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जनवरी 2019

हर साल की तरह इस बार भी नई दिल्‍ली विश्‍व पुस्‍तक मेले में आप सबसे मुलाकात होगी। 5 जनवरी से 13 जनवरी तक आयोजित विश्‍व पुस्‍तक मेले के चिल्‍ड्रन्‍स पवेलियन यानी हॅाल 7 में स्‍टॅाल 64-65 और हिन्‍दी साहित्‍य पवेलियन हॅाल 12 A में स्‍टॅाल 177-178 में आपका इन्‍तज़ार रहेगा। इस बार के विश्‍व पुस्‍तक मेले की थीम विशेष आवश्‍यकताओं वाले पाठकों पर केन्द्रित है। इस विषय पर एकलव्‍य ने भी चित्रकथाएँ प्रकाशित की हैं।
एकलव्य द्वारा विश्‍व पुस्‍तक मेले में 8 जनवरी को एक चर्चा भी आयोजित की जा रही है। इसका विषय है, बच्‍चों के लिए संवेदनशील मुद्दों पर क‍हानियाँ। इस चर्चा में कहानीकार व सामाजिक कार्यकर्ता रिनचिन और लेखक एवं प्रकाशक रिचा झा भाग लेंगी। चिल्ड्रन पवेलियन के ऑथर कॉर्नर में दोपहर 2 से 3 बजे आयोजित होने वाली इस चर्चा में आप अवश्‍य शामिल हों।

इस साल नई किताबों के पिटारे में हैं ये सब किताबें

अकॉर्डियन किताबें

कवि श्‍याम सुशील की दो मज़ेदार कविताएँ - आबू-साबू और ठाँव-ठाँव घूमा – जिनमें बचपन की मस्‍ती है और गाँव की सैर भी। इनके चित्र बनाए हैं अमृता और नीलेश गहलोत ने।

हाशियाकृत समुदाय के बच्चों की आवाज़ें

अन्‍वेषी द्वारा विकसित चित्रकथाएँ जिनमें कहानियाँ अपने आसपास के हाशियाकृत समुदाय और उनके संघर्षों को देखने-समझने और महसूस करने का मौका देती हैं। कांचा आइलय्या शेफर्ड द्वारा लिखी गई माँ, अपनी माँ के संघर्ष को याद करने की एक कविता है। इसी तरह फिर जीत गई ताटकी और दिलेर बड़ैय्या में जातीय संघर्ष का एक अलग रूप है। बोरेवाला, मानवीय रिश्तों को गूढ़ता से देखने का अनुभव देती है।

बच्‍चों की कहानियाँ

बच्चों की ज़िन्‍दगी के अनुभव उन्हीं की ज़ुबानी। चश्मा नया है, ऐसा ही एक संकलन है। इसमें बच्चों ने अपने जीवन के कई अनकहे किस्से साझा किए हैं। इसके चित्र बनाए हैं, शुभम लखेरा ने। इसी तरह बकरी की साइकिल भी बच्चों की कहानियों, अनुभवों और उनके बनाए चित्रों से सजी है।

रिश्तों की बुनावट के नए रंग

स्कूल में ताता, मेरी ज़ोया चली गई!, नंगू नंगू नाच, इन तीनों चित्रकथाओं में बचपन के रंग हैं, मस्‍ती है और दोस्‍ती भी। रिचा झा की कहानियों को गौतम बेनेगल और रुचि म्‍हसाणे के चित्रों ने जीवन्‍त कर दिया है।

जीवन के किस्‍से

बचपन की बातें, चर्चित शख्‍सियतों के बचपन के किस्‍सों को दर्शाती किताब। इसे संजीव ठाकुर ने लिखा है। इसी तरह हमारे समाज द्वारा हाशिए पर ढकेले गए समुदायों और लोगों के जीवन की मुश्किलों को सामने रखती है हर्ष मन्‍दर द्वारा लिखी गई किताब अदृश्य लोग

कविताओं की दुनिया

लय और ताल से भरी मज़ेदार कविताएँ बच्‍चों और बड़ों दोनों को ही भाती हैं। हाऊ हाऊ हप्‍प ऐसा ही एक कविता संकलन है जिसमें हर मिज़ाज की कविताए हैं। इस संकलन में हिन्दी साहित्य के कई स्थापित कवियों की रचनाएँ आपको पढ़ने को मिलेंगी। इनका संचयन किया है तेजी ग्रोवर ने। इसके अलावा कविता पोस्‍टर के दो सेट भी हैं जिसमे दस कविताएँ हैं।

प्रकृति के इर्द-गिर्द

पलाशपुर में पिकनिक, पिकनिक के ज़रिए नबनीता देव सेन ने प्रकृति और दोस्‍ती को बड़ी संवेदनशीलता से बुना है।

शिक्षकों के लिए

शिक्षा और आधुनिकता, अमन मदान के लेखों में समाजशास्‍त्रीय नज़रिए से शिक्षा में आए बदलावों की पड़ताल की गई है।

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