12 वर्ष की उम्र में जैकसन ओस्वाल्ट ने अपने घर के एक कमरे में नाभिकीय अभिक्रिया सम्पन्न की। वह सबसे कम उम्र में नाभिकीय अभिक्रिया करने वाला बच्चा बन गया है। ओसवाल्ट ने एक ऐसी मशीन तैयार की है जिसमें प्लाज़्मा बनता है जिसके अंदर नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया होती है।
जनवरी 2018 में दी गार्जियन में ओस्वाल्ट के काम के बारे में बताया गया था। और इस फरवरी को दी ओपन सोर्स फ्यूज़र रिसर्च कंसोर्टियम (शौकिया तौर पर नाभिकीय अभिक्रिया करने वालों का समूह) ने ओसवाल्ट की इस उपलब्धि को मान्यता दी है।

कुछ लोग सिर्फ मज़े के लिए नाभिकीय अभिक्रिया को अंजाम देते हैं। इनमें से ज़्यादातर लोग नाभिकीय विखंडन की जगह संलयन अभिक्रिया करते हैं। नाभिकीय विखंडन में युरेनियम जैसे भारी नाभिक की ज़रूरत होती है जो दो नाभिकों में टूटता है और ऊर्जा मुक्त होती है। दूसरी ओर, संलयन में ड्यूटेरियम जैसे हाइड्रोजन समस्थानिक की ज़रूरत होती है जो आसानी से आपस में जुड़ सकें। जब दो हल्के नाभिक आपस में जुड़ते है तो एक भारी नाभिक बनता है, जिसका द्रव्यमान दोनो नाभिकों के कुल द्रव्यमान से कम होता है। द्रव्यमान में हुई कमी ऊर्जा के रूप में मुक्त होती है।

ओस्वाल्ट या अन्य शौकिया लोगों के रिएक्टर में चुम्बक की मदद से हाइड्रोजन के समस्थानिकों को निर्वात में बंद किया जाता है। फिर इसमें उच्च विद्युत धारा (लगभग 50,000 वोल्ट) तब तक दी जाती है जब तक नाभिक अत्यधिक गर्म होकर आपस में जुड़ने लगते हैं और हीलियम का नाभिक बनाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप न्यूट्रॉन मुक्त होते है। इस मशीन को बनाने में ओस्वाल्ट को लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आया।

घर पर संलयन की अभिक्रया करने का मतलब यह नहीं है कि इससे प्राप्त ऊर्जा अन्य काम में उपयोग की जा सकती है। इन रिएक्टर में संलयन की प्रक्रिया में जितनी ऊर्जा मुक्त होती है उससे ज़्यादा ऊर्जा रिएक्टर में संलयन की प्रक्रिया करवाने में खर्च हो जाती है। वैसे इतनी अधिक मात्रा में ऊर्जा बनाने में अभी तक किसी ने, यहां तक कि ऊर्जा विभाग ने, भी सफलता हासिल नहीं की है। और जिस पैमाने पर यह क्रिया होती है, वह किसी खतरे को भी जन्म नहीं देती। (स्रोत फीचर्स)