सवाल: दूध उफनता है और पानी क्यों नहीं?

जवाब: हम सबने पानी को उबलते देखा है। जब पानी उबलता है तो उसकी सतह पर खूब खलबली होती दिखती है, आवाज़ होती है। पर हम जिस क्षण पानी को गर्म होने रखते हैं, वह उसी क्षण से तो उबलना शुरु नहीं हो जाता, है न? वह कुछ समय पश्चात् ही उबलना शुरु होता है, बशर्ते कि उसे अच्छी-खासी मात्रा में निरन्तर ऊष्मा मिलती रहे। अगर हम पानी को धूप में घण्टों तक भी रख दें तो भी वह नहीं उबलेगा। जब हम उसे लगातार गर्म करते रहते हैं तो उसका तापमान बढ़ता जाता है, पर यह तापमान अनिश्चित समय तक नहीं बढ़ता रहता। जब पानी एक खास तापमान पर पहुँचता है, जो उसका क्वथनांक कहलाता है, तो उसका तापमान बढ़ना बन्द हो जाता है। इस तापमान पर, पानी उसे मिल रही इस सम्पूर्ण ऊर्जा का इस्तेमाल खुद को भाप/वाष्प रूप में बदलने के लिए करता है। अपने क्वथनांक तक पहुँचने से पहले वाष्प में बदलने की यह प्रक्रिया सिर्फ पानी की सतह पर हो रही थी। जब पानी अपने क्वथनांक पर पहुँचता है, तो वह हर जगह से भाप (वाष्प) में बदलना शु डिग्री हो जाता है, यानी पानी अपने तल में भी गैसीय रूप में परिवर्तित होने लगता है। इस तरह से, उबलने की प्रक्रिया सामान्य वाष्पीकरण से भिन्न होती है, जिसमें कि वाष्प में रूपान्तरण सिर्फ द्रव की सतह पर होता है।

पर यहाँ कुछ और भी होता है। पानी की सतह के नीचे बनी भाप के बुलबुले बनते हैं। पानी से बहुत हल्के होने के कारण ये बुलबुले बड़ी तेज़ गति से पानी की सतह पर आकर वहाँ से बाहर निकलना चाहते हैं। पानी की सतह से होते हुए इन बुलबुलों की हवा में विलीन हो जाने की प्रक्रिया के कारण ही पानी की सतह पर ज़बरदस्त खलबली मची रहती है, और खूब आवाज़ भी होती है। लिहाज़ा, आप पानी के उबलने को वाकई में सुन सकते हैं। ये गायब होते बुलबुले सतह से होकर विलीन होते समय कोई रुकावट नहीं चाहते, और जैसा कि हम बाद में देखेंगे, ऐसे ही बुलबुले दूध को उबालते वक्त उसके उफनने का कारण बनते हैं।

दूध का संघटन
दूध में पानी, ग्लोब्युलिन, वसा के अणु, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज होते हैं। इनमें से अधिकांश अणु दूध में निलम्बित रहते हैं, और वे कभी नीचे नहीं बैठ पाते क्योंकि उनका घनत्व दूध के औसत घनत्व के बराबर होता है। हम इसे ‘कोलॉइडल सस्पेंशन (कलिलीय-निलम्बन)’ कहते हैं। यानी दूध उन द्रवों में से एक है, जिनमें कोलॉइड के कण निलम्बित रहते हैं, कभी भी नीचे नहीं बैठते और पूरे समय द्रव में यहाँ-से-वहाँ तैरते रहते हैं। नीचे बैठने के लिए यह ज़रूरी है कि उनका घनत्व द्रव के घनत्व से अधिक हो।

जब दूध उबले
दूध में मौजूद वसा और प्रोटीन के अणुओं को केसीन/छेना कहा जाता है। जब हम दूध को गर्म करते हैं तो उसकी मलाई, जिसमें मुख्यत: वसा के अणु होते हैं, अलग हो जाती है। बाकी द्रव से हल्की होने के कारण यह मलाई, सतह पर आ जाती है। साथ ही, इस तापमान पर, दूध में मौजूद पानी का उबलना शु डिग्री हो जाता है, और लिहाज़ा, उसका जलवाष्प में बदलना शुरु हो जाता है। पानी, दूध की अपेक्षा कुछ कम तापमान पर उबलता है। पानी का क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस है, जबकि दूध का क्वथनांक कुछ अधिक, 100.16 डिग्री सेल्सियस है। यह जलवाष्प द्रव की सतह से होकर बाहर निकलने की कोशिश करती है, पर दूध के ऊपर जमी मलाई की परत इसे बाहर निकलने नहीं देती। जब आप पानी को उबलता देखते हैं, तो जो बुलबुले आपको दिखाई देते हैं, वे द्रव की सतह से विलीन होने वाले भाप के बुलबुले होते हैं, जिसका ज़िक्र पहले भी किया गया है। दूध में भी, पानी के यही भाप वाले बुलबुले, दूध की ऊपरी सतह पर मलाई की परत जमी होने के कारण बाहर निकलने में असमर्थ हो जाते हैं जिसके कारण इनका आकार बड़ा होता जाता है, और आखिरकार ये बरतन की किनारी तक पहुँच जाते हैं। इसी को हम दूध का उफनना कहते हैं।

दूध को उफनने से कैसे रोकें?
कोई भी व्यक्ति जो दूध उबालने के लिए रसोईघर में गया हो, उसे यह पता होता है कि दूध को उफनने से रोकने का एक खास तरीका होता है। दूध को किसी कलछी या चम्मच से लगातार चलाते रहना, है कि नहीं? ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दूध की सतह पर मलाई की परत न जम सके, और भाप के बुलबुले बिना किसी रुकावट के बाहर निकल सकें। दूध सामान्यत: तभी उफनता है जब आप आसपास नहीं होते। जब दूध उफनता है तब दरअसल क्या होता है, इसे देखने के लिए एक बार दूध को उफनने दें। आप देखेंगे कि मलाई की ऊपरी परत सबसे पहले फूलती प्रतीत होती है। यह उभार बड़ा, और बड़ा होता जाता है, और जब यह बरतन की किनारी तक पहुँच जाता है, तो भाप और द्रव, दोनों वहाँ से बहना शुरु कर देते हैं, और इस तरह मलाई की ऊपरी परत में कई छिद्र हो जाते हैं। अब दूध फिर नीचे बैठने लगता है क्योंकि उसके नीचे की भाप विसर्जित हो चुकी है। पर अगर आप उसे गर्म करते ही जाएँ तो दूध फिर ऊपर उठेगा, पर हर बार दूध के उफनने की मात्रा घटती जाएगी, और बचा हुआ दूध गाढ़ा होता जाएगा।


इस जवाब को निलाभ कुमार ने तैयार किया है।
निलाभ कुमार: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ से एम.ए.। गणित और भौतिकी शिक्षण का अनुभव। तामिया, म.प्र. स्थित एकलव्य के नए केन्द्र से जुड़े हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: भरत त्रिपाठी: पत्रकारिता की पढ़ाई। स्वतंत्र लेखन और द्विभाषिक अनुवाद करते हैं। होशंगाबाद में निवास।