Read Entire MagazineNovember 2015

Cover - Illustration by Gargi Shingne, Class 3rd, Bhopal 
कवर - तीसरी में पढ़ती हैं गार्गी। हाल में जब नेपाल में भूकम्प आया था तो उसने हो सकता है अखबार, टीवी में खबरें देखी होंगी। घर वालों से शायद इस पर बात भी की होगी। और पूछा होगा कि इतनी भारी ज़मीन हिलती कैसे है? क्यों हिलती है? उसका दिल भी काँपा होगा इतने बेघर हुए लोगों को देख। बच्चों को यूँ टेंट में रोता-बिखलता देख उसके भी गले से निवाला न उतरा होगा। उसे रात में बिस्तर में शायद नींद नहीं आई होगी। कई बार उसे अपना बिस्तर डोलता-सा लगा होगा। ऐसे ही कभी अचाकचा कर वो उठ बैठी होगी। और सोचा होगा क्या होता तो ऐसा न होता। ऐसे में ही शायद उसे एक बड़े गुब्बारे से धरती को उठा लेने का ख्याल आया होगा। क्या कमाल का ख्याल... और चित्र!

Satrangi Vividhta - A poem by Sparsh Soni, 4th DPS Ludhiana
सतरंगी विविधता - आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं वो आपको तटस्थ नहीं रहने दे सकता। आप आँख मूँदकर और सिर झुकाकर तूफान के गुज़र जाने का इन्तज़ार नहीं कर सकते हैं। आसपास इतनी गहमागहमी है कि चुप रहना अन्याय के पक्ष में खड़े होने की तरह है। नौ साल के स्पर्श को अन्याय के पाले में खड़ा होना स्वीकार्य नहीं। वो अपना विरोध दर्ज करता है। और किस बखूबी से दर्ज करता है आप खुद देखें...

Index
इंडेक्स - विद्यावनम में पाँचवीं में पढ़ते हैं श्री राम। पता नहीं इस चित्र को बनाते समय उन्होंने सोचा था कि नवम्बर के महीने में हम बाल दिवस मनाते हैं। उन्हीं का दिवस। आज वो जब कचरा बीनने, कारखानों, घरों, चायखानों, दुकानों में काम करने में दिन-दिन बिता देते हैं कौन हैं जो इस दिन गाने गाते हैं, उन्हें आगे बढ़ने, तरक्की करने की कामना करते हैं...

Laltu se baat cheet - A conversation with a little boy Laltu, Illustrations by Bihu and Aarav
लाल्टू से बातचीत - एक छोटा-सा बच्चा है लाल्टू। सवालों का पुलिन्दा। उसे हर बार हैरान कर जाती है। उसे हर बात छू जाती है। कोई इसलिए लिखता है कि वो औरों को छू सके। उसे पचती नहीं है। वो सवाल पूछता जाता है...शायद वो हमें हमारे और करीब ला रहा होता है इस तरह। हम खुद को छू रहे, देख रहे होते हैं - उसके मार्फत। एक अनूठी बातचीत जिसे आप चकमक के आगे के अंकों में भी सुनेंगे…

Azagar ka Pet - A story by Abdul Bismillah, Illustrations by Dilip Chinchalkar
अजगर का पेट - लालजी अपने पिता को कई-कई अजगरों से घिरा पाता है। साहूकार, समाज उसे और उसके पिता को लील रहा है। वो देखता है। कुछ कर नहीं पाता है। शायद करेगा किसी दिन आज ख्यालों में कर रहा है.. इस चित्र के बारे में तुम्हें क्या लगता है?

Andaze bayan aur…
अन्दाज़े बयां और… मशहूर फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए ब्रोसां का कहना है कि एक अच्छी तस्वीर की शर्त ही होती है आपका सही समय पर क्लिक का बटन दबाना। पर अगर आप देख ही नहीं सकते हैं और आपके सामने कैमरा है तो किसकी खींचेंगे तस्वीर और कब दबाएँगें क्लिक का बटन। दो उत्साही फोटोग्राफरों ने एक बीड़ा उठाया। चार नेत्रहीन बच्चों के साथ फोटोग्राफी करने का। आप भी पढ़ें...

Shor barpa hai - An activity for children by Aamod Karkhanis
शोर बरपा है - शोर हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। हम कितना शोर रोज़ सुनते हैं? क्या उसे मापा जा सकता है? एक गतिविधि भी लेख भी...।

Dost (Part-8) - A picture story by Sashi Kiran
दोस्त - दो दोस्तों की कहानी जो धीरे-धीरे आपकी कहानी भी बनती जा रही है...घर में पिल्ले का न रहना अब बहुत खल रहा है। तो किस तरह लाया जाए एक पिल्ला घर में...इसी की जद्दोजहद में लगा है एक दोस्त...

Subah Chirur-Chirur - A photo feature by Vikas Agarwal
सुबह चिरूक-चुरूक शाम चिरवाक चिरवाक - एक छुट्टी का दिन। कैमरा गले में टाँग वो चल दिए फोटो खींचने। एक पेड़ पर दिखे तीन उल्लू। आप भी देखें... क्या खूब दिखे...

Bhasha Icon ki - An article on Language of Icons by Indrani Roy
भाषा आइकन की - संकेत या आइकन का अर्थ हर समाज के लिए एक-सा नहीं होता। यानी फेसबुक पर जिस अँगूठे पर क्लिक कर आप लाइक करते हैं (यानी किसी का उत्साह बढ़ाते हैं) वही अँगूठा किसी और के लिए ठेंगा दिखाना भी हो सकता है। एक मज़ेदार लेख...

Rassi se pani kheenco - An activity by Ankush Gupta
रस्सी से पानी खींचें- एक मज़ेदार गतिविधि। एक बालटी कुछ ऊँचाई पर रखें और एक नीचे। एक रस्सी लटका दें - ऊपर से नीचे। फिर देखें क्या होता है...

Ek Paheli - A puzzle by Manish Jain, Illustration by Dilip Chinchalkar
एक पहेली- एक सुरंग से गुज़रती रेल और दो व्यक्ति। रेल के साथ एक भी व्यक्ति नहीं चल सकता। तो फिर कैसे पार की जाएगी सुरंग...एक रोचक पहेली।

Aajkal - A caricature by Kanak
आजकल - इन दिनों जो घट रहा है आसपास आप उससे निरपेक्ष नहीं रह सकते। तो एक चुटकी उसी पर...

Orchis Italica - A column on flowers which look alike other creature’s
आर्किस इटैलिका - एक फूल जो हाथ-पाँव फैलाकर हँसता एक बच्चा अधिक लगता है। जानिए इस अजब फूल के बारे में...

Boli Rangoli - A column on children’s illustrations on Gulzar’s couplet
बोली रंगोली
खिड़की से झाँकके देखना कोई
इस घर में रहने आया है
सी-सी करता हाथ मलता है
मंकी कैप पहने आया है
इस बार भी हमें बच्चों के ढेरों चित्र मिले। ज़ाहिर है अधिकांश में बच्चों ने किसी न किसी को मंकी कैप पहने दिखाया है। पर एक चित्र में मंकी ने कैप पहनी है। एक चित्र में एक खिड़की खुली है...सुन्दर विचार।

Salaam - A story by Sanjeev, Illustrations by Kanak
सलाम - जब स्थितियाँ इतनी विपरीत हो जाती हैं कि जीने की कोई उम्मीद शेष नहीं रहती तभी काम आती है आपकी जिजिविषा। एक अत्यन्त रोचक कहानी। और साथ में है बेहद सुन्दर चित्र।

Humne dekhe ajab pahaad - A poem by Shyam Sushil, Illustrations by Shobha Ghare
हमने देखे अजब पहाड़ - कुछ पहाड़ तो सपनों से थे, कुछ पहाड़ सपनों से अच्छे....एक सुन्दर कविता और साथ में शोभा घारे का बेहद सुन्दर चित्र।

Bidaal badi ya cage - A picture story
बिड़ाल बड़ी या केज - एक चूहा। सामने से आती बिल्ली से बचने के लिए भागता है। सामने है पिंजरा। बचना है तो पिंजरे में जाना होगा। अभी तो उसे बस इतना ही सूझता है। और वो जा घुसता है उसमें। अब बिल्ली से तो बच गया। पर अब पिंजरे में जीवन....। क्या है जीवन वहाँ...। एक कॉमिक…

Mathapacchi- Brain teasers
माथापच्ची - हर बार की तरह दिमागी खुराक...

Mera Panna - Children’s creativity column
मेरा पन्ना - मैंने एक तितली को फूल पर बैठे देखा। वह इतनी सुन्दर और रंग-बिरंगी थी। देखते ही देखते वह मेरे हाथ पर बैठ गई। उस पल मुझे इतना अच्छा लगा कि मेरा दिल कहता है ऐसी ही एक बड़ी-सी तितली हमेशा मेरे साथ रहे।...यह लिखा है तीसरी में पढ़नेवाली वान्या अरोड़ा ने। कमाल है!

Humara Mulk - A poem by Ibne Insha, Illustration by Rajanya Prajapati
हमारा मुल्क - मुश्किल वक्त में जब हम विभिन्न तरह के तनावों से गुज़र रहे हैं इस तरह की रचनाएँ शायद कुछ लोगों को थमकर सोचने पर मजबूर करें। क्या एक ही तरह की आबादी में ज़्यादा प्रेम, सहिष्णुता होगी? क्या ऐसा समाज जहाँ कोई विविधता नहीं वहाँ कोई द्वेष भी नहीं?... सोचिए।

Magarmach (Last part) - A serial story by Jasbir Bhullar, Illustrations by Atanu Roy
मिलना दो मगरमच्छों का (अंतिम भाग) - किरली और मग्घू मगरमच्छ जो इस धारावाहिक की पहली कड़ी में बिछुड़े थे आखरी कड़ी में फिर एक हो गए।

Anarko Ka ek aur din by Satinath Sarangi, Illustrations by Sashi Shetey
अनारको का एक और दिन - जाने क्यों हम बच्चों से इतना डरते हैं? उन्हें प्यार करने का दावा करते हैं, फिर डरते क्यों हैं? भय और प्रेम एक म्यान में नहीं रह सकते, पर हम रखते हैं। और प्यार की तौहीन करते हैं। बच्चे इस तौहीन को तो नहीं समझ पाते, पर कहीं कुछ गड़बड़ है इसे भाँप लेते हैं। अनारको ने भी ऐसे ही भाँप लिया जब उसे अपने सहेली से पता चला कि उसकी माँ के पेट में बच्चा है। उसके अन्दर इस विचार से ही तितलियाँ उड़ने लगीं पर उससे छिपाया क्यों, पेट में बच्चा आया कैसे यह बात उसे परेशान किए जा रही है। उसे माँ-पिता पर गुस्सा आता है। पर थोड़ी देर में चला जाता है जब सहेली की बहन उसे सब बता देती है। हम नाहक परेशान होते हैं कि बच्चों से यह छुपा लें, वो छुपा लें। बच्चों को इस से, उस से दूर रखें...पर बात तो तभी बनती है जब उनसे बात की जाएगी। हर बात पर उनसे बात की जा सकती है। इस पर हमारा यकीन बने तो देखिए प्रेम का कैसे झरना बह निकलेगा...। शशि शेटिए का सुन्दर चित्र भी एक पाठ की तरह लगता है।

Funny Pathshala- A cartoon making column by Irfaan
फनी पाठशाला - हमने सोचा था इस बार रावण बच्चों के कार्टून की मुख्य विषयवस्तु होगा। हुआ तो। इस बार हमें दो सौ के करीब रावण मिले। बच्चों ने भले ही उसे बुराई के प्रतीक के रूप में विशाल और भयावह बनाने की हर मुम्किन कोशिश की थी पर रहा तो वो बेहद मासूम। क्यूट।... आप भी इन्हें देख मुस्कुराए बिना न रहेंगे। हमें इतने सारे रावण मिले कि हम उन्हें प्रकाशित करने का मोह त्याग नहीं पाए। साथ में पढ़ें सुभाष वसेकर की मराठी में लिखी कविता - रावण

Chitrpaheli
चित्र पहेली - हर बार की तरह चित्रों से सजी पहेली...