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Srote - July 2017
- भारत में पहली जीएम खाद्य फसल सुरक्षित घोषित
- आत्म रक्षा करने वाला धान
- बारुदी सुरंग का सुराग देंगे कछुआ रोबोट
- मानव सदृश जीव का लगभग पूरा कंकाल मिला
- 3.5 अरब वर्ष पुराना जीवाश्म और जीवन की उत्पत्ति
- मनुष्य कितना तापमान झेल सकते हैं
- कितने रूप हैं मरीचिकाओं के?
- त्वचा कोशिका से रक्त कोशिका बनाई गई
- हमारी नाक उतनी भी बुरी नहीं है
- लगातार नींद न मिले तो दिमाग खाली हो जाता है
- विशाल पक्षीनुमा डायनासौर के अंडे मिले
- पिरामिडों का रहस्य खोजने की नई तकनीक
- संगीत मस्तिष्क को तंदुरुस्त रखता है
- संगीत अगर प्यार का पोषक है, तो बजाते जाओ
- रक्त शिराओं के रास्ते इलाज
- खून का लेन-देन और मैचिंग
- कोमा - दिमागी हलचलों से अब इलाज संभव
- सौ वर्ष पुरानी कैंसर की गठानें खोलेंगी कई राज़
- ओरांगुटान 9 साल तक स्तनपान कराती हैं
- भांग से बूढ़े चूहों की संज्ञान क्षमता बढ़ती है
- बासमती चावल की पहचान की नई तकनीक
- हाइड्रोजन का भंडारण होगा अब आसान
- जेनेटिक इंजीनियरिंग कल्पना से ज़्यादा विचित्र है
- अंतरिक्ष में भी धूल उड़ती है!
- देश के विकास में नवाचारों का योगदान
- पारदर्शी मेंढक का दिल बाहर से ही दिखता है
Srote - September 2020
- क्या उत्परिवर्तित कोरोनावायरस अधिक खतरनाक है ?
- कोविड-19 का टीका और टीकों का राष्ट्रवाद
- कोविड-19 - सामूहिक परीक्षण के तरीके
- युवाओं से ज़्यादा एंटीबॉडी बुजुर्गों में
- प्राचीन इम्यूनिटी और आज की बीमारियां
- गरीबों को महामारी के खिलाफ तैयार करना डॉ. डी . बालसुब्रामण्यन
- गरीबों को महामारी के खिलाफ तैयार करना - भाग 2 डॉ. डी. बालसुब्रामण्यन
- क्या व्यायाम की गोली बन सकती है?
- विज्ञान से अपमानजनक शब्दावली हटाने की पहल
- कोविड-19 वायरस: एक सचित्र परिचय
- रंग बदलती स्याही बताएगी आपकी थकान
- कांटों, सूंडों, सुइओं का भौतिक शास्त्र
- पर्यावरण प्रभाव आकलन को कमज़ोर करने की कोशिश सोमेश केलकर
- हरे वृक्ष मेंढकों के हरे रंग की पहेली
- क्या ध्रुवीय भालू विलुप्त हो जाएंगे? डॉ. विपुल कीर्ति शर्मा
- चातक के अंडों-चूज़ों की परवरिश करते हैं बैब्लर कालू राम शर्मा
- सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है
- चमगादड़ 5 करोड़ वर्ष से वायरसों को गच्चा दे रहे हैं
- कुत्ते पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं
- एक छोटी-सी चिड़िया जानती है संख्याएं
- संयुक्त अरब अमीरात का मंगल मिशन
- एक और बहुग्रही सौर मंडल
- कहां से लाई गईं थीं स्टोनहेंज की शिलाएं
- अपने पुराने सिर को टोपी बनाए कैटरपिलर