जे. बी. एस. हाल्डेन

शरीर की व्यवस्थाएं - भाग:11  
हार्मोन्स या तो प्रोटीन होते हैं या प्रोटीन से प्राप्त पदार्थ या स्टिरॉयड़। यहां एक स्टिरॉयड के अणु का मॉडल दिखाया गया है जो ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं में मिलकर बना हुआ है।
मेरा ख्याल है कि हार्मोन्स व उन्हें न बनाने वाली ग्रन्थियों के बारे में जितनी बकवास लिखी जाती है, उतनी शरीर क्रिया विज्ञान की किसी अन्य चीज़ के बारे में नहीं। हार्मोन उस पदार्थ को कहते हैं जो शरीर के एक अंग द्वारा बनाया जाता है और किसी दूसरे अंग या अंगों के क्रियाकलाप का नियमन करता है। एड्रिनेलीन जैसे कुछ हार्मोन काफी सरल पदार्थ होते हैं और इन्हें प्रयोगशाला में आसानी से बनाया जा सकता है। कुछ हार्मोन काफी जटिल होते हैं, इन्हें हमने शुद्ध रूप में प्राप्त तो कर लिया है मगर हम इनकी संरचना के बारे में ज्यादा नहीं जानते, इन्हें बनाने की बात तो दूर है।
 
शरीर में हार्मोन्स कितने   
संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए सारे हार्मोन्स ज़रूरी होते हैं मगर, जहां तक हम जानते हैं, ऐसे हार्मोन्स दो-तीन ही हैं। जो जीवन के लिए अनिवार्य हैं। मसलन पाचन के लिए रसायनों का निर्माण करने के अलावा हमारे अग्न्याशय या पेंक्रियाज़ इन्सुलिन नाम का एक प्रोटीन भी बनाते हैं। इन्सुलिन न हो तो हमारा शरीर शक्कर का उपयोग नहीं कर सकता। इन्सुलिन की अनुपस्थिति में हमारे गुर्दै खून में मौजूद अनचाही शक्करों को पेशाब के साथ बाहर निकाल देते हैं और हम मधुमेह के शिकार हो जाते हैं। दूसरी ओर, यदि इन्सुलिन बहुत ज्यादा हो तो और अधिक घातक होता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में इन्सुलिन की ज्यादा मात्रा का इंजेक्शन दे दिया जाए, तो उसका जिगर (लीवर) खून में से सारी शक्कर सोख लेता है, दिमाग को शक्कर नहीं मिल पाती। व्यक्ति को पहले तो तेज़ भूख लगती है और जल्दी ही उसकी मृत्यु हो जाती है। यह सही है। कि शरीर की प्रत्येक कोशिका को इन्सुलिन की ज़रूरत होती है मगर साथ ही यह भी ज़रूरी है कि इसकी एकदम सही मात्रा शरीर में रहे। इसलिए इसे प्रत्येक कोशिका में बनाने की वजाए एक ही अंग में, तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में बनाना ज्यादा कारगर है।

इसी प्रकार से एक और अनिवार्य हार्मोन गर्दन में उपस्थित पैराथायरॉइड ग्रन्थि द्वारा बनाया जाता है, यह खून में कैल्शियम की मात्रा का नियंत्रण करता है। यदि यह हार्मोन बहुत कम हो, तो खून में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है और मांसपेशियों में विचित्र ऐंठन होती है। संभवतः हड्डियां खून में से कैल्शियम सोखती हैं। यदि यह हार्मोन बहुत अधिक हो तो हड्डियां घुलने लगती हैं और खून में कैल्शियम की मात्रा बहुत बढ़ जाती है। दोनों ही स्थितियां जानलेवा हो सकती हैं।
एड्रिनल ग्रन्थि गुर्दो के पास स्थित होती हैं। इस ग्रन्थि का बाहरी भाग कई सारे हार्मोन बनाता है। इनमें से एक हार्मोन हमारे शरीर में लवणों की मात्रा को नियंत्रित करता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में यह हार्मोन नहीं बन रहा है, तो उसे प्रतिदिन थोड़ा अतिरिक्त नमक खिलाकर जिन्दा रखा जा सकता है, अन्यथा उसकी मृत्यु निश्चित है।
गर्दन में ही स्थित एक अन्य ग्रन्थि थायरॉइड एक हार्मोन थायरॉक्सीन का निर्माण करती हैं। यह हार्मोन शरीर में ऑक्सीकरण की क्रिया को बढ़ावा देता है। अन्यथा ऑक्सीकरण एकदम न्यूनतम स्तर पर रहता है। यह हार्मोन न हो, तो व्यक्ति मोटा और सुस्त हो जाता है और बुद्ध रह जाता है। यदि

किसी अन्य अंग के मुकाबले पियूष (पिट्यूटरी) ग्रन्थि में ज्यादा हार्मोन्स बनते हैं। यह ग्रन्थि मस्तिष्क के नीचे स्थित होती है। यह ग्रंधि खुद तो कुछ हार्मोन्स का निर्माण करती ही है। लेकिन शरीर में मौजूद कई दूसरी हार्मोन्स बनाने वाली ग्रंथियों की गतिविधियों पर भी नियंत्रण रखती है। इसके द्वारा निर्मित हार्मोन्स वृद्धि, शक्कर के उपयोग, दूध के निर्माण के अलावा थायरॉइड, एड्रीनल, अण्डाशय और वृषण की गतिविधियों को भी नियंत्रित करते हैं। ऊपर बने चित्र में बने तीरों की मदद से यही बताने की कोशिश की गई है कि पियूष ग्रंथि किन-किन अंतस्रावी ग्रंथियों पर नियंत्रण रखती है।
 
यह हार्मोन बहुत ज्यादा हो, तो व्यक्ति दुबला-पतला, अति सक्रिय हो जाता है। उसकी नाड़ी बहुत तेज़ हो जाती है, कई अन्य लक्षण उभरने लगते हैं। और अन्ततः मृत्यु हो जाती है। एक सरल प्रयोग से देखा जा सकता है कि इस ग्रन्थि की क्रिया पर कितना सटीक नियंत्रण रखा जाता है। कभी-कभी कैंसर या किसी अन्य कारण से यह अन्थि निकाल देनी पड़ती है। हम जानते हैं कि ऐसे व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए कितनी मात्रा में थायरॉक्सीन हार्मोन देना होता है। इतनी मात्रा या इससे कम कोई भी मात्रा किसी स्वस्थ व्यक्ति को दी जाए तो उस पर कोई असर नहीं होता। इतना ही होता है। कि उसकी थायरॉइड ग्रन्थि थायरॉक्सीन बनाना बंद कर देती है और खून में थायरॉक्सीन की मात्रा अपरिवर्तित रहती है। मगर यदि उसे ज़रूरी दैनिक मात्रा से ज्यादा हार्मोन दिया जाए तो उसकी ऑक्सीजन खपत बढ़ जाती है। और एक पखवाड़ा बीतते-बीतते वह काफी बीमार हो जाता है।
पुरुष में वृषण और स्त्री में अण्डाशय ऐसे हार्मोन्स बनाते हैं जिनकी वजह से किशोरावस्था में शरीर में कई परिवर्तन होते हैं, जैसे दाढ़ी या स्तनों का विकास। एक अन्य स्त्री हार्मोन प्रोजेस्टरोन पूरी गर्भावस्था में बनता रहता है और प्रत्येक मासिक चक्र के दौरान भी कुछ बनता है।

हार्मोन्स की कितनी मात्रा ज़रूरी   
किसी अन्य अंग से ज्यादा हार्मोन पियूष (पिट्यूटरी) ग्रन्थि में बनते हैं। यह ग्रन्थि मस्तिष्क के नीचे स्थित होती है। इसके द्वारा निर्मित हार्मोन वृद्धि, शक्कर के उपयोग, दूध के निर्माण के अलावा थायरॉइड, एड्रिनल, अण्डाशय और वृषण की गतिविधियों को भी नियंत्रित करते हैं। किशोरावस्था में अण्डाशय और वृषण का आकार पियूष ग्रन्थि द्वारा निर्मित हार्मोन्स के कारण ही बढ़ता है। इस हार्मोन के उत्पादन पर शरीर बहुत सख्ती से नियंत्रण करता है।
यदि हम शरीर को एक मशीन के रूप में देखें तो कह सकते हैं कि पुरुष के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का इंजेक्शन देने से वह अधिक पुंसत्व से पूर्ण हो जाएगा। वैसे किसी वंध्याकृत पशु को यह हार्मोन देने से बह एक सामान्य नर पशु की भांति व्यवहार करने लगता है। मगर एक सामान्य नर में इसका असर उल्टा होता है। पियूष ग्रन्थि द्वारा जननांग उद्दीपक हार्मोन (गोनेड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) के उत्पादन को इस तरह नियंत्रित किया जाता है कि शरीर में उसकी मात्रा स्थिर बनी रहे। यदि कृत्रिम रूप से यह हार्मोन शरीर में पहुंचाया जाए तो पियूष ग्रन्थि काम करना बंद कर देती है - नर अधिक पुंसत्व पूर्ण होने की बजाए अधिक नपुंसक हो जाता है।
 
इसी प्रकार से पियूष ग्रन्थि का एक अन्य हार्मोन वृद्धि से संबंधित है। और यह इंसुलिन के विरोधी की तरह काम करता है। एक अन्य हार्मोन थायरॉइड ग्रन्थि का नियंत्रण करता है। और खून में थायरॉक्सीन की मात्रा बढ़ने पर इसका उत्पादन रुक जाता है। जितना हम खुद के बारे में समझते जा रहे हैं, उससे पता चलता है कि हमारी किसी भी संरचना या कार्य की स्थिरता दो परस्पर विरोधी प्रक्रियाओं के संतुलन पर निर्भर होती है। आज हम हार्मोन के बारे में काफी कुछ जानते हैं मगर यदि हम इनका उपयोग मशीनी ढंग से करें तो हम व्यक्ति को और अस्वस्थ ही कर देंगे।
कुछ हार्मोन्स की क्रिया बहुत त्वरित होती है और इनका उत्पादन जल्दी-जल्दी बंद चालू होता है। ऐसा एक हार्मोन एड्रिनेलीज़ है - यह एड्रीनल ग्रन्थि के मध्य भाग में बनता है, खासकर भावनात्मक परिस्थितियों में और कसरत के दौरान यह हृदय को स्फूर्ति प्रदान करता है और खून को मांसपेशियों में भेजता है जहां उसकी ज़रूरत होती है। ऐसा एक अन्य हार्मोन आपको उनींदा बनाता है, इसका संबंध शायद सामान्य नींद से है। मगर ज्यादातर हार्मोन्स का असर होने में कई घन्टे या दिन लगते हैं।
संक्षेप में, हार्मोन्स विभिन्न अंगों की गतिविधियों के बीच कड़ियां जोड़ने वाले प्रमुख एजेन्ट हैं। इनकी बदौलत हमारा शरीर एक समग्र इकाई के रूप में काम करता है। मगर अपने शरीर को मशीन मानकर इनका उपयोग ग्रीज़ की तरह करेंगे तो ये आपको तंदरुस्त बनाने की बजाए बीमार बना सकते हैं।


जे. बी. एस. हाल्लेनः (1892-1964) प्रसिद्ध अनुवांशिकी विज्ञानी एवं विख्यात विज्ञान लेखक। प्रस्तुत निबंध 1949 में प्रकाशित 'बॉट इज़ लाइफ' नामक संकलन से लिया गया है।
अनुवादः सुशील जोशी: एकलव्य की स्रोत फीचर सेवा से जुड़े हैं।