पारुल सोनी

हमने  साँप  के  बारे  में  कई  बातें सुनी हैं। अलग-अलग प्रजाति के साँपों के अलग-अलग व्यवहार। स्पिटिंग कोबरा भी उनमें से एक है। कोबरा की विभिन्न प्रजातियों में से यह एक ऐसा साँप है जो अपने विषदन्त के ज़रिए ज़हर को आगे यानी सामने की ओर फेंकता है। इसीलिए इन्हें स्पिटिंग कोबरा कहा जाता है, मतलब ज़हर को स्प्रे या ज़हर की बौछार करने वाला साँप। अधिकांश स्पिटिंग कोबरा नाजा प्रजाति के होते हैं। ये अधिकतर दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणपूर्वीय एशिया के घास के मैदानों, खेतों और जंगलों में पाए जाते हैं। अफ्रीका में स्पिटिंग कोबरा की सात प्रमुख प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें रेड स्पिटिंग कोबरा, मोज़ाम्बिक स्पिटिंग कोबरा, ब्लैक-नेक्ड स्पिटिंग कोबरा और ज़ेब्रा स्पिटिंग कोबरा उल्लेखनीय हैं।
इसी तरह एशिया में भी स्पिटिंग कोबरा की 7 विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें इक्वेटोरियल स्पिटिंग कोबरा, फिलीपिन स्पिटिंग कोबरा, इंडोचाइनीज़  स्पिटिंग  कोबरा  व इंडोनेशियन स्पिटिंग कोबरा उल्लेखनीय हैं।

कैसे स्प्रे करते हैं विष?
अब यह समझते हैं कि स्पिटिंग कोबरा ज़हर को किस तरह बाहर निकालते हैं। इसके लिए स्पिटिंग कोबरा अपनी विष ग्रन्थि को बस सिकोड़ते हैं जिससे ज़हर उनके विषदन्त में आ जाता है और फिर विषदन्त में सामने की तरफ बने छिद्रों से ज़हर तेज़ी-से बाहर निकल जाता है। वैसे सभी साँपों में ऐसा होता है। स्पिटिंग कोबरा में स्प्रे करने की प्रवृत्ति, उनके विषदन्तों के आकार में परिवर्तन और सिर की मांसलता में परिवर्तन के प्रति अनुकूलन का परिणाम है। अन्य साँपों से इतना फर्क होता है कि स्पिटिंग कोबरा के विषदन्त ऐसी खास जगह पर होते हैं कि ज़हर महज बाहर निकलने की बजाय तेज़ धार के रूप में बाहर निकलता है (चित्र-1)। विषदन्त के छिद्र जितने छोटे और गोल होंगे, ज़हर उतनी ही तेज़ी-से बाहर निकलेगा। इस पिचकारी की गति इतनी तेज़ होती है कि आप समझ ही नहीं पाते कि  अचानक  आपसे  क्या  आकर टकराया।
स्पिटिंग कोबरा लम्बाई में 3 से 9 फीट तक बढ़ सकते हैं। स्प्रे करने के समय ये अपने फन को फैलाकर उठ जाते हैं। ये न सिर्फ 6.6 फीट तक अपने ज़हर को स्प्रे कर सकते हैं बल्कि लगातार 40 बार अपने ज़हर की जल्दी-जल्दी बौछार भी कर सकते हैं। स्पिटिंग कोबरा का दूर का निशाना दस में से कम-से-कम आठ बार अचूक होता है। 

स्पिटिंग कोबरा के ज़हर की घातकता
क्या स्पिटिंग कोबरा का ज़हर अन्य साँपों के ज़हर से अलग होता है? हाँ, ऐसा माना जाता है कि स्पिटिंग कोबरा का ज़हर अन्य कई साँपों के ज़हर से ज़्यादा दर्दनाक होता है। कोबरा साँपों का विष कई यौगिकों का एक मिश्रण है। लेकिन स्पिटिंग कोबरा के विष में कोशिकाओं के लिए काफी खतरनाक माने जाने वाले सायटोटॉक्सिन, अन्य साँपों की तुलना में ज़्यादा होते हैं। इस वजह से ज़हर की बौछार जब ऊतकों पर पड़ती है तो उनको काफी नुकसान पहुँचा सकती है। स्पिटिंग कोबरा किंग कोबरा (जो इन कोबरा का दूर का रिश्तेदार है) जितने ज़हरीले तो  नहीं  होते  लेकिन  इनके सायटोटॉक्सिन काफी खतरनाक हो सकते हैं।

ज़हर क्यों करते हैं स्प्रे?
दो कारण हैं। पहला और प्रमुख कारण है आत्मरक्षा जो सभी जीवों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। खुद को बचाने के लिए हम सभी कोई-न-कोई तरीका अपनाते ही हैं। उसी तरह स्पिटिंग कोबरा भी आत्मरक्षा के लिए ज़हर की बौछार करते हैं। स्पष्ट रूप से यह उनकी बेहद प्राकृतिक और स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है। अण्डे से बाहर निकलने के तुरन्द बाद से ही स्पिटिंग कोबरा ज़हर स्प्रे करने में सक्षम हो जाते हैं। हालाँकि इनके बच्चे तुलनात्मक रूप से छोटे आकार व छोटे विषदन्त और कम दूरी तक ही ज़हर की बौछार कर पाने की क्षमता की वजह से बहुत ज़्यादा असुरक्षित होते हैं।
पर ये काटने की बजाय शिकारी पर ज़हर स्प्रे क्यों करते हैं? इसका जवाब तो पता नहीं। लेकिन ये साँप कुछ डेढ़ करोड़ साल पहले विकसित हुए, लगभग उसी समय जब अफ्रीका और एशिया में वानर (एप्स) का जैव-विकास हो रहा था।
ये कोबरा विष की एक धार न थूककर, बौछार करते हैं। चूँकि ज़्यादातर शिकारियों की ऊँचाई और स्पिटिंग कोबरा द्वारा फन उठाकर फैलाने पर इनकी ऊँचाई लगभग एक बराबर हो जाती है, इस वजह से शिकारी की आँखें ज़्यादातर इनका निशाना बन जाती हैं जो कि शरीर का एक अत्यन्त नाज़ुक अंग हैं। अगर एक बार स्पिटिंग कोबरा का ज़हर आँखों में चला गया तो ज़हर में मौजूद सायटोटॉक्सिन और न्यूरोटॉक्सिन शिकार की आँखों में अत्यन्त तेज़ दर्द तो पैदा करेंगे ही, साथ ही शिकार को स्थाई या अस्थाई रूप से अन्धा भी कर देंगे। इस वजह से शिकार को स्पिटिंग कोबरा से दूर हटना ही पड़ेगा।
मनुष्य के सन्दर्भ में भी स्पिटिंग कोबरा द्वारा ज़हर की बौछार करने के बाद यदि तुरन्त इसका इलाज न करवाया जाए तो मनुष्य भी हमेशा के लिए अंधा हो सकता है।

इससे ही अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि स्पिटिंग कोबरा का ज़हर कितना तेज़ और खतरनाक होता है। वैसे इसका ज़हर त्वचा के लिए हानिकारक नहीं होता पर ये आँख के अलावा नाक या कटी हुई त्वचा में चला जाए तो भी काफी नुकसानदेह माना जाता है।
अगर इनके सामने कोई बड़ा शिकारी आ जाए तो इनको भागने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होगा। तब वे शिकारी पर ज़हर की बौछार करके उसे अस्थाई रूप से अंधा कर देते हैं और वहाँ से भाग निकलते हैं। इस काउंटर अटैक की वजह से शिकारी से खुद को बचाने का पर्याप्त मौका मिल जाता है।
एशियाई स्पिटिंग कोबरा के प्रमुख शिकारी नेवले होते हैं, वहीं अफ्रीकी देशों में पाए जाने वाले स्पिटिंग कोबरा के मुख्य शिकारी सिक्रेटरी बर्ड (अफ्रीका में पाया जाने वाला एक बहुत बड़ा पक्षी जो अक्सर खुले घास के मैदानों में पाया जाता है) और मॉनिटर लिज़र्ड होते हैं। स्पिटिंग कोबरा द्वारा शेर पर ज़हर की बौछार करके, शेर से खुद को बचाते हुए भी देखा गया है।

विष थूकने का दूसरा कारण है शिकार करना। स्पिटिंग कोबरा मेंढक, छिपकली, पक्षी, पक्षियों के अण्डे, चूहे, अन्य साँप और कीड़े खाते हैं। दरअसल, ये इतने शक्तिशाली नहीं होते कि शिकार के गले को दबोचकर और उसकी साँसें रोककर उसे मार डालें। इनके विषदन्त भी छोटे होते हैं और अगर ये अपने शिकार को काटते हैं तो इन्हें अपने शिकार को बहुत मज़बूती से पकड़ना होगा, तब तक जब तक कि शिकार मर न जाए। इस संघर्ष के दौरान अगर शिकार को थोड़ी-सी भी ढील मिल गई तो वो स्पिटिंग कोबरा पर ही पलट वार करके उसे मार सकता है। भले ही फिर शिकार उसके ज़हर से बाद में खुद मर जाए, पर तब साँप को उससे क्या फायदा होगा! इसलिए स्पिटिंग कोबरा के लिए यह ज़रूरी होता है कि वह अपने शिकार को जल्द-से-जल्द निष्क्रिय कर दे और ऐसा वह उसे अन्धा करके करता है।
तो इस तरह स्पिटिंग कोबरा के ज़हर के दो उपयोग होते हैं - शिकार को मारने के लिए और खुद को बचाने के लिए।

वैसे तो कोबरा की सभी प्रजातियों के साँप प्रतिरक्षा के लिए ज़हर की बौछार नहीं कर सकते, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि एशिया में पाए जाने वाले कोबरा (जो स्पिटिंग कोबरा नहीं माने जाते) की कुछ प्रजातियाँ भी संकट की घड़ी में कभी-कभी स्पिटिंग कोबरा जैसा व्यवहार प्रदर्शित करती हैं। यानी ये साँप अपना बचाव करने के लिए दूर से ही ज़हर की बौछार कर देते हैं।
इनके अलावा चीन में पाए जाने वाले काफी ज़हरीले मेंग्शन पिटवाइपर सटीकता से ज़हर स्प्रे करने के लिए विशिष्ट रूप से जाने जाते हैं। इसी तरह से रिंखल्स (rinkhals) साँप भी आत्मरक्षा के लिए प्राथमिक रूप से काटने की बजाय ज़हर स्प्रे करते हैं।
तो एक बात तो साफ हो गई है कि अगर कभी स्पिटिंग कोबरा मिल जाए तो उससे कम-से-कम 10 फीट दूर भाग जाना है और अपनी आँखों को बचाना है।


पारुल सोनी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।