ए.बी. सक्सेना

कक्षा 9 के बच्चों को बीच एक सर्वे
क्यों लगाया बच्चों ने गलत पर निशान?

आमतौर पर हम जब कक्षा में पढ़ाते हैं तो यह मान कर चलते हैं कि बच्चे स्कूल में कोरा दिमाग लेकर आते हैं और जिस विषय के बारे में हम बात करने जा रहे हैं (जैसे बल, वेग या प्रकाश) उन्हें लेकर उनकी कोई पूर्व-अवधारणाएं नहीं हैं। इससे यह मान्यता बनती है कि उनके खाली दिमाग को शिक्षक किसी भी विचार से भरा सकता है हम यह भी मान लेते हैं कि सीखते समय बच्चे खुद कुछ नहीं सोचते बल्कि शिक्षक के विचारों को वैसा-का-वैसा ग्रहण करते हैं और अगर शिक्षक अच्छा पढ़ाए तो बच्चों को विषय की अवधारणाओं को समझने में कठिनाई नहीं होगी।

बच्चों के पूर्व ज्ञान तथा उनके अपने अनुभवों की अवहेलना अनेक कठिनाइयों को जन्म देती है। बच्चों का पूर्व ज्ञान संभव है कि ‘वैज्ञानिक न हो’ या उसमें कमिया हों; लेकिन फिर भी वह उनका अपना होता है तथा उनके अनुभवों पर आधारित होता है। इसी कारण शिक्षक जब ‘वैज्ञानिक ज्ञान’ की बात कक्षा में करता है तो अनेक बच्चों को कठिनाई होती है।

कुछ बच्चों के लिए यह नई दुनिया में प्रवेश के समान है जिससे वे ताल-मेल नहीं बैठा पाते। कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं जो दो तरह के विचारों को एक साथ दिमाग में लेकर चलते हैं - एक वे जो शिक्षक या पुस्तक के सवालों का उत्तर देने के लिए उपयुक्त हैं तथा दूसरे, जो उनकी अपनी दुनिया को समझने के लिए ठीक लगते हैं। और यही प्रक्रिया शाला स्तर से महाविद्यालय स्तर तक चलती है। बच्चों के विचारों पर ध्यान देना अत्यंत ज़रूरी है अन्यथा कारगर होने की संभावना हम होती है। ऐसा इस कारण भी होता है कि छात्र के ‘पूर्वाग्रह’ शिक्षक की बात का ‘सही’ अर्थ निकालने में अड़चन डालते हैं और अक्सर इस कारण छात्र जो समझते हैं वह शिक्षक की मंशा से भिन् न होता है। इसकी वजह से यह आवश्यक हो जाता है कि शिक्षक छात्रों की पूर्व-धारणाओं को जाने।

बल, त्वरण तथा वेग के संबंध में कक्षा 9 के बच्चों के विचार जानने के लिए हमने उन्हें कुछ सवाल और विकल्प दिए। बाद में विद्यार्थियों द्वारा दिए गए उत्तरों का विश्लेषण किया।

प्रश्न 1 : चित्र में एक वस्तु का विस्थापन समय वक्र दिखाया गया है। वस्तु का वेग शून्य कब होगा?
(अ) बिन्दु क पर
(ब) बिन्दु ख पर
(स) बिन्दु ग पर
(द) बिन्दु घ पर

इस प्रश्न के उत्तर में बहुत से छात्रों ने पहले या तीसरे विकल्प पर निशान लगाया। उनका तर्क यह होता था कि चित्र में बिन्दु क तथा/या ग पर विस्थापन शून्य है इसलिए सूत्र वेग उ विस्थापन/समय के अनुसार अन्य बिन्दुओं पर वेग शून्य है।

प्रश्न 2 : चित्र में वस्तुओं का विस्थापन विभिन्न समय पर सरल रेखा अ, ब, स तथा द द्वारा दिखाया गया है। उनके वेग के संबंध में कौन-सा कथन सही है?
(अ) वस्तु अ तथा स का वेग बिन्दु क पर समान है।
(ब) वस्तु अ तथा द का वेग समान है।
(स) स का वेग अधिकतम है।
(द) ब का वेग न्यूनतम है।

इस प्रश्न के उत्तर में अनेक छात्र पहले विकल्प पर निशान लगाते हैं जबकि ‘अ’ तथा ‘स’ का वेग किसी भी क्षण समान नहीं है।

प्रश्न 3 : एक गेंद को ऊपर की ओर फेंका जाता है। चित्रानुसार यह ऊपर जाकर वापस नीचे गिरती है। जब यह गेंद बिन्दु - 1 पर थी तो इस पर कौन कौन से बल लग रहे थे? (हवा के घर्षण को अनदेखा करें।)
(अ) हाथ द्वारा लगाया बल
(ब) गुरुवाकर्षण बल
(स) गुरुवाकर्षण तथा हाथ द्वारा लगाया बल
(द) प्रतिकर्षण बल

यह देखा गया है कि अनेक विद्यार्थी यह सोचते हैं कि जब तक गेंद ऊपर जा रही है उस पर हाथ का बल लग रहा है और जब हाथ द्वारा लगाया गया बल समाप्त हो जाता है तो गेंद ऊपर जाना बंद कर देती है।

प्रश्न 4 : प्रश्न 3 में बिन्दु क पर त्वरण की दिशा निम्नलिखित में से कौन-से चित्र में सही दिखाई गई है।

बहुत से विद्यार्थी यह सोचते हैं कि वस्तु पर लगने वाले बल की दिशा तथा उसके वेग की दिशा समान होती है। इस कारण वे पहले विकल्प को चुनते हैं।

प्रश्न 5 : किसी वस्तु पर नियत बल लगाने का परिणाम क्या होता है?
(अ) नियत वेग
(ब) नियत त्वरण
(स) नियत संवेग
(द) नियत ऊर्जा

न्यूटन के द्वितीय नियमानुसार यह आसानी से देखा जा सकता है कि नियत बल का परिणाम नियम त्वरण होगा: लेकिन छात्रों के उत्तर में अक्सर वेग या संवेग देखा जाता है।

प्रश्न 6 : एक वस्तु को पृथ्वी 15 न्यूटन के बल से आकर्षित कर रही है। उस वस्तु द्वारा पृथ्वी को आकर्षित करने वाला बल कितना होगा?
(अ) शून्य
(ब) 15 न्यूटन से कम लेकिन शून्य नहीं
(स) 15 न्यूटन
(द) 15 न्यूटन से अधिक

न्यूटन का तीसरा नियम जानने के बाद भी अनेक विद्यार्थी यह सोचते हैं कि वस्तु पृथ्वी को नहीं खींचती है, और यदि खींचती है तो बहुत थोड़े बल से।

प्रश्न 7 : समान संख्याओं से दो वस्तुओं ‘क’ तथा ‘ख’ की स्थिति समान समय पर एक सेकन्ड के अंतर से दिखाई गई है। दोनों वस्तुओं के संबंध में कौन-सा कथन सही है।
(अ) क का वेग बढ़ रहा है
(ब) ख का वेग बढ़ रहा है
(स) क तथा ख का वेग कभी बराबर नहीं है
(द) क तथा ख का वेग ‘2’ पर बराबर है

यह स्थिति उसी प्रकार की है जबकि एक कार के पीछे से आकर दूसरी कार आगे निकल जाती है। फिर भी बहुत से छात्र यह सोचते हैं कि ‘2’ पर दोनों का वेग बराबर है।

प्रश्न 8 : एक कंकड़ को ‘क’ बिन्दु पर स्थिर पकड़कर अचानक स्वतंत्रतापूर्वक गिरने के लिए छोड़ दिया जाता है। छोड़े जाने के बाद ‘क’ बिन्दु पर कंकड़ का त्वरण कितना था?
(अ) शून्य
(ब) बहुत कम लेकिन शून्य नहीं
(स) अनिश्चित
(द) ‘ढ़’ के बराबर

इस प्रश्न के उत्तर में अधिकांश बच्चे सोचते हैं कि ‘क’ बिन्दु पर कंकड़ का त्वरण शून्य था क्योंकि वहां पर वेग शून्य है। यहां पर यह ध्यान देने की बात है कि यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि वेग शून्य होने पर त्वरण भी शून्य हो। इसके विपरीत त्वरण शून्य होने का परिणाम यह होगा कि वेग परिवर्तन नहीं होगा तथा वस्तु यदि स्थिर अवस्था में है तो स्थिर अवस्था में ही रहेगी।

उपरोक्त प्रश्न उदाहण मात्र हैं। इसी प्रकार किसी भी अवधारणा पर प्रश्न बनाकर शिक्षक छात्रों के विचार जान सकते हैं। ऐसे विकल्प वाले सवाल पूछकर छात्रों के विचारों को बहुत सीमित रूप से जानने में मदद मिलती है क्योंकि छात्र केवल गलत उत्तर पर निशान गहराई से जानने के लिए, उनसे विकल्प पर निशान लगाने के अलावा संक्षेप में कारण भी लिखने को कहा जा सकता है; कि किस वजह से उन्होंने ऐसा उत्तर दिया है। इससे यदि उनके दिमाग में कोई गलत-धारणा है तो उसका पता लगता है। कारण और भी गहराई से जानने के लिए शिक्षक विद्यार्थियों से बातचीत कर सकते है।

छात्रों की धारणाएं जानने के बाद शिक्षक प्रमुख गलत-धारणाओं को ध्यान में रखकर उनके अनुसार भविष्य में अपने शिक्षण में आवश्यक परिवर्तन कर सकता है। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अधिकतर गलत-धारणाएं इतनी गहरी होती हैं कि शिक्षण में केवल इनका उल्लेख कर देने मात्र से छात्रों की समझ में फर्क नहीं पड़ेगा। इसके लिए आवश्यक है कि कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जाएं कि छात्र अपने विचार की सीमा और उनके कारगर न होने की परिस्थिति को स्वयं अनुभव करें तथा उसमें परिवर्तन की आवश्यकता को खुद महसूस करें।


ए.बी. सक्सेना - रीजनल इंस्टीटूट ऑफ एजुकेशन में भौतिकी के प्राध्यापक।