क्या आप जानते हैं कि सर्जरी का समय भी आपके स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता सकता है।
ह्रदय वॉल्व का प्रतिस्थापन करवा चुके 600 रोगियों के अध्ययन में देखा गया है कि सुबह के समय सर्जरी किए गए रोगियों की तुलना में दोपहर के समय में सर्जरी किए गए रोगी अधिक स्वस्थ रहे। साथ ही सर्जरी के 500 दिन बाद भी दोपहर में सर्जरी किए गए रोगियों में मायोकार्डियल इंफाक्र्शन (यानी ह्रदय की मांसपेशियों की नाकामी), ह्रदय की धड़कन रुकना, या मृत्यु का जोखिम अन्य की तुलना में 50 प्रतिशत कम पाया गया। अन्य 88 मरीज़ों के अध्ययन में भी यही बात सामने आई है कि दोपहर में सर्जरी के परिणाम बेहतर होते हैं।
इस अध्ययन के प्रमुख लिले-फ्रांस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड मोंटेन बताते हैं कि सर्जरी का समय बदलकर ह्रदयकी क्षति या मृत्यु दर में कमी लाई सकती है। सर्जरी के बाद के जोखिम कम करने के लिए अन्य सर्जिकल विकल्प बहुत कम हैं। कारण यह है कि सर्जरी के बाद होने वाले नुकसान में शरीर की अंदरुनी घड़ी और उसे नियंत्रित करने वाले जीन का प्रभाव भी होता है। अध्ययन में यह भी मालूम चला है कि कुछ टीकों और कैंसर के उपचार की प्रभाविता भी दिन के समय से प्रभावित हो सकती है।
यह अध्ययन सर्कैडियन रिदम विज्ञान के महत्व को रेखांकित करता है। अंत में वैज्ञानिक यह भी जानना चाहते हैं कि किस तरह ह्रदय की मांसपेशियों का व्यवहार बदला जाए जिससे वह दिन भर उसी तरह कार्य करे जैसे दोपहर के समय में देखने को मिलता है। इसके लिए रेव-एरबेना नामक एक जीन चुना गया जिसकी दैनिक लय सुबह और दोपहर में बहुत अलग देखने को मिलती है। जब इस पर कार्य करते हुए वैज्ञानिकों ने चूहों में यह जीन हटाकर देखा तो यह निष्कर्ष मिला कि चूहे सुबह की सर्जरी में जल्दी उबर रहे हैं।
अब वैज्ञानिक इस बात पर भी अध्ययन कर रहे हैं कि किस तरह रेव-एरबेना को विनियमित किया जाए जिससे इसे इंसानों के लिए उपयोग कर सकें।
वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह तो मुमकिन नहीं है कि सुबह के समय सर्जरी की ही न जाए, परन्तु बेहतर होगा कि केवल उच्च जोखिम वाले रोगियों की सर्जरी ही सुबह के समय की जाए। (स्रोत फीचर्स)