सवालीराम

सवाल: बादल क्यों गरजता है?

जवाब: बचपन में हमारे दिमाग में भी ऐसे सवाल उठते थे लेकिन बड़े-बूढ़े यह कहकर टाल देते थे कि बादलों की गड़गड़ाहट इसलिए सुनाई देती हैं क्योंकि एक बुढ़िया ऊपर बैठकर चक्की चला रही है। उस सी के चलने से यह आवाज़ आ रही है। लेकिन हम तो यह कहकर सवाल को टाल नहीं सकते, है न! तो चलिए, सही जवाब खोजने की कोशिश करते हैं।

अक्सर बारिश के दौरान तेज़ हवाओं, पानी की बूंदों और वातावरण में आवेशित कणों की मौजूदगी के कारण बादलों में आवेश का संतुलन बिगड़  जाता है। किन्हीं कारणों से आमतौर पर ऋणात्मक आवेश बादलों की निचली सतह पर (धरती की ओर वाली) इकट्ठा होने लगता है और धनात्मक आवेश बादलों की ऊपरी सतह की ओर चले जाते हैं। बादलों की निचली सतह धरती की सतह पर धन आवेश प्रेरित करती है। और दोनों सतहों के बीच तेज़ विद्युतीय आकर्षण पैदा होता है। यह आकर्षण इतना ज़्यादा होता है कि कई बार बादलों से ऋण आवेश बहुत ज़्यादा मात्रा में धरती की ओर दौड़ पड़ता है। और एक चमक दिखाई देती है।

बिजली चकमते वक्त विद्युत विभव पांच करोड़ वोल्ट तक पहुंच जाता है और करंट दो लाख एम्पीयर तक। घर पर आने वाली बिजली की लाइन से तुलना करें तो समझ में आता है कि ये संख्याएं कितनी बड़ी हैं। इतनी बड़ी मात्रा में आवेश के कारण इस कौंध के आसपास का तापमान लगभग  हज़ार से 30 हज़ार डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। कौंध के आसपास का तापमान इतना ज़्यादा बढ़ जाने के कारण वहां की हवा अचानक फैलती है, जो हमें गड़गड़ाहट के रूप में सुनाई देता है। यही क्रिया दो बादलों के बीच या फिर एक ही बादल के अंदर भी हो सकती है। जिससे बिजली चमके और वहां की हवा का आयतन अचानक बढ़ जाने के कारण विस्फोट हो और उससे पैदा होने वाली ध्वनि की तरंगों के कारण हमें गड़गड़ाहट सुनाई दे।

यह तो हुई आसमानी बादलों की बातें, यदि हमें यह प्रयोग खुद करके देखना हो कि विपरीत आवेशों के पास-पास आने से कोई आवाज़ आती है या नहीं तो वह भी संभव है। जैसे नायलॉन की कमीज़ उतारते वक्त ‘चट-चट’ की आवाज़ अक्सर सुनी होगी। अगर अंधेरा हो तो हम आवाज़ के साथ चिंगारियां उड़ते भी देख सकते हैं। इसी तरह चल रहे टी.वी. के पर्दे के पास अंगुली लाने पर भी हल्की-सी ‘चट-चट’ सुनाई देती है। यहां भी बिल्कुल वही प्रक्रिया हो रही है जो बादलों के बीच हो रही थी, लेकिन बहुत ही छोटे पैमाने पर।

अब एक और बात पर गौर करें कि कभी-कभी हम बादलों के बीच पैदा हुए आकर्षण के कारण चमक तो देख सकते हैं लेकिन गड़गड़ाहट की आवाज़ नहीं सुनाई देती। ऐसा लगता है कि चमक के कुछ देर बाद आवाज़ सुनाई देती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह देखा गया है कि जब बिजली की कौंध हमसे लगभग 25 किलो मीटर से ज़्यादा दूरी पर होती है तो आवाज़ की तरंगे वातावरण में ऊपर की ओर बिखर जाती हैं, हवा की परतों से टकराकर हमारी तरफ नहीं आती। इसलिए हमें चमक तो दिखाई देगी लेकिन आवाज़ नहीं सुनाई देती।


यह सवाल लीलांबर पटेल, पुरुषोत्त चौधरी एवं संतोष साहू शास.आ.उ.मा.शाला, गोटेगांव, ज़िला नरसिंहपुर ने पूछा था।

इस सवाल का आंशिक सही जवाब हमें अतुल देवलेकर और अमित धीरणा, कक्षा 10वीं, तेग बहादुर सिंह विद्यालय, रतलाम, म.प्र. से प्राप्त हुआ।