करीब 4 करोड़ वर्ष पहले अंतरिक्ष से अवतरित एक विशाल चट्टान पृथ्वी से टकराई थी। यह स्थान वहां था जहां आजकल कनाडा देश है। इस टक्कर में उत्पन्न गर्मी की वजह से उस स्थान की चट्टानों का तापमान थोड़ी देर के लिए 2370 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह सूरज की सतह के तापमान से आधा था। सवाल यह है कि 4 करोड़ वर्ष पूर्व घटी घटना के बारे में हम कैसे जानते हैं कि तापमान क्या हुआ था।
कुछ तो हम भौतिकी के नियमों से जानते हैं कि इतने विशाल पिंड के तेज़ गति से टकराने पर गर्मी उत्पन्न होती है। किंतु किस टक्कर से कितनी गर्मी पैदा होगी और तापमान कहां तक पहुंचेगा यह बताना पेचीदा मसला होता है। एक समस्या तो यह है कि घटना 4 करोड़ वर्ष पूर्व हुई थी। दूसरी समस्या यह है कि अंतरिक्ष का वह पिंड और धरती की चट्टानें उस घटना में उत्पन्न गर्मी की वजह से वाष्पीकृत भी हो गई होंगी। तो वैज्ञानिक सोच रहे थे कि ऐसी घटना के बाद 4 करोड़ वर्ष तक कौन-से चिंह बचे रहेंगे। कनाडा-टक्कर के बारे में एक अनपेक्षित स्रोत से मदद मिली है - यह स्रोत है वहां पाए जाने वाले रत्न। टक्कर के स्थान पर जो गड्ढा बना है वह 28 किलोमीटर व्यास की एक झील है - मिस्टेस्टिन झील।
ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के निकोलस टिम्स और उनके साथियों ने निष्कर्ष निकाला है कि यह गड्ढा किसी समय इतना गर्म हुआ था कि वहां ज़िर्कान नामक खनिज पदार्थ ज़िर्कोनिया नामक रत्न में तबदील हो गया। ज़िर्कान लगभग एक तापमापी की तरह काम करता है क्योंकि ज़िर्कोनिया में तबदील होने के लिए इसे कम से कम 2370 डिग्री का तापमान ज़रूरी होता है।
अर्थ एंड प्लेनेटरी साइन्स लेटर्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अपने शोध पत्र में टिम्स की टीम ने बताया है कि मिस्टेस्टिन झील में पाए गए ज़िर्कोनिया कम से कम 3.8 करोड़ वर्ष पुराने हैं। टिम्स का कहना है कि इससे पहले किसी ने भी ज़िर्कान का उपयोग इस मकसद से करने के बारे में नहीं सोचा था। इस अनुसंधान के बारे में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के बेंजामिन ब्लैक का कहना है कि इससे पता चलता है कि उल्का पिंडों की टक्कर के बाद परिस्थितियां कितनी अतिवादी हो सकती हैं। इसके आधार पर हम यह भी सोच सकते हैं कि शुरुआत में जब पृथ्वी पर लगातार उल्का पिंडों की बारिश हो रही थी तब कैसी स्थितियां निर्मित हुई होंगी। (स्रोत फीचर्स)