हाल ही में यूएस के शहरों में वायु प्रदूषण को लेकर हुए शोध के नतीजे कहते हैं कि हमारे रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाले साबुन, इत्र, रंग और कीटनाशक वगैरह से भी उतना ही वायु-प्रदूषण होता है जितना कि वाहनों से होता है। इन नतीजों ने शोधकर्ताओं को भी आश्चर्य में डाल दिया है।

ओज़ोन के निर्माण में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और धूल के महीन कण धुंध पैदा करते हैं जिसके कारण दमा से लेकर ह्मदय सम्बंधी रोग तक हो सकते हैं। कारों और ट्रकों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ-साथ कई कार्बनिक यौगिक निकल कर हवा में घुल-मिल जाते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। किंतु हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि कुछ घरेलू और व्यावसायिक उत्पाद भी वाष्पशील कार्बनिक यौगिक मुक्त करते हैं।

घरेलू उत्पादों से होने वाले प्रदूषण सम्बंधी शोध का नेतृत्व कर रही ब्राायन मैकडोनाल्ड का कहना है कि सुबह दफ्तर के लिए तैयार होने में जो चीज़ें इस्तेमाल होती हैं वे सब मेरी कार के बराबर ही प्रदूषण फैलाती हैं। ब्राायन मैकडोनाल्ड कोलेरोडो स्थित नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) में वायु प्रदूषण शोधकर्ता हैं।

वाहनों में प्रदूषण नियंत्रक लगाने से पिछले 50 सालों में वाहनों के कारण होने वाले वायु-प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन धुंध भरे शहरों जैसे लॉस एंजेल्स में धुंध का स्तर फिर भी वैसा ही बना हुआ है। सन 2010 में वायु के नमूनों की जांच में कुछ ऐसे वाष्पशील कार्बनिक यौगिक पाए गए हैं जो वाहनों द्वारा उत्सर्जित नहीं होते हैं। वायु में इन यौगिकों का स्तर आशंका से कहीं अधिक था। मैकडोनाल्ड और उनके साथियों ने इन यौगिकों के स्रोत का पता लगाने की कोशिश की।
क्या घरेलू रासायनिक उत्पाद धुंध पैदा करने में अपनी भूमिका निभाते हैं? यह जांचने के लिए मैकडोनाल्ड और उनके साथियों ने घर के अंदर और बाहर की हवा के नमूने, नियामक डैटा और प्रायोगिक परिणाम लिए।

टीम ने कैलिफोर्निया एअर रिसोर्सेस बोर्ड से रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों (जैसे साफ-सफाई, ड्रायक्लीनिंग, नेल-पेंट रिमूवर और प्रिंटिंग स्याही) के रासायनिक संघटन की जानकारी प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इकट्ठे किए गए हवा के नमूनों में यौगिकों का विश्लेषण किया और उनका मिलान इन उपरोक्त उत्पादों के यौगिकों से किया। शोधकर्ताओं ने यह भी अनुमान लगाया कि साबुन और सफाई में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद पानी के साथ धुलकर नाले में बह जाते हैं लेकिन उनके वाष्पशील कार्बनिक यौगिक हवा में घुल जाते हैं।

अध्ययन की सह-लेखिका जेसिका गिलमैन का कहना है कि ये रासायनिक उत्पाद वाहनों से उत्सर्जित प्रदूषकों से भिन्न हैं। इन उत्पादों को इस तरह बनाया जाता है कि इनका वाष्पीकरण हो। इन यौगिकों के हवा में घुलने पर कई तरह की क्रियाएं होती हैं जो उन्हें महीन कणों में परिवर्तित कर देती हैं।
फ्रेंक गिलिलैंड एक सार्वजनिक-स्वास्थ्य शोधकर्ता हैं। वे वायु प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर होने प्रभावों पर अध्ययन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह अध्ययन प्रदूषण नियंत्रण के नए लक्ष्यों की ओर ध्यान अवश्य दिलाता है। लेकिन आज भी वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण जीवाश्म र्इंधनों का दहन है। और हमें इस पर से ध्यान हटाना नहीं चाहिए। (स्रोत फीचर्स)