स्रोत के जून, 2023 के अंक में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा कक्षा 10 के पाठ्यक्रम से जैव विकास सम्बंधी अंश को विलोपित करने के निर्णय को लेकर देश भर के वैज्ञानिकों, विज्ञान शिक्षकों और विज्ञान से सरोकार रखने वाले नागरिकों की एक अपील प्रकाशित की गई थी। प्रस्तुत है इस अपील पर डॉ. अरविंद गुप्ते द्वारा लिखा पत्र...

जून, 2023 के अंक में प्रकाशित 1800 लोगों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र पढ़ा। इसमें कोई शक नहीं कि सभी हस्ताक्षरकर्ता अपने क्षेत्रों के मूर्धन्य विद्वान हैं किंतु पत्र पढ़ने के बाद मन में कुछ प्रश्न उठे जिनके उत्तर मेरे पास नहीं हैं। इस पत्र का उद्देश्य सीबीएसई का बचाव करना नहीं है। जैव विकास को माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाया जाए या नहीं इसे लेकर मेरे पास कोई आंकड़े नहीं हैं, केवल कुछ सवाल हैं - 
1. जैव विकास एक बहुत अमूर्त अवधारणा है। करोड़ों वर्षों पहले समुद्र में कोई रासायनिक क्रिया हो कर प्रोटोप्लाज़्म की बूंदें बनीं जो बाद में ज़मीन पर आ कर डायनासौर और मैमल्स जैसे विशाल जंतु बन गईं, इसे समझना एक टेढ़ी खीर है। 15-16 वर्ष के बच्चे इसे किस रूप में समझते होंगे?
2. इस अमूर्त अवधारणा से जुड़ी हुई एक अन्य अमूर्त अवधारणा भूगर्भीय कालखण्डों (geological timescale) की है। लाखों वर्षों में होने वाले परिवर्तनों की संकल्पना को कितने बच्चे समझ पाते हैं?
3. विद्वान हस्ताक्षरकर्ताओं की राय किसी अध्ययन पर आधारित है या उन्हें ऐसा ‘लगता’ है? क्या हस्ताक्षरकर्ताओं के समूह में कोई माध्यमिक स्कूल शिक्षक है?
4. जैव विकास की अमूर्त अवधारणा को पहली पीढी के सीखने वाले (first generation learners) और ग्रामीण परिवेश से आने वाले बच्चे कितनी अच्छी तरह समझ पाते हैं? क्या सभी शिक्षक जैव विकास की अवधारणा स्वयं अच्छी तरह समझ पाए हैं?
5. यह कहना कि ‘उद्वैकासिक जीव विज्ञान का ज्ञान व समझ न सिर्फ जीव विज्ञान के उप-क्षेत्रों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने आसपास की दुनिया को समझने के लिए भी ज़रूरी है। विज्ञान के एक क्षेत्र के रूप में जैव विकास जैविकी का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसका इस बात पर गहरा असर होता है कि हम समाजों और राष्ट्रों के समक्ष उपस्थित विभिन्न समस्याओं से कैसे निपटने का निर्णय करते हैं। ये समस्याएं चिकित्सा, औषधियों की खोज, महामारी विज्ञान, पारिस्थितिकी और पर्यावरण, से लेकर मनोविज्ञान तक से सम्बंधित हैं। जैव विकास हमारी इस समझ को भी प्रभावित करता है कि हम मनुष्यों और जीवन के ताने-बाने के साथ उनके सम्बंधों को किस तरह देखते हैं।’ बहुत दूर की कौड़ी नहीं लगती? क्या जैव विकास का एक अध्याय पढ़ लेने भर से छात्र में इतनी सारी क्षमताएं विकसित हो सकती हैं? (स्रोत फीचर्स)