कुत्तों के मालिक हलफनामा दे देंगे कि कुत्ते उनके परम मित्र होते हैं और उनकी भावनाओं को समझते हैं, समझकर स्वयं भी भावुक हो जाते हैं। हाल में किए गए एक प्रयोग से लगता है कि यह भावनात्मक जुड़ाव वास्तविक है और आपके पसीने के मार्फत काम करता है।
यह बात तो काफी समय से पता रही है कि कुत्ते मानव व्यवहार के संकेतों को देख-सुन सकते हैं। मगर अब तक किसी ने इस संदर्भ में गंध संकेतों का अध्ययन नहीं किया था। इटली के नेपल्स विश्वविद्यालय के बियाजिओ डीएनिएलो और उनके दल ने इसी बात की जांच करने के लिए एक प्रयोग किया कि क्या कुत्ते मात्र सूंघकर मनुष्यों की भावनाओं का अंदाज़ लगा सकते हैं।
प्रयोग में सबसे पहले तो कुछ वालंटियर्स को वीडियो दिखाए गए। कुछ वालंटियर्स को डरावने वीडियो दिखाए गए जबकि कुछ वालंटियर्स को खुशनुमा वीडियो। कुछ वालंटियर्स को तो ऐसे वीडियो दिखाए गए थे जिनमें ऐसी कोई भावनाएं नहीं थीं। फिर इन वालंटियर्स के पसीने के नमूने लिए गए।
इसके बाद पसीने की गंध के ये नमूने कुत्तों को पेश किए गए और उनकी प्रतिक्रिया का निरीक्षण किया गया। जिन कुत्तों को डर की गंध वाला पसीना सुंघाया गया था उनमें तनाव के लक्षण ज़्यादा नज़र आए। उनकी ह्रदय गति भी अधिक रही और उन्हें अपने मालिकों से सांत्वना की चाह भी ज़्यादा नज़र आई। और तो और, डरा हुआ पसीना सूंघने के बाद कुत्ते अजनबियों के साथ हिलने-मिलने से भी कतराते रहे।
इस प्रयोग के नतीजे एनिमल कॉग्नीशन नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। शोध का नेतृत्व कर रहे डीएनिएलो का मत है कि उनका यह प्रयोग अलग-अलग क्रियाविधियों के ज़रिए होने वाली प्रतिक्रियाओं को अलग-अलग करके देखने का एक प्रयास था। ऐसा लगता है कि मनुष्य अपने पसीने के साथ जो गंध छोड़ते हैं वह कुत्तों में समान भावनाएं जगा सकती है। अलबत्ता, यह बहस तो जारी है कि क्या ऐसा होना कुत्तों को पालतू बनाए जाने का परिणाम है या कुदरती है। और पता नहीं आजकल के डीओडोरेंट के ज़माने में कुत्ते क्या करते होंगे। (स्रोत फीचर्स)