हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण का निष्कर्ष है कि अगले 45 सालों में मशीनें बुद्धि के मामले में मनुष्य से आगे निकल जाएंगी। यह सर्वेक्षण ऑक्सफोर्ड और येल विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था और इसमें दुनिया भर के 350 से ज़्यादा कृत्रिम बुद्धि विशेषज्ञों की राय ली गई थी। दरअसल, सर्वेक्षण प्रपत्र उन वैज्ञानिकों को भेजा गया था जिन्होंने वर्ष 2015 में कृत्रिम बुद्धि के दो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुत किए थे।
सर्वेक्षण के आंकड़ों से लगता है कि कृत्रिम बुद्धि मशीनें वर्ष 2024 तक अनुवाद में, 2026 तक हाई स्कूल स्तर के निबंध लिखने में, 2027 तक ट्रक ड्राइव करने में, 2031 तक फुटकर दुकानों के कामकाज में, 2049 में उपन्यास लिखने में और 2053 तक शल्य क्रिया के मामलों में मनुष्यों को परास्त कर देंगी। सर्वेक्षण में शामिल विशेषज्ञों की मानें तो अगले 120 वर्षों के अंदर सारे काम स्वचालित हो जाएंगे।
आप देख ही सकते हैं कि इस सर्वेक्षण के नतीजों के सामाजिक परिणाम काफी दूरगामी होंगे। ज़रा सोचिए, छात्र जब कंप्यूटर-जनित निबंध प्रस्तुत करेंगे तो शिक्षक उनसे कैसे निपट पाएंगे। और बेरोज़गारी वगैरह की क्या स्थिति होगी, यह बताने की ज़रूरत नहीं है।
उपरोक्त भविष्यवाणियां करने के मामले में शोधकर्ता की उम्र से तो कोई फर्क नहीं देखा गया किंतु यह ज़रूर सामने आया कि शोधकर्ता कि भौगोलिक स्थिति का काफी असर उनके अभिमत पर पड़ता है। जैसे, एशिया के शोधकर्ताओं ने माना कि कृत्रिम बुद्धि मशीनें सारे कार्यों में मनुष्य को परास्त करने में मात्र 30 साल का समय लेंगी जबकि उत्तरी अमेरिका के विशेषज्ञों को लगता है कि इसके लिए 74 साल लगेंगे। यह रोचक बात है और इससे पता चलता है कि टेक्नॉलॉजी के विकास को लेकर विशेषज्ञों के मतों पर संस्कृति का कितना असर पड़ता है।
वैसे लगभग सभी विशेषज्ञों का मत है कि आज भी कृत्रिम बुद्धि आधारित मशीनें कोई विशिष्ट काम ही कर पाती हैं (हालांकि वह काम काफी पेचीदा हो सकता है)। उनमें जो बुद्धि विकसित की जाती है उसका सम्बंध किसी कार्य-विशेष से होता है और नए कार्य में उसका उपयोग करने के लिए मशीन को नए सिरे से प्रशिक्षित करना होता है। इसी प्रकार से एक बात यह भी सामने आई कि अधिकांश मामले जहां मशीनें मनुष्य से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं उनका सम्बंध संज्ञान से है। दूसरी ओर, मनुष्य की बुद्धिमत्ता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भावनात्मक बुद्धिमत्ता से जुड़ा होता जो मात्र संज्ञान पर आधारित नहीं होता। इसलिए विशेषज्ञों का मत यह भी है संभवत: मशीनें कई विशिष्ट कार्यों में मनुष्य से आगे निकल जाएं मगर सामान्य बुद्धि में आगे बढ़ने में समय लगेगा या शायद कभी संभव न हो। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - November 2017
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