वैसे तो मक्का के पौधे की ऊंचाई बढ़ाने में किसानों की कोई रुचि नहीं होती क्योंकि ऊंचाई थोड़ी-सी भी बढ़े तो पौधे अपना वज़न संभाल नहीं पाते और धराशायी हो जाते हैं। मगर न्यूयॉर्क के एक किसान जेसन कार्ल के मन में यह सवाल आया कि आखिर मक्का का पौधा अधिक से अधिक कितना ऊंचा हो सकता है। उस समय वह एक किशोर था और स्कूल में पढ़ता था।
मन में सवाल तो आते रहते हैं किंतु जेसन ने इस सवाल का जवाब पाने की जो कोशिशें कीं वे लाजवाब हैं। सबसे पहले उसने यह पता किया कि मक्का के पौधे की ऊंचाई उसमें पोरों की संख्या व लंबाई पर निर्भर करती है। सीधे सादे शब्दों में ऊंचाई इस बात पर निर्भर करती हैं कि तने पर कितनी पत्तियां हैं और उन पत्तियों के बीच कितनी दूरी है। जल्दी ही जेसन ने प्रयोग करके यह पता कर लिया कि यदि मक्का के पौधे को ग्रीनहाउस में उगाया जाए तो पोरों की लंबाई बढ़ जाती है।
जेसन ने यह भी पता लगाया कि मक्का की कुछ किस्में रात्रि की लंबाई के प्रति संवेदनशील होती हैं - अर्थात यदि इन पौधों को लंबे दिन और छोटी रातों के पर्यावरण में उगाया जाए तो पोरों की संख्या बढ़ जाती है। जेसन ने देखा कि दक्षिणी मेक्सिको की एक किस्म चियापास-234 में रातें छोटी होने पर पोरों की संख्या दुगनी हो जाती है।
ये सारे प्रयोग करते हुए जेसन ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का भी सहारा लिया जो वहां के स्कूली छात्रों को उपलब्ध होता था। किताबें पढ़कर उसे मक्का में जेनेटिक उत्परिवर्तनों के बारे में पता चला। उसने पाया कि वैज्ञानिक यह देख चुके हैं कि Leafy नामक जीन में उत्परिवर्तन होने पर पौधे में अतिरिक्त पत्तियां लगने लगती हैं। इसका मतलब है कि उन पौधों में अतिरिक्त पोरें बनने लगते हैं। इसी प्रकार से उसने यह भी जाना कि पुष्पन से सम्बंधित कुछ जीन्स में उत्परिवर्तन से भी पोरों की संख्या बढ़ती है।
अब जेसन ने रात की लंबाई के प्रति संवेदनशील मक्का को ग्रीनहाउस की परिस्थिति में उगाकर देखा। संकरण के ज़रिए उसमें उपरोक्त उत्परिवर्तित जीन प्रविष्ट कराने के बाद उगाकर देखा। धीरे-धीरे यह समझ में आने लगा कि ऊंचाई बढ़ाने वाले ये कारक एक-दूसरे से किस तरह अंतर्क्रिया करते हैं। अलबत्ता, मात्र पर्यावरणीय कारकों के साथ छेड़छाड़ करके जेसन चियापास-234 का 35 फुट ऊंचा पौधा विकसित करने में सफलता रहे। 2011 में यह मक्का के पौधे की ऊंचाई का विश्व रिकॉर्ड था।
अब उसने Leafy जीन के उत्परिवर्तित रूप को अपने 35 फुट ऊंचे पौधे में प्रविष्ट कराया। 6 पीढ़ियों तक इनके साथ प्रयोग करने के बाद अब जेसन ने 45 फुट ऊंचा पौधा तैयार कर लिया है। मगर इससे पहले उसे एक परिवर्तन और करना पड़ा - न्यूयॉर्क से निकलकर कोस्टा रिका जाना पड़ा क्योंकि न्यूयॉर्क में वे परिस्थितियां नहीं मिल पा रही थीं जो पौधे की लंबाई को बढ़ाने में सहायक हों। कारण यह है कि न्यूयॉर्क में पौधों को वृद्धि करने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिल पाता और जाड़ा शु डिग्री हो जाता है। कोस्टा रिका में जेसन ने 45 फुट का जो पौधा विकसित किया है उसमें 80 पोरें हैं (सामान्य चियापास-234 से 56 ज़्यादा)।
हो सकता है कि मक्का के पौधे की ऊंचाई बढ़ाने में किसी की रुचि न हो किंतु यह मौलिक शोध कई अन्य स्थितियों में उपयोगी साबित हो सकता है। जैसे गन्ने के मामले में इसका उपयोग किया जा सकता है। या शायद जैव ईंधन के लिए उगाए जाने वाले पौधों के लिए या चारे के रूप में काम आने वाले पौधों के लिए इसका इस्तेमाल लाभदायक हो सकता है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - November 2016
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