प्रमाण बता रहे हैं कि कोयले की विदाई और नवीकरणीय ऊर्जा का स्वागत करने की बेला आ चुकी है। दो सौ साल पहले ब्रिटेन से शु डिग्री होकर औद्योगिक क्रांति ऊर्जा के जिस स्रोत के दम पर फैली थी वह कोयला ही था। यह ऊर्जा का इतना सस्ता और आसानी से उपलब्ध स्रोत जो था। मगर अब एक बार फिर सब कुछ बदलने को है।
पिछले वर्ष यूके की कोयला खपत वर्ष 1800 के बाद न्यूनतम रही। अप्रैल में तो एक दिन ऐसा भी था जब यूके के किसी भी बिजली घर में कोयला जलाया ही नहीं गया। और तो और, पूरी दुनिया में कोयले की उपलब्धता भी घट रही है। दुनिया भर में प्रति वर्ष पहले से कम कोयले का खनन हो रहा है। कई देश कोयला-आधारित ताप बिजली संयंत्रों को अलविदा कह रहे हैं।
इसके साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। इस क्षेत्र में पवन व सौर ऊर्जा अग्रणी हैं। आज पूरी दुनिया में कुल ऊर्जा में से 11.3 प्रतिशत इन्हीं नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त हो रही है। मुख्य कारण यह है कि सौर व पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने की लागत तेज़ी से कम हो रही है।
कुल मिलाकर सारे संकेत बता रहे हैं कि दुनिया कोयले को छोड़कर नवीकरणीय स्रोतों की ओर बढ़ रही है और जलवायु पर इसका अच्छा असर होने की संभावना है। शायद हम अंतत: जलवायु परिवर्तन को थाम सकेंगे।
मगर फिलहाल बहुत आशावादी होने की बेला नहीं आई है। आज भी जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के प्रमुख स्रोत बने हुए हैं। गैस और तेल की मांग बढ़ रही है और आज भी अधिकांश बिजली जीवाश्म ईंधनों से ही बनाई जा रही है। वैसे आज भी परिवहन (जिसमें सड़क, समुद्री और हवाई परिवहन शामिल है) के लिए हमारे पास जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है।
अलबत्ता, इतना कहा जा सकता है कि ऊर्जा के संदर्भ में हवा का रुख बदला है और विकल्पों की तलाश पहले से कहीं अधिक तेज़ी से की जा रही है। (स्रोत फीचर्स)