युरोपीय संघ के देशों ने बहुमत से तीन कीटनाशकों पर चले आ रहे प्रतिबंध को जारी रखने का निर्णय लिया है। ये तीनों कीटनाशक नियोनिकोटिनॉइड समूह के हैं और प्रमाण दर्शाते हैं कि ये तीनों कीटनाशक परागण करने वाले कीटों को हानि पहुंचाते हैं।
दरअसल, 2013 में युरोपीय संघ ने तीन किस्म के नियोनिकोटिनॉइड्स पर प्रतिबंध लागू किया था। यह प्रतिबंध उन फसलों के संदर्भ में था जिनमें उत्पादन का दारोमदार फूलों पर होता है। कारण यह था कि इन फसलों का परागण करने वाली मधुमक्खियों व अन्य कीटों पर इनके हानिकारक असर के प्रमाण मिले थे। इन कीटनाशकों को सामान्यतया बीजों पर लगाया जाता है ताकि बीज मिट्टी के कीटों से सुरक्षित रहें। अंकुरण के समय ये बीजों में अवशोषित हो जाते हैं और धीरे-धीरे पूरे पौधे में और अंतत: फूलों में और परागकणों में पहुंच जाते हैं।

प्रयोगशाला में किए गए कई अध्ययनों में पाया गया है कि ये कीटनाशक परागणकर्ताओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सब प्रमाणों को देखते हुए युरोपीय संघ में प्रस्ताव आया था कि सारी फसलों पर इन कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। मगर सारे देश सहमत नहीं थे। असहमति का एक कारण तो यह था कि इनके हानिकारक प्रभावों के प्रमाण बहुत पुख्ता नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि यदि इन कीटनाशकों का उपयोग रोका गया तो छिड़कने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ेगा, जो शायद ज़्यादा हानिकारक होगा। किंतु अंतत: संघ की स्टेंडिंग कमिटी ऑन प्लांट्स, एनिमल्स, फूड एंड फीड की बैठक में बहुमत से प्रस्ताव स्वीकार हो गया। जहां पर्यावरण कार्यकर्ता व संगठन इस निर्णय से खुश हैं, वहीं किसानों ने कहा है कि इसका प्रतिकूल असर उत्पादन पर पड़ेगा। (स्रोत फीचर्स)