< Previousआए वदन होने िाली कई रेल या विमान दुि्ष्नाओं के बारे में तुमने पढा-सुना होगा। जब भी ऐसी कोई दुि्ष्ना होती है तो सबसे पहले दो सिाल हमारे वदमाग में आते हैं। पहला यह, वक वकतने लोग मरे और दलूसरा, दुि्ष्ना कैसे हुई। दलूसरे सिाल का जिाब खोजने के वलए दुि्ष्ना की जाँर-पडताल करना ज़रूरी होता है। यह इसवलए भी ज़रूरी होता है वक दुि्ष्ना के कारणों को जानकर सु्धार वकया जा सके, तावक ऐसा दुबारा ना हो। कया तुमने कभी सोरा है वक जाँर-पडताल का यह काम वकया कैसे जाता है? जाँर-पडताल के आदेश जारी करना वजतनी आम बात है, यह काम उतना ही खास है। इसके वलए जाँर-पडताल करने िालों को दुि्ष्ना में शावमल उपकरणों, उनके रखरखाि, तकनीक आवद की अचछी जानकारी होना ज़रूरी होता है। उनहें जानकावरयों को इकटठा कर सलूझबलूझ से उनका विश्लेरण करना होता है। इसके वलए बहुत सारे ्धैय्ष की भी ज़रूरत होती है। रलो, मैं ऐसी एक विमान दुि्ष्ना की जाँर-पडताल के बारे में तुमहें तफसील से बताता हलूँ। ‘वकरण’ ऐकसी्ें् 1973 में एक िातक दुि्ष्ना हुई वजसमें ‘वकरण’ विमान शावमल था। पायले् एक फलाइ् लेवफ्नें् थे और यातायात विमान (ट्ांसपो््ष एयरक्राफ्) से लडाकू विमान के पायले् बनने जा रहे थे। उनहें लगभग 4000 िण्ों की उडान भरने का अनुभि था। साथ ही उनहें खराब मौसम में विमान उडाने के वलए ग्रीन रेव्ंग भी वमली थी। इस रेव्ंग को पाने के वलए विमान के बाहर देखे वबना, वसफ्ष विमान के उपकरणों पर वनभ्षर होकर विमान उडाना पडता है। उस वदन उनहें सोलो एरोबेव्कस यानी वक अकेले हिाई करतब करने की मंजलूरी दी गई थी। वजस क्षेरि में उनहें उडान भरनी थी, िहाँ इ्धर-उ्धर बादल वदख दुघ्घटनसाओं की जसाँच-पड़तसाल रवंग कमाण्र के र्षी सुधषीर जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 30रहे थे। एरोबेव्कस के दौरान उनहें बादलों से बरकर रहने को कहा गया था। उडान के दौरान एक समय ए्ीसी (एयर ट्ैवफक कंट्ोलर) का रेव्यो ट्ांसवम्र पर विमान से समपक्ष ्लू् गया। थोडी ही देर बाद स्ेशन पर यह सलूरना वमली वक सथानीय उडान क्षेरि में एक विमान दुि्ष्नाग्रसत हो गया है। बराि दल ि्नासथल पर पहुँरा तो पाया वक विमान के परखचरे उड गये थे और उसके ्ुकडे एक बडे क्षेरि में फैले हुए थे। पायले् का बुरी तरह से क्षत- विक्षत शि उसी क्षेरि में वमला था। जाँर के वलए एक दल बनाया गया वजसमें मैं तकनीकी सदसय के रूप में शावमल था। एकसी्ें् की तहकीकात ि्नासथल पर मलबे के वितरण ि इंजन की वसथवत से साफ ज़ावहर था वक जब विमान ज़मीन से ्कराया िह िलूम रहा था और उसका इंजन राललू था। वफर हमने रश्मदीद गिाहों को तलाशना शुरू वकया। कुछ गाँििालों ने विमान को अपने ऊपर उडते देखा था। लेवकन उनहोंने विमान पर ज़यादा धयान नहीं वदया। उनका कहना था वक िहाँ पर बादल थे और विमान बादलों के बीर में उड रहा था। एक वयवकत ने तफसील से बताया। उसने बताया वक उसने विमान को तेज़ गवत से नीरे आते हुए देखा। वफर विमान तेज़ी-से नीरे, और तेज़ी- से ऊपर की ओर जाने लगा। वफर विमान एक विशाल बादल में रला गया और कुछ समय के वलए िह उसे वदखाई नहीं वदया। और वफर उसने विमान को लगभग लमबित नीरे की ओर आते हुए, पलूरे समय िलूमते-मुडते देखा। अपने हाथों के इशारों और शबदों के ज़वरए उसने विमान के िुमािदार उतार (वसपन) को बहुत अचछी तरह बताया। मैं कई बार जाँर दल का सदसय रह रुका था। लेवकन मैंने पहले कभी वकसी ऐसे वयवकत, जो िायुसेना या उडान से ना जुडा हो, को वकसी विमान दुि्ष्ना का इतना सपष् वििरण बताते हुए नहीं सुना था। उस वयवकत के बयान से यह सपष् हो गया था वक हादसा ज़मीन से ्कराकर हुआ था। जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 31कया हुआ होगा - हमारी वरपो््ष बादलों में विमान उडाने का अनुभि होने से शुरुआत में पायले् को सहज महसलूस हुआ होगा। लेवकन वफर उसने ललूप या वरंग बनाई। यानी वक उसने एक पलूरा लमबित िृतत बनाया - एक वबनदु पर लमबित ऊपर उडना, सबसे ऊपर जाकर उल्ा हो जाना, वफर वकसी दलूसरे वबनदु से लमबित नीरे जाना। बादलों के कारण कोई सनदभ्ष वबनदु न वमलने से िह गुमराह हो गया होगा। विमान पलूरे समय उचर दबाि (पॉवजव्ि ‘ g ’) की वसथवत में रहा होगा वजसके कारण उसकी सहजबुवद्ध ि अनुभि भी उसके काम नहीं आए होंगे। और ललूप के शीर्ष पर, जब गवत सबसे कम रहती है, विमान स्ॉल हो गया होगा, यानी वक उसका इंजन रुक गया होगा। कोई बाहरी सनदभ्ष वबनदु न होने से पायले् वसपन को ठीक करने में सक्षम नहीं रहा होगा। जब िह बादल से बाहर आया होगा, जहाँ बाहरी सनदभ्ष वबनदु मौजलूद थे, तो उसके पास सही वसथवत में आने की काय्षिाही करने के वलए पयचापत ऊँराई नहीं रही होगी। समसया को समझने में उसे इतनी देर हो गई होगी वक अपनी जान बराने के वलए िह इजेकशन सी् का इसतेमाल भी नहीं कर पाया होगा। चक मक के र्षी सुधषीर - भारतषीय वायु सेना की र्ेक्निकल ब्रांि में काय्लरत थे। उन्हतोंने फाइर्र रवमान के रखरखाव का काय्ल रकया है। फील्ड के अनुभव हालसल करने के बाद हादसतों/घर्नाओं की जाँि के ललए उनकी लनयुचति हुई। वे पायलेर् व र्ैस् इंजषीलनयर भषी रह िुके हैं। बीमारियों को सनूँघ्े क े लिए इिेक्ट ् रॉल्क ्ाक यह तो जानी-मानी बात है वक कुत्ों की सलूँिने की क्षमता ज़बरदसत होती है। मगर वजस इलेकट्ॉवनक नाक (ई-नाक) की बात यहाँ हो रही है िह कुत्ों को सलूँिने का काम करती है। यह ई-नाक खासतौर से ‘लेश्मावनएवसस’ नामक रोग से ग्रसत कुत्ों को पहरानने के वलए विकवसत की गई है। इस रोग को भारत में कालाज़ार या दमदम बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग कुत्ों और इनसानों में ‘लेश्मावनया' परजीवियों की िजह से फैलता है। इन परजीवियों के िाहक मवकखयों की कुछ वकसम हैं, वजनहें सैं् फलाई कहते हैं। मनुषयों में इस रोग के लक्षण हैं - िज़न ि्ना, अंगों में सलूजन, बुखार िगैरह। कुत्ों में दसत, िज़न ि्ने और तिरा की तकलीफें वदखाई देती हैं। यह रोग ब्राज़ील में जयादा पाया जाता है और इसका प्कोप लगातार बढ रहा है। लेश्मवनया का इलाज तो है लेवकन यह हमें काफी नुकसान पहुँराता है - सेहत की दृवष् से भी और आवथ्षक रूप से भी। कुछ ्ॉक्र कहते हैं वक मलेवरया के बाद यह हमारे वलए सबसे खतरनाक बीमारी है। तो, ई-नाक नाक पर िावपस आते हैं। ई-नाक दरअसल एक उपकरण है। हिा में िाषपशील रसायनों का विश्लेरण कर यह उनहें ‘सलूँि’ सकता है। वफलहाल लेश्मावनएवसस की जाँर का जो तरीका है उसमें समय लगता है। ई-नाक इसमें मददगार हो सकती है। वपछले वदनों लेश्मावनया से पीवडत 16 कुत्ों और 185 अनय कुत्ों के बालों के नमलूनों पर एक प्योग वकया गया। इन बालों को एक पानी भरी थैली में रखकर गम्ष वकया गया तावक इनमें उपवसथत िाषपशील रसायन िाषप बन जाएँ। इसके बाद प्तयेक नमलूने का विश्लेरण ई-नाक विारा वकया गया। ई-नाक ने लेश्मावनएवसस पीवडत कुत्ों की पहरान 95 प्वतशत सही की। अब इसे और स्ीक बनाने के प्यास रल रहे हैं। कुत्ों में इस बीमारी को पहरानना इसवलए ज़रूरी है कयोंवक सैं् फलाई लेश्मावनया परजीिी को इनसान से दलूसरे इनसान तक ही नहीं, बवलक कुत्ों से इनसानों में भी फैलाते हैं। िैज्ावनकों का मानना है वक जलदी ही ई-नाक रोग वनदान का एक उमदा उपकरण सावबत होगी। उममीद तो यह है वक इसका उपयोग मलेवरया, म्धुमेह जैसे अनय रोगों की पहरान में भी वकया जा सकेगा। स्ोत फीिस्ल से साभार चक मक जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 32विज्ापन अधिक जानकारी के धिए https://azimpremjifoundation.org/career-list एव ं टोि फ्री नंबर-18002740101 (सोमवार-श ु क्रवार, 9 A.M. - 6 P.M.) पर संपक्क कर सकते हैं। परीक्ा धतधि: 21 ज ु िाई इच् छु क अभ्यर्थी निमि वेबनिंक पर अपिा पंजीकरण (ऑििाइि) कर सकते हैं। https://bit.ly/2Mx2kwb Azim Premji Foundation धशक्क-प्रधशक्क करी भ ू धमका म ें अवसर अज़ीम प्ेमजी फाउंडेशि नवनिनि राज्यों में अपिे नजिा संसर्ािों में का्य्य करिे हेत छु नशक्षक प्नशक्षक पद क े निए आव े दि आम ं नरित कर रहा ह ै । धशक्क प्रधशक्क करी भ ू धमका: सरकारी सक कू िों की प्ार्नमक एवं उच्च प्ार्नमक कक्षाओं में अध्यापि कर रहे नशक्षकों का सतत ् क्षमता संवर्यि। आवश्यक ्योग्यता: सिातक / सिातकोत्तर अन ु भव: नकसी प्ार्नमक, उच्च प्ार्नमक, उच्चतर माध्यनमक नवद्ाि्य, महानवद्ाि्य ्या अन्य नशक्षण संसर्ािों में कम से कम दो वर्य के नशक्षण का्य्य का अि छु िव अनिवा्य्य। नोट - पी.एच.डी. करी उपाधि प्राप्त िोगों के धिए अन ु भव आवश्यक नहीं है। नशक्षा से ज छु ड़ी गैर सरकारी संसर्ाओं में का्या्यि छु िव रखिे वािे व्यनति िी आवेदि कर सकते हैं । कम स े कम दो वर ्य का फीलड म ें का्य ्य करि े का अि छु िव आवश्यक । च्यन प्रधक्र्या: निनखत परीक्षा एवं साक्षातकार जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 33इस बार रमज़ान के बाद जब ईद आने िाली थी तो मुझे अचछा लग रहा था वक इतने वदनों बाद ईद आई है। मैं खुशी से पागल हो रहा था वक कल ईद है। ईद के वलए मैंने 150 रुपए इकटठे वकए हैं वजनहें कल मैं खर्ष करूँगा। कल आज हो गया। मैं अभी नहा-्धोकर नए-नए कपडे पहनकर ईद के मेले में जाऊँगा। िहाँ वखलौने खरीद ललूँगा और आइसक्रीम खाऊँगा। मैं अपने दोसतों के साथ जाऊँगा। अममी, आपके पास मेरे 150 रुपए हैं। आप मुझे दे दीवजएगा। अममी, ईद के मेले के बाद मैं अपने िर अपने दोसतों को लाऊँगा, इसवलए आप सेिइंयाँ बना लीवजए। म े री ईद मोहम्मद सारकब, छर्वीं पूव्ल. मा. रवद्ालय मऊ – 1 लखनऊ, उत्तर प्रदेश चित्र: आरबद, गोरवन्दगढ़, पषीसांगन, राजस्थान जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 34अच्छा नहीं लगतछा ररतु, दसवीं, राजकीय उचितर माध्यलमक रवद्ालय लससैया खर्षीमा, ऊधमलस ं ह नगर, उत्तराखण्ड मेरसा पन् सा चित्र: चिन्मय बरुआ, आठवीं, देयोडषी अरत सषीलनयर बेलसक स्कूल, माजुलषी, असम बात उस समय की है, जब मैं कक्षा रार में पढती थी। उस समय मुझे ्ीिी देखने का बहुत शौक था। ्ीिी देखने को लेकर मेरी माँ से अकसर कहा-सुनी हो जाया करती थी। एक वदन माँ बहुत गुससे में आ गईं और मुझे जोर-जोर से ्ाँ्ने लगीं। उनकी उस फ्कार के बाद मैंने वनश्रय कर वलया वक अब मैं कभी ्ीिी को हाथ तक नहीं लगाऊँगी। मैं भी उनसे नाराज़ हो गई और पलूरे वदन मैंने अपनी माँ से बात नहीं की। मेरी माँ मुझे बात-बात में ्ाँ्ती कयों हैं और हर बात में रोक-्ोक कयों करती हैं? यह बात मुझे वबलकुल भी अचछी नहीं लगती है। जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 35मेर सा पन् सा एक बार मैं जंगल में िास का्ने अपनी मममी और बडी बहन के साथ गई थी। बावरश का मौसम था। िहाँ जाते ही बावरश आ गई थी। हम भीगने से बरने के वलए एक पेड के नीरे खडे हो गए। वफर भी हम भीग गए। मैं तो उस वदन पहले-पहले जंगल में िास का्ने गई थी। लेवकन शुरुआत में ही भीग गई थी। उस वदन मेरी नानी भी िर आई हुई थीं। मैं पलूरी भीग गई थी। मुझे ज़ुकाम हो गया था। मेरी नानी ने मुझे अदरक िाली राय बनाकर वपलाई। और अगली सुबह तक मैं ठीक हो गई। नछानी की ्वो चछाय पुषपा दसाणा, पाँिवीं राष्टषीय प्राथलमक रवद्ालय, सागनेररया, राजसमन्द, राजस्थान चित्र: अलफाज फारूक काझषी, दूसरषी, जजला परर्द प्रायमरषी स्ूल, नाझरा, सोलापुर, महाराष्ट जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 36ऐसछा क्यों? मोहहनषी अहहरवार, आठवीं, शासकीय माध्यलमक शाला,मकरोलनया, सागर, मध्य प्रदेश एक वदन हम और पापा गए पकडने मछली सुबह से हो गई शाम हाथ न आई मछली तालाब गया था सलूख मछली गई थी रूठ पापा बोले, अब िर कैसे जाएँगे आज तो मममी से खलूब फ्कार खाएँगे ऐसा कयों होता है वक ज़यादातर मममी-पापा भैया को ज़यादा पयार करते हैं। अगर भैया खेलने वबना बताए बाहर जाए तो मममी-पापा उसके वलए गुससा नहीं होते, लेवकन मैं वबना बताए खेलने जाऊँ तो मममी-पापा मुझे ्ाँ्ते हैं। जब भैया की गलती होती है तब भी मममी-पापा मुझे ही ्ाँ्ते हैं, भैया को नहीं। जब िो वकसी रीज़ के वलए बोलता है वक िो ले दो तो जलदी से ले देते हैं और जब मैं बोलती हलूँ तो मना कर देते हैं। जैसे-जैसे हम बडे होते जाते हैं, मममी की ्ोका्ाकी बढती जाती है, ‘यह मत कर, िो मत कर। यहाँ मत जा, िहाँ मत जा।' ऐसा नहीं है वक भैया हमारे बुरे हैं लेवकन मममी-पापा वजतना पयार आप भैया से करते हो, उतना पयार हमसे भी करो। म्ली रछानी करन, पाँिवीं, प्राथलमक रवद्ालय राजापुर, बषी.के.र्षी. लखनऊ, उत्तर प्रदेश जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 37चित्र: सई पषी. जोशषी, छर्वीं, बाल भवन, वड़ोदरा, गुजरात मेर सा पन् सा एक वदन मवनदर में कोई उतसि था। िहाँ कई लोग जा रहे थे। मेरा दोसत भी जा रहा था। उसने कहा, ‘तलू भी आ।' मैंने कहा ‘नहीं।' िह ज़बरदसती कर रहा था। वफर मैंने मममी से पलूछा और उसने भी पलूछा तो मममी ने कहा, ‘जाना, पर अचछे से रहना।' वफर मैंने कपडे पहने। मेरा दोसत दादी से ्धवनया माँग रहा था। उसने कहा, पॉलीथीन दे। मैंने उसको पॉलीथीन दी और हम रले गए। हमने बनलेख से कुछ खरीदा और खाया। वफर हमने कौला पहुँरकर कैरम खेला और मेरे दोसत ने अपने पापा को ्धवनया वदया। उसके पापा ने कहा वक मैंने तो ्धवनया ज़यादा लाने को कहा था। तो उसने कहा वक ज़यादा नहीं था। उनहोंने कहा, ‘कुछ नहीं होता, इतने से ही काम हो जाएगा।' वफर मैंने खेल खेला और रारी के िर गया। वफर रात हो गई थी। रात को मेरा दोसत संजय और मैं रपपल िाला खेल खेल रहे थे तो संजय की रपपल नीरे वगर गई। वफर हमने दीपक के पापा से ्ॉर्ष माँगी। उनहोंने ्ॉर्ष देकर पलूछा, ‘कयों रावहए?' हमने कहा रपपल खो गई है। वफर हमने ढलूँढी तो रपपल वमल गई। और हम िर आकर रुपराप सो गए। मन्दिर की घटना नवषीन िन्द्र भट्, पाँिवीं राष्टषीय प्राथलमक रवद्ालय बनलेख, िम्पावत उत्तराखण्ड जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 38भोजपुर के ब्दिर उमेश कुमार लसंह, अरण्यावास भोपाल, मध्य प्रदेश भोजपुर के अनदर लाखों हैं बनदर जाओ तो अनदर वनकलेंगे बनदर खाओ जो रुकनदर तो छीनते हैं बनदर भोजपुर के अनदर बनदर हैं वसकनदर चित्र: संरवत शमा्ल, दूसरषी, महराज सवाई भवानषी लसंह स्कूल, जयपुर, राजस्थान जुलाई 2019 चकमक बाल विज्ान पत्रिका 39Next >