एक बिरले त्वचा रोग से ग्रस्त सिरियाई बच्चे की लगभग पूरी चमड़ी की जगह नई त्वचा फैलाकर इलाज करने में सफलता मिली है। यह सात-वर्षीय बच्चा जिस बीमारी से पीड़ित था उसका नाम है एपिडर्मोलायसिस बुलोसा। इस रोग में त्वचा की ऊपरी परत (एपिडर्मिस) की कोशिकाएं निचली परत (डर्मिस) की कोशिकाओं से भली-भांति जुड़ नहीं पातीं। नतीजतन बाहरी त्वचा आसानी से हट जाती है और व्यक्ति को लगातार फफोले और घाव होते रहते हैं।
इस बच्चे का अत्यंत नवाचारी इलाज जर्मनी के रूर विश्वविद्यालय के बाल अस्पताल में किया गया है। इस इलाज को संभव बनाने में ज़बर्दस्त अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी सामने आया है और इससे त्वचा की पुनर्जनन क्षमता के बारे में नई समझ भी बनी है।
बच्चे को स्वस्थ करने के लिए ज़रूरी था कि उसकी लगभग 80 प्रतिशत क्षतिग्रस्त त्वचा की जगह नई त्वचा लगाई जाए। किंतु दिक्कत यह थी कि उसकी त्वचा प्रत्यारोपण के बाद फिर से उसी रोग से ग्रस्त हो जाती थी क्योंकि उनमें एक प्रोटीन (लेमिनिन बी-3) बनाने वाला जीन क्षतिग्रस्त था। यह प्रोटीन कोशिकाओं के बीच के अंतरालों में पाया जाता है और कोशिकाओं को आपस में जोड़कर रखने में भूमिका निभाता है।
इस कार्य में जेनेटिक उपचार की मदद ली गई। पहले तो उस बच्चे की शेेष बची स्वस्थ त्वचा में से किरेटिनोसाइट नामक कोशिकाओं को पृथक किया गया। इन्हें कल्चर में फैलने दिया गया। इसके बाद इन्हें एक ऐसे वायरस से संक्रमित करवाया गया जिसमें उक्त प्रोटीन का सही जीन जोड़ा गया था।
इसके बाद जेनेटिक रूप से परिवर्तित इन किरेटिनोसाइट कोशिकाओं से बनी झिल्ली को बच्चे के शरीर के कुछ हिस्सों पर प्रत्यारोपित किया गया। 2015 में प्रत्यारोपण के दो बड़े-बड़े ऑपरेशन किए गए और फिर छोटे-मोटे टुकड़ों को भरने के लिए 2016 में अंतिम व तीसरा ऑपरेशन किया गया। बताया जा रहा है कि बच्चा स्वस्थ है और स्कूल जा रहा है, खेलकूद रहा है।
इस इलाज के सफल होने से ऐसे रोगियों के लिए नई उम्मीद तो जगी ही है, साथ ही जीव वैज्ञानिकों को त्वचा के निर्माण के बारे में नई समझदारी भी हासिल हुई है। यह तो सभी जानते हैं कि हमारी त्वचा की कोशिकाएं लगातार झड़ती रहती हैं और उनका स्थान नई कोशिकाएं लेती रहती हैं। सवाल यह रहा है कि ये नई कोशिकाएं आती कहां से हैं। क्या ये कोशिकाएं त्वचा की अन्य सामान्य कोशिकाओं के विभाजन से बनती हैं या त्वचा की स्टेम कोशिकाएं इनका निर्माण करती हैं। इस पूरे इलाज के दौरान किए गए विभिन्न विश्लेषणों से स्पष्ट हुआ है कि वास्तव में नई कोशिकाएं स्टेम कोशिकाओं से बनती हैं। यह समझ त्वचा के कैंसर की गुत्थी सुलझाने में मददगार होगी। (स्रोत फीचर्स)