सवाल: ऐसा माना जाता है कि प्लास्टिक जब ज़्यादा गरम पदार्थ के सम्पर्क में आता है तो विषैले तत्व छोड़ता है। सर्दी हो जाने पर जिस वेपोराइज़र का इस्तेमाल हम भाप लेने के लिए करते हैं वो भी प्लास्टिक का बना होता है। तो क्या हम भाप के साथ विषैले तत्व भी ग्रहण करते जाते हैं?

जवाब: प्लास्टिक की सामान्य बोतलें जिनका इस्तेमाल हम पीने के पानी को लाने-ले जाने या इकट्ठा करने में करते हैं उनसे कुछ समय के बाद एक खास तरह की दुर्गन्ध आने लगती है। यह दुर्गन्ध दो कारणों से हो सकती है। पहला, बैक्टीरिया पैदा होने की वजह से और दूसरा कारण हो सकता है प्लास्टिक की खराब गुणवत्ता। अगर वह दुर्गन्ध प्लास्टिक की वजह से है तो यह दर्शाता है कि बोतलों में ऐसा कुछ तो है जो पानी के साथ कोई क्रिया करता है। इसका मतलब है कि कुछ खास तरह की प्लास्टिक जिनका इस्तेमाल हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में करते हैं, वायुमण्डलीय ताप पर पानी से कुछ तो क्रिया करते हैं। ऐसे में यह सोचना बेवजह नहीं है कि वेपोराइज़र की प्लास्टिक, गरम पानी के साथ कुछ क्रिया कर उसमें घुल जाती होगी और फिर भाप के साथ हमारे भीतर चली जाती होगी। है कि नहीं? हो सकता है कि ऐसा न भी हो, पर असल सवाल तो यह है कि आखिर वह क्या है जो प्लास्टिक में रखे पानी को अजीब-सी महक और स्वाद वाला बना देता है। क्या इसका इस्तेमाल हमारे लिए सुरक्षित है?

प्लास्टिक और पानी
चलिए पहले देखते हैं कि पानी के सम्पर्क में आने पर प्लास्टिक का क्या होता है।
वैसे प्लास्टिक का आसानी से क्षरण (degradation) नहीं होता (शायद यही वजह है कि वह हमारे लिए वरदान है)। बहुत-से बहुलक, एक खास समयान्तराल के बाद, पानी और उसमें मौजूद क्लोरीन व अन्य रसायनों से क्रिया करते हैं। कभी-कभी यह बहुत ही प्रत्यक्ष रूप, जैसे प्लास्टिक के रंग उड़ने और उसमें दरार पड़ने के रूप में हमें दिखाई देता है वरना आम तौर पर हम पानी के सम्पर्क में रहे प्लास्टिक में होने वाले बदलावों पर गौर ही नहीं करते। प्लास्टिक में जब कुछ अन्य कार्बनिक पदार्थ, जैसे पॉलीक्लोरिनेटेड बाइफिनाइल्स, बिसफिनॉल-ए आदि होते हैं तो ये इसमें रखे पानी में विषैलापन घोल देते हैं।
कुछ रसायन जैसे पीसीपी बोतलों से निकलने वाला बिसफिनॉल-ए कुछ मात्रा में पानी में घुल जाता है। ऐसा पानी लगातार पीते रहना हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ अन्य जैसे पैट (PET) बोतलों से निकलने वाला एंटीमनी भी पानी में घुलता है पर इसकी मात्रा पानी में हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक स्तर से कम ही होती है।
प्लास्टिक का क्षरण और उससे निकलने वाले रसायनों का उसमें संग्रहित पानी या अन्य पदार्थ में घुलना तापमान बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है। ऐसे में वेपोराइज़र के साथ क्या होगा? ये किस तरह की प्लास्टिक से बने होते हैं और क्या इस प्लास्टिक से पानी इतना दूषित हो जाता होगा जो हमारे लिए नुकसानदेह हो?

चित्र-1: सामान्यत: जिस वेपोराइज़र का इस्तेमाल किया जाता है उसका रिसाइकलिंग नम्बर है 5 - पारर्दशी होना, ज़्यादातर पदार्थों के साथ रासायनिक क्रिया न करना, ताप सहन करने की ज़्यादा क्षमता और सख्त व मज़बूत होना इसके खास गुण हैं। 

मैंने खुद कभी किसी वेपोराइज़र का इस्तेमाल नहीं किया है पर यह जवाब लिखते समय जानकारी लेने के उद्देश्य से मैं भोपाल के दो मेडिकल स्टोर पर गया और उनसे वेपोराइज़र दिखाने को कहा। दोनों मेडिकल स्टोर वालों द्वारा दिखाई गई मशीनें एक ही मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी की थीं। उनमें मशीन के अन्दरूनी हिस्से में एक ऊष्मारोधी (insulator) लगा था। यहीं पर वह युक्ति लगी होती है जो पानी गरम करती है और यह बिजली से चलती है। इसका एक सिरा सबसे ऊपर की ओर खुला था जिससे इस्तेमाल करने वाले को भाप मिलती है। पानी भरने के स्तरों को इंगित करने के लिए इसमें एक खड़ी रेखा पर तीन निशान बने हुए थे।
पैकिंग बॉक्स पर इस मशीन के इस्तेमाल के कई सारे फायदे लिखे थे  पर इसकी प्लास्टिक के बारे में सिर्फ एक ही बात लिखी थी कि इसे बनाने में जिस प्लास्टिक का उपयोग किया गया है वह ‘उच्च गुणवत्ता’ (high quality) वाली है।
हालाँकि, गरम होने वाले पदार्थ का उल्लेखनहीं किया गया है। यह हिस्सा जिसका ताप 240 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच सकता है, सामान्यत: सिरैमिक या एल्युमिनियम का बना होता है न कि प्लास्टिक का। एक और मज़ेदार बात कि इसकी पैकिंग में एक चेतावनी बहुत ही स्पष्ट रूप से उल्लेखित थी कि ‘भाप का दबाव बढ़ाने के लिए किसी तरह के नमक या लवण मिलाने या खारा पानी के इस्तेमाल की सलाह नहीं दी गई है।’ यहाँ पर यह स्पष्ट नहीं है कि यह चेतावनी क्यों दी गई। क्या इसलिए कि लवण पानी का क्वथनांक बढ़ा देता है या फिर पानी को उबालने वाली युक्ति और मशीन के अन्य हिस्सों को क्षरण से बचाने के लिए?
इन सब बातों से तो ऐसा प्रतीत होता है कि हम इस सवाल का जवाब नहीं जानते। आम तौर पर वेपोराइज़र का लगातार इस्तेमाल बहुत ही कम समय (और ज़्यादा फायदे) के लिए किया जाता है। और इस दौरान क्या प्लास्टिक का क्षरण होता है और क्या यह प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है? हम नहीं जानते।

सुरक्षित प्लास्टिक
ज़्यादातर वेपोराइज़र में आप यह सन्देश देख सकते हैं कि ये ‘उच्च गुणवत्ता’ या फर्स्ट ग्रेड, या मेडिकल ग्रेड प्लास्टिक के बने हुए हैं। इस तरह  का  उल्लेख  हम  जैसे उपयोगकर्ताओं के लिए कुछ मायने तो रखता है क्योंकि इस तरह की प्लास्टिक से बने वेपोराइज़र का इस्तेमाल कुछ निश्चित समयान्तराल के लिए सुरक्षित माना जाता है। इन्हें खाद्य श्रेणी के प्लास्टिक या फूड ग्रेड प्लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है। इनमें खाने-पीने का सामान संग्रहित करने की इजाज़त होती है। इसमें उच्च तापमान वाले खाद्य पदार्थ व तरल भी रखे जा सकते हैं। पर ये सभी भी अपने गुणों में एक समान नहीं होते।

फूड ग्रेड प्लास्टिक का एक उदाहरण पॉलीईथलीन टेरेफ्थालेट (polyethylene terephthalate - PET/PETE) है जिसका इस्तेमाल पानी की बोतलें बनाने में होता है। पर अगर इन बोतलों को बार-बार इस्तेमाल किया जाए तो इनसे कैंसर कारक पदार्थ या हॉर्मोन को बाधित करने वाले पदार्थ (मुख्यतया प्लैस्टिसीज़र्स, जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक की लोचशीलता, पारगम्यता, और टिकाऊपन बढ़ाने के लिए किया जाता है) पानी में घुलने लगते हैं।
एक और पदार्थ है, हाई डेन्सिटी पॉलीईथलीन (HDPE)। यह अच्छे दर्जे का रासायन रोधी गुण रखता है। ताप सहन करने की दृष्टि से कुछ समय के लिए यह 120 डिग्री सेंटीग्रेड और लम्बे समय के लिए 110 डिग्री सेंटीग्रेड तक के ताप के लिए सुरक्षित है। ज़ाहिर-सी बात है कि वेपोराइज़र में उबलते पानी का ताप इसके मुकाबले 10-20 डिग्री सेंटीग्रेड कम ही रहता है।

कौन-सा प्लास्टिक आपके हाथ?
यह जानने के लिए कि प्लास्टिक का कोई पात्र खाद्य पदार्थ के लिए माकूल (food safe) है या नहीं, सबसे आसान और विश्वसनीय तरीका है उसका रिसाइकलिंग नम्बर जानना। यह 1 से 7 के बीच होगा। और प्लास्टिक के सामान पर तीर से बने तिकोने आकार के निशान के भीतर अंकित होता है। एक सामान्य नियम के मुताबिक खाद्य पदार्थों के लिए सुरक्षित संख्याएँ हैं 1, 2, 4 और 5। इसके विपरीत, संख्याएँ 3, 6 और 7 फूड ग्रेड प्लास्टिक की श्रेणी में नहीं आतीं। क्तक़्घ्क को संख्या ‘2’ के द्वारा दर्शाया जाता है और इसे लम्बे समय तक खाद्य पदार्थ संचित करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। प्लास्टिक के सभी पात्र जो खास तौर पर खाद्य पदार्थ रखने के लिए बेचे जाते हैं, वे इसी पदार्थ के बने होंगे।

PET/PETE, लो डेन्सिटी पॉली-ईथलीन (LDPE) और पॉलीप्रॉपीलीन (PP) - सभी खाद्य पदार्थों के संग्रहण के लिए मान्य हैं और इन्हें क्रमश: 1, 4 और 5 संख्याओं द्वारा दर्शाया जाता है। आप इसे सॉफ्टड्रिंक या मिनरल वॉटर की बोतल में ठीक नीचे आसानी-से चेक कर सकते हैं। यहाँ इसे संख्या ‘1’ के द्वारा दर्शाया जाता है।

संक्षेप में, यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि वेपोराइज़र किस तरह की प्लास्टिक से बनाए गए हैं। उच्च गुणवत्ता वाली प्लास्टिक की स्थिति में भी उपयोगकर्ताओं को यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि कब एक वेपोराइज़र को इस्तेमाल में लाना बन्द कर देना चाहिए। उत्पाद पर एक एक्सपायरी डेट अंकित हो तो बेहतर होगा। पर हम प्लास्टिक के वेपोराइज़र से साँस के साथ विषैले पदार्थ भीतर लेते हैं या नहीं, और अगर लेते भी हैं तो क्या वे इतनी मात्रा में हैं कि हमें उसकी चिन्ता करनी चाहिए, हम नहीं जानते।


इस जवाब को रुद्राशीष चक्रवर्ती ने तैयार किया है।
रुद्राशीष चक्रवर्ती: एकलव्य, भोपाल के प्रकाशन समूह के साथ कार्यरत हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: अम्बरीष सोनी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध रहे हैं। स्वतंत्र अनुवादक हैं।