 मई को उस दूसरे लोक की यात्रा पर निकल गए। जगदीश जोशी को हमारा सलाम...

Index
इंडेक्स पेज - इरीना आन्द्रीवा रुसी कमालकार हैं। आप उनके ऊनी खिलौने देखिए। बस कमाल। अपने बचपन की कहानियों, किरदारों की स्मृतियों में उन्होंने किस कदर साँसें भर दी हैं। वो बिल्ली जो हमेशा उनके साथ रहती थी अब भी साथ है। वो पियानो बजा रही हैं तो बिल्ली पास ही आँखें मींचे उसे सुन रही है। स्कूल के बस्ते में, खाने की मेज़ पर घूमते हुए... हर जगह बिल्ली उनके संग है।

Ek beti ka Sapna - A beautiful picture story by Russian artist Snezhana Soosh
एक बेटी का सपना-  स्नेज़ना को बचपन में पिता का साथ नहीं मिला। तो शायद उसने कल्पना में एक पिता बनाए और उनके साथ समय जिया। इस सुन्दर चित्रकथा के ज़रिए अब वो एक बार फिर अपने पिता के साथ हैं। बेटी की कल्पना में पिता का कद कितना ऊँचा है इसे सहज ही देखा जा सकता है। पर पापा कितने ही विशाल क्यों न हों धुरी तो उनकी छोटी-सी बेटी ही है। और बेटी ने खुद को इस विशाल पृथ्वी के सुपुर्द कर दिया है। पूरे प्यार से, दुलार से...।

Agar Magar - A column on children’s question
अगर-मगर- बच्चों के सवाल - गुलज़ार के जवाब। बच्चों के सवालों के गुलज़ार के चुटीले जवाब।
- चींटिया हर वक्त किसकी तलाश में रहती हैं?
- हाथी की। उसके कान में कुछ कहना है उसे।
आप भी अपने आसपास के बच्चों को गुलज़ार के बारे में बताएँ। उनकी फिल्में देखें, उनके लिखे गीत गुनगुनाएँ औऱ फिर उनसे कहें कि क्या उनके दिमाग में कोई सवाल कुलबुला रहे हैं जिन्हें वे गुलज़ार से पूछना चाहेंगे।

Pyare bhai Ramsahay - A story by Swayam Prakash, Illustration by Mayukh Ghosh
प्यारे भाई रामसहाय -  स्कूल पढ़ाई वो भी एक ही खास तरह की पढ़ाई की बन्द इमारत बनते जो रहे हैं। वहाँ किसी और हुनर का परिन्दा पर ज्ञ्द्ध नहीं मार सकता। और अगर मार ले तो उसका पूरा श्रय परिन्दे को ही जाना चाहिए। नानू स्कूली पढ़ाई में पूरी तरह से मिसफिट रहा। न पढ़ाई ने उसे गले लगाया न ही वो लगा। न समाज ने उसे गले लगाया न ही वो लगा। हर जगह दूरी-सी बनी रही। वो नालायक ही बना रहा। मसखरा। पर जब यही मसखरापन उसे फिल्मों में हास्य कलाकार की बुलन्दी पर ले गया। तो समाज अचम्भित रह गया। समाज उसे गले लगाने को उतावला हो गया। सवाल उठता है कि मान लो वो फिल्मों में न जाता, और यूँ ही कहीं साधारण-सी ज़िन्दगी बसर करता रहता तो क्या समाज में यूँ ही उपेक्षित बना रहता?

Kabristan ke Pathar - A memoir by Priyamvad, Illustration by Sujasha Dasgupta
कब्रिास्तान के पत्थर - धरती के ऊपर से नीचे की ओर एक अदृश्य सुरंग-सी जाती है। ऊपर की दुनिया में तमाम अस्थिरताएँ हैं - तमाम कारण हैं इन अस्थिरताओं के। इन्हीं अस्थिरताओं से जीवन है। स्थिरता के लिए यहाँ कोई जगह नहीं। स्थिर जीवन धरती के नीचे बसता है। पर उनकी स्मृतियाँ ऊपर रहती हैं। उनका नाम-पता बताती एक तख्ती वहाँ ज़रूर लगी रहती है। पर वहाँ कोई दरवाज़ा नहीं जिसे कोई खटखटा कर भीतर चला जाए। प्रियम्वद का एक बेहद खूबसूरत संस्मरण। साथ में हैं सुजाशा के जीवन्त चित्र।

Mathapacchi- Brain Teasers
माथापच्ची - सवाल-जवाबों का खेला।

Aur Bhediye kya sochte honge 
और भेड़िए क्या सोचते होंगे - कार्ल सफीना की किताब बिऑण्ड वड्र्स - वॉट एनिमल थिंक एण्ड फील में वे उन लोगों से हमें मिलवाते हैं जिन्होंने अपने जीवन के कई-कई साल किन्हीं जानवरों के साथ गुज़ारे हैं। पिछले अंक में हम हाथियों के साथ 14 साल गुज़ार देनेवाली सिंथिया और उनके सहकर्मियों से मिले थे। इस अंक में कार्ल हमें रिक के बारे में बता रहे हैं जो लगभग 20 सालों से भेड़ियों के साथ रह रहे हैं। वे उनके नाम-पता समेत उनके पुरखों के बारे में जानते हैं। उनके किस्से-कहानियाँ वो यूँ सुनाते हैं जैसे हम अपने रिश्तेदारों या दोस्तों की सुनाते हैं। पढ़िए भेड़ियों की दुनिया में झाँकते किस्से...

Puriyon ki Gathari - A serial story by Krishn Kumar, Illustrations by Jagdish Joshi
पूड़ियों की गठरी - पिछले दिनों जानेमाने शिक्षाविद कृष्ण कुमार की एक किताब आई थी - पूड़ियों की गठरी। इस बेहद खूबसूरत कहानी को चकमक में धारावाहिक रूप में छापा जा रहा है। एक स्कूल बस है जो सालों से बेकार खड़ी है। और बड़ी बहनजी बोल देती हैं कि अगली खेल प्रतियोगिता जो निवाड़ी में होने वाली है वहाँ इसी बस में जाया जाएगा। निवाड़ी जो दो सौ मील दूर है। स्कूल की सभी लड़कियाँ अचम्भित हैं। साथ में हैं जगदीश जोशी के भावपूर्ण चित्र।

Marichika - A creative piece by Udayan Vajpai, Illustration by Chandra Mohan Kulkarni
मरीचिका-   मरीचिका का ज़िक्र अकसर तपती धूप में राहगीरों से जोड़कर होता है। तेज़ गर्मी में दूर पानी का दिखना राहत पहुँचाता होगा। पानी पास ही है की उम्मीद उसके कदमों में ऊर्जा और खुशी भर देती होगी। औऱ वो बढ़ता जाता होगा। तब उसे शायद ही इस बात का अहसास होता होगा कि पानी से उसकी दूरी तो उतनी की उतनी बनी हुई है। बस पानी दिख रहा है यही काफी है उम्मीद बनाए रखने के लिए। पानी से ज़्यादा बड़ी हो जाती है तब उसकी उम्मीद। पर उदयन ने यहाँ मरीचिका को एक नए तरीके से देखा है। वे कहते हैं - झुलसी धरती अचानक पाती है कि उसके ऊपर की हवा तेज़ गर्मी के कारण पानी-सी लहरा रही है। ठीक उसके ऊपर पानी की तरह। धरती को मालूम है कि पानी में झाँककर अपना चेहरा देखा जा सकता है। मरीचिका हवा का थोड़ी-सी देर के लिए झुलसी हुई धरती पर पानी बन लहराना है।

Makhmal mein lipte hue joote & Raste ke sangi - Two memoirs by Dilip Chinchalkar
मखमल में लिपटे जूते और रास्ते के संगी - बचपन में पिता के दिए जूतों का मोल उस वक्त समझ आना जब न वो जूते रहे, न वो समय और न पिता। या फिर घर से स्कूल तक का रास्ता एक चपटे पत्थर को ठोकर मार-मारकर कटना। भले ही ये घटनाएँ अति साधारण है। शायद ही हमने इन पर तब बहुत ध्यान दिया होगा। पर दरअसल वो स्मृतियाँ बन रही थीं। और इन्हें पढ़ते हुए हममें ऐसी कितनी ही स्मृतियाँ बनने लगीती हैं। यही संस्मरणों की खूबसूरती है।

Haji -Naji - Fun story by Swayam Prakash, Illustration by Mayukh Ghosh
एक था हाजी एक था नाजी - हास्य कथा।

Chashma Naya hai - A column on children’s writings from Ankur, (a delhi based NGO), Illustration by Nilesh Gehlot
चश्मा नया है – झाँकी  - यह एक नया कॉलम है जिसमें दिल्ली की अंकुर संस्था के बच्चे हर बार अपना एक संस्मरण भेजते हैं। वो जिन पर लिखते हैं वो हममें से अधिकाँश के साथ घटता ही रहता होगा। हमने सोचा भी नहीं होगा कि इनको दर्ज भी किया जा सकता है। बच्चों ने इन्हें जिस बारीकी से देखा है वो कमाल है। बच्चों के भीतर झाँकने की एक खिड़की है यह। और नए चश्मे से देखोगे तो और भी बहुत कुछ नज़र आएगा।

Mera Panna - Children’s creativity column
मेरा पन्ना - बच्चों की रचनात्मकता को सलाम करते ये पन्ने बच्चों-बड़ों दोनों के लिए हैं। बड़े जिनके मन में बच्चों की और बच्चों के साहित्य की एक खास छवि बन गई है उनके लिए ये पन्ने खास तौर पर मुफीद होंगे।

Kya keet sunghte aur swaad bhi lete hain - An article by Bharat Poorey
क्या कीट सूँघते और स्वाद भी लेते हैं? - ज़ाहिर है कीटों के सूँघने और स्वाद लेने के तरीके हमसे काफी अलग हैं पर अनुभूति तो वही रहती है। जानिए वे कैसे बिना नाक और जीभ के ये अनुभूतियाँ पा लेते हैं।

Neend ki Thapki - A poem by Prabhat, Illustrations by Hiral Khona
नींद की थपकी - लोरी के एक सिरे में माँ-बच्चे का साथ है और दूसरे में बच्चे का नींद में खो जाना। यह एक मीठा सफर है जागने से सोने के बीच का जिसे लोरी पार कराती है। नींद के सुपुर्द होते ही माँ अकसर लोरी गाना बन्द कर देती है। क्या फिर वो खुद को भी इसी लोरी से सुलाती है? हीरल खोना के चित्रों में इस सफर को देखा जा सकता है।

Chief Seattle ki Chitthi - A letter, Illustrations by Snigdha Banerjee & Hariom Patidar
चीफ सिएटल की चिट्ठी - अमरीका के मूल रहवासियों को बाहर से आए बारूद-बन्दूकों से लैस लोगों ने नाम दिया - रेड इंडियन। इन ताकत से लैस लोगों ने अपनी घरती-आसमान से प्यार करनेवाले लोगों पर दबाव डालना शुरू किया। उनसे उनकी धरती, नदियाँ, जंगल छीनना शुरू किया। तब यहाँ के मुखिया ने बाहरी लोगों के मुखिया को एक चिट्ठी लिखी। जिसमें उन्होंने आज की नहीं सौ, दो सौ, हज़ार साल बाद पैदा होनेवाले बच्चों के प्रति अपने सरोकार का ज़िक्र किया। कि अगर तितलियाँ, जंगल, हवा, नदियाँ न होंगी तो वो बच्चे करेंगे क्या? एक महत्वपूर्ण चिट्ठी जिसे हम सब को पढ़ना और आत्मसात करना ही चाहिए।

Billu Golu Matallu - A poem by Amitabh Mukherjee, Illustration by Shubham Lakhera
बिल्लू गोल मुटल्लू - छोटे बच्चों को मीठी गोली की तरह पसन्द आएगी यह प्यारी-सी कविता। और इसके खूबसूरत चित्र।

Chandrama Akash ke katore mein pighalta - A write-up by Udayan Vajpai on Ridhima’s illustration
चन्द्रमा आकाश में पिघलता - चौथी में पढ़नेवाली रिद्धिमा के चन्द्रमा को देखकर मशहूर कवि उदयन वाजपेयी को लगा कि इसमें तो चाँद से उसकी किरणें नहीं निकल रहीं बल्कि खुद चाँद फैल रहा है। यूँ मानो आकाश के नीले कटोरे में शक्कर के बड़े से दाने जैसा पड़ा चन्द्रमा। धीरे-धीरे घुलकर आकाश में प्रकाश बनकर फैल रहा हो।

Bheja try - Three puzzles, Illustration by Vibhuti Pandey
भेजा ट्राई - दिमागी खुराक - तीन पहेलियाँ।
(पहली पहेली में हमसे एक गलती हो गई है। साँझे चूल्हे में दो औरतें लकड़ियाँ डालती हैं। पहली वाली तीन और दूसरीवाली पाँच। गलती से तीन लकड़ियों की जगह दो लिख दिया है।)

Chitrpaheli
चित्र पहेली - हर बार की तरह पहेली और चित्रों की जुगलबन्दी।