एक पतंगे के बारे में पता चला है कि वह अपने अलग-अलग शत्रुओं से बचने के लिए अलग-अलग रसायनों का निर्माण करता है। बिबियाना रोजस और उनके साथियों ने अपने अवलोकनों और प्रयोगों की मदद से दर्शाया है कि यह पतंगा (वुड टाइगर मॉथ) शरीर के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग किस्म के विषैले पदार्थ छोड़ता है और ये पदार्थ अलग-अलग शत्रुओं को दूर रखने में मदद करते हैं।
वुड टाइगर मॉथ काफी भड़कीले रंगों वाला होता है। यह भड़कीली वेशभूषा इसके शिकारियों के लिए चेतावनी का काम करती है। मगर ये रंग इस पतंगे के रासायनिक शस्त्रों से जुड़े हैं। इस तरह दृश्य सुरक्षा व्यवस्था को रासायनिक शस्त्रों के साथ उपयोग करने वाले जंतुओं को एक विशेष नाम दिया गया है - एपोसेमेटिक। यदि कोई शिकारी इस पतंगे को निगलने की कोशिश करता है तो उसके मुंह में विषैले रसायन घुल जाते हैं और आगे से वह शिकारी इस पतंगे का शिकार करने से बचता है।
रोजस की टीम ने पाया कि वुड टाइगर पतंगा अपनी गर्दन पर उपस्थित ग्रंथियों से एक विष छोड़ता है जबकि पेट की ग्रंथियों से अलग ही विष बनाकर छोड़ता है। बात इतनी ही होती तो ठीक था क्योंकि एक ही जंतु द्वारा एक से अधिक विष बनाया जाना कोई खास बात नहीं है। किंतु वुड टाइगर पतंगे में एक खासियत है। इसके पेट वाले हिस्से से निकलने वाला विष चींटियों को दूर रखता है जबकि गर्दन से निकलने वाला विष पक्षियों को भगाता है। रोजस की टीम ने तो यहां तक देखा कि यदि चींटियों को इस पतंगे की गर्दन से निकलने वाला विष और शकर का घोल दिया जाए तो वे विषपान को तरजीह देती हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह पहली प्रजाति खोजी गई है जिसमें अलग-अलग शत्रु के लिए अलग-अलग विष का निर्माण होता है। इस खोज का विवरण प्रोसीडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित हुआ है।
तो क्या यह एक अनोखी एकमेव प्रजाति है? रोजस कहती हैं कि हमने अभी देखा नहीं है। देखेंगे तो ऐसी कई और प्रजातियां अवश्य खोजी जाएंगी। (स्रोत फीचर्स)