सीरिया के उम्म-अल-मारा खुदाई स्थल पर पुरातत्वविदों को 2006 में लगभग 3000 ईसा पूर्व के शाही कब्रगाहों के साथ गधे जैसे एक जानवर के अवशेष भी मिले थे। दफन की शैली को देखकर पुरातत्वविदों का अनुमान था कि यह जानवर दुर्लभ ‘कुंगा’ होगा, जो कांस्य युगीन मेसोपोटामिया के अभिजात्य वर्ग के लिए अत्यधिक महत्व रखता था। लेकिन अब तक इस चौपाए की वास्तविक जैविक पहचान स्पष्ट नहीं हो सकी थी। अब, प्राप्त हड्डियों के जेनेटिक विश्लेषण से पता चला है कि यह चौपाया दो प्रजातियों - एक नर जंगली गधे और पालतू मादा गधी - की संकर संतान थी। पुरातात्विक रिकॉर्ड में यह पहला मानव निर्मित संकर प्राणि है।
उस समय की कीलाक्षरी लिपि तख्तियों पर एक शक्तिशाली और नाटे कद के कुंगा का वर्णन यहां के अमीर और शक्तिशाली लोगों के पसंदीदा जानवर के तौर पर मिला है। यह ज्ञात प्रजातियों से अलग तरह का गधा था। इन तख्तियों पर पशुपालन के जटिल तरीकों के बारे में भी वर्णन मिलता है; इनमें अश्वों की दो अलग-अलग प्रजातियों का प्रजनन कराकर संकर जानवर तैयार करने का ज़िक्र है। ये तख्तियां बहुत विस्तार से जानकारी नहीं देती कि ये प्रजातियां कौन-सी थीं, और संकर संतान प्रजनन योग्य थी या नहीं। लेकिन इन पर अंकित संदेश से इतना पता चलता है कि संकर प्रजाति औसत गधों की तुलना में फुर्तीली थी।
पुरातत्वविदों को जब ये हड्डियां मिली तो वे किसी ज्ञात प्रजाति की नहीं लगीं। वैसे भी सिर्फ अवशेष देखकर यह पहचानना मुश्किल होता कि वे किस अश्व वंश की हैं, घोड़े की हैं या गधे की।
इन हड्डियों के दफन होने के स्थान और स्थिति के आधार पर पुरातत्वविदों का अनुमान था कि यह चौपाया यहां के लोगों के लिए पौराणिक महत्व रखता होगा और अवश्य ही कुंगा होगा। लेकिन वास्तव में यह कौन-सा जानवर है इसकी पुष्टि के लिए पुरातत्वविदों ने आनुवंशिकीविद ईवा-मारिया गीगल की सहायता ली। हड्डियां बहुत भुरभुरी स्थिति में थी। इसलिए गीगल और उनके दल ने इनके नाभिकीय डीएनए के विश्लेषण के लिए अत्यधिक संवेदनशील अनुक्रमण विधियों का उपयोग किया, और साथ ही उनके मातृ और पितृ वंश को भी देखा। कुंगा के डीएनए की तुलना आधुनिक घोड़ों, पालतू गधों और विलुप्त सीरियाई जंगली गधे सहित अन्य अश्व वंश के जानवरों के जीनोम से भी की गई।
साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ताओं ने बताया है कि हड्डियां किसी एक अश्व प्रजाति की नहीं थी, बल्कि ये दो भिन्न प्रजातियों के संकरण की पहली पीढ़ी की संतान थी; जिसमें मादा पालतू गधा प्रजाति की और नर सीरियाई जंगली गधा प्रजाति का था।
मानव निर्मित संकर प्राणि का यह पहला दर्ज उदाहरण है। खच्चर (घोड़े और गधे का संकर) संभवतः अगला सबसे पुराना उदाहरण है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन कांस्य युगीन मेसोपोटामिया समाज की तकनीकी क्षमताओं को दर्शाता है और इन जानवरों को जीवित रखने के लिए आवश्यक संगठन और प्रबंधन तकनीकों के स्तर को भी दर्शाता है। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - March 2022
- कोविड-19 के एंडेमिक होने का मतलब
- टीकों को चकमा देता ओमिक्रॉन
- महामारी से उपजता मेडिकल कचरा
- अंग दाएं-बाएं कैसे जम जाते हैं?
- हींग के आणविक जीव विज्ञान की खोजबीन
- वृद्धावस्था में देखभाल का संकट और विकल्प
- इस वर्ष चीन की जनसंख्या घटना शुरू हो सकती है
- बालासुब्रमण्यम राममूर्ति: भारत में न्यूरोसर्जरी के जनक
- राजेश्वरी चटर्जी: एक प्रेरक व्यक्तित्व
- जेनेटिक अध्ययनों में ‘नस्ल’ शब्द के उपयोग में कमी
- जीवाश्म रिकॉर्ड का झुकाव अमीर देशों की ओर
- अमेज़न के जंगलों में पारा प्रदूषण
- भू-जल में रसायनों का घुलना चिंताजनक
- जलकुंभी: कचरे से कंचन तक की यात्रा
- मनुष्यों में खट्टा स्वाद क्यों विकसित हुआ
- शिशु जानते हैं जूठा खा लेने वाला अपना है
- बर्फ में दबा विशाल मछली प्रजनन क्षेत्र
- मनुष्य निर्मित पहला संकर पशु कुंगा
- हरी रोशनी की मदद से जंतु-संरक्षण
- बच्चों को बचाने के लिए मादा इश्क लड़ाती है
- शीतनिद्रा में गिलहरियां कैसे कमज़ोर नहीं होतीं?
- मस्तिष्क बड़ा होने में मांसाहार की भूमिका
- तेज़ी से पिघलने लगे हैं ग्लेशियर